हम पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि जब आपकी निगाहें इस शीर्षक पर गई होगी, तो एक पल के लिए आप भौचक्का हो गए होंगे. आपको ऐसा लग रहा होगा कि आखिर भला यह कैसे हो गया. कल तक किसानों का विरोध करने वाली सरकार आज भला किसानों के सुर में सुर कैसे मिलाने लगी है. बेशक, मौजूदा सरकार हमेशा से ही अपने आपको किसान हितैषी कहती आई हो, मगर इसमें कोई दोमत नहीं है कि आंदोलनकारी किसानों की मांगों को केंद्र सरकार हमेशा से ही खारिज करती रही है, लेकिन आपको यह जानकर हैरत होगी कि सरकार अब इनकी मांगों को मान चुकी है. वहीं, अब अपने जेहन में उठ रहे सवालों को खामोश खरने के लिए पूरी तफसील से पढ़िए हमारी यह खास रिपोर्ट...
बेशक, आज पूरी दुनिया में कोरोना से लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हो, मगर एक ऐसा भी दौर था, जब राजधानी दिल्ली प्रदूषण के कहर से सुर्खियों में रहती थी, जिसका जिम्मेदार हमेशा से ही किसानों को ठहराया जाता रहा है, चूंकि सर्दियों की दस्तक होते ही हमारे किसान भाई पराली जलाने में मशगूल हो जाते थे, जिसके धूएं की दस्तक जब राजधानी दिल्ली की सरहदों पर होती थी, तो दिल्ली वालों का हाल बेहाल हो जाता था. इसे लेकर कई मर्तबा सियासत भी हुई.
वहीं, मसला जब संगीन हुआ, तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए वायु गुणवत्ता आयोग का पुनर्गठन किया. इस आयोग का दायित्व था राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कहर पर विराम लगाना. इसके लिए उसे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बेशुमार अधिकार दे दिए गए. उन्हें यहां तक अधिकार मिल चुका था कि वे पराली जलाने वाले किसानों से एक करोड़ तक जुर्माना भी वसूल सके, जिसका शुरूआती दौर में तो किसान भाइयों ने बेशुमार मुखालफत की, मगर जब इससे भी बात नहीं बनी तो बीते कुछ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों ने अपनी मांगों की फेहरिस्त में इस मांग को भी शामिल किया, जिसमें वायु गणवत्ता आयोग के पुनर्वगठन का भी मसला शामिल है.
विगत कई माह से किसान भाई कृषि कानूनों के साथ-साथ इस आयोग को ध्वस्त करने की भी मांग कर रहे थे. इस संदर्भ में विगत दिनों केंद्र सरकार के साथ किसानों की बैठक भी हुई, जिसमें आखिकार इस फैसले पर सहमति भी बनी थी, जिसे धरातल पर उतारने के लिए विगत दिनों संसद में एक विधेयक भी पेश किया गया था, जिसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि इस विधेयक में शामिल प्रावधानों को वापस ले लिया जाएगा.
वहीं, अब केंद्र सरकार ने आखिरकार काफी मुशक्कत के बाद किसानों के पक्ष में फैसला लेते हुए प्रदूषण फैलाने के आरोप में 1 करोड़ रूपए जुर्माना वसूलने के फैसले को वापस ले लिया है. अब किसान भाइयों को पराली जलाने पर जुर्माना नहीं देना होगा. अपनी यह मांग मंगवाने के लिए किसान भाई पिछले कई माह से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत थे. आखिरकार आज उनकी मांगों को अमलीजामा पहना ही दिया गया.