केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ. टी.सी. वर्मा ने बताया कि 27 अक्टूबर, 2024 को कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ द्वारा गाँव सालरी (रायपुर) में ‘‘टिकाऊ फसलोत्पादन में सल्फर की भूमिका’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण व रात्रि किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में अधिकारियों सहित 49 कृषकों एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया.
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. सेवाराम रुण्डला, विषय विशेषज्ञ ने बताया कि सल्फर गैर-धातुयीय रासायनिक तत्व होता है जो पादप पोषण में द्वितीयक आवश्यक पोषक तत्व कहलाता है. यह पौधों में विभिन्न शारीरिक गतिविधियों व प्रक्रियाओं में भागीदारी निभाता है. पौधें सल्फर को सल्फेट आयनों के रूप में जड़ों के माध्यम से अवशोषित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप पौधों में प्रोटीन व अमीनो एसिड जैसे कार्बनिक यौगिकों बनते है जिसमें सल्फर तत्व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सल्फर तिलहन फसलों में तेल की मात्रा व तेल की उपज बढ़ाने में सहायक होता है अर्थात् सल्फर तेल वाली फसलों के लिए वरदान साबित होता है. दलहनी फसलों में प्रोटीन निर्माण में सहायक होता है. इसका सबसे अच्छा व सस्ता स्रोत जिप्सम होता है जिसके माध्यम से पौधों को सल्फर एवं कैल्शियम की आपूर्ति होती है. जिप्सम के उपयोग से बढ़ती हुई कृषिगत लागत कम की जा सकती है. अतः सभी कृषकों से निवेदन है कि दलहन व तिलहन फसलों में जिप्सम की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए.
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किसानों को जागरूकता रखते हुए सही पोषक तत्व व उर्वरकों का चयन, सही मात्रा में, सही विधि से एवं सही समय पर करने से टिकाऊ फसलोत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इसके साथ ही किसानों के खेतों पर नैदानिक भ्रमण भी किया एवं समस्याओं के निदान हेतु किसानों से चर्चा व संवाद किया गया. हरीओम पाटीदार एवं पूनमचन्द मीणा, प्रगतिशील कृषक ने भी अपने विचार व्यक्त किये एवं महेश कुमार ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया.