किसानों की अगर बात की जाए, तो कृषि क्षेत्र में सकारात्मक सुधार होना अत्यंत आवश्यक है. इन बदलावों को महत्वपूर्ण बताते हुए नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने रविवार को कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेना कही से भी किसान के हक में आता नहीं दिख रहा है.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तीनों कृषि कानून को रद्द करना किसानों को अधिक मूल्य दिलाने के प्रयासों के लिए एक झटका है. उन्होंने तीनों कृषि कानून को किसानों के पक्ष में बताते हुए कहा तीन कृषि कानूनों को वापस लेना कही से भी किसान के हक में आता नहीं दिख रहा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तीनों कृषि कानून को रद्द करना किसानों को अधिक मूल्य दिलाने के प्रयासों के लिए एक झटका है. यह कृषि कानून किसानों की आय को 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य था, जो की किसानों की आय तेज़ी से बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता था.
हो सकती है कृषि कानून की वापसी!
कृषि कानून को वापस लाने के लिए एक बार फिर तेज़ होती नजर आ रही है. निति आयोग इसको लेकर अपना पक्ष सभी से सामने मजबूती से रखता नजर आ रहा है. रमेश चंद जो नीति आयोग में कृषि नीतियों को देखते हैं उन्होंने कहा, 'कृषि क्षेत्र के लिए सुधार और बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है.
निति आयोग का कहना है कि कुछ किसान तीनों कृषि कानूनों विरोध कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों के किसानों के साथ एक बार फिर नए सिरे से बातचीत की जानी चाहिए, ताकि उनके हित में यह फैसला सरकार वापस ला सकें.'कृषि कानून वापसी को लेकर किसान भाई हमारे पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि सुधारों की आवश्यकता है, लेकिन क्या और किस तरह का बदलाव यह जानने के लिए हमे कुछ समय का इंतज़ार करना होगा.
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अर्थव्यवस्था को लेकर क्या है निति आयोग का विचार
अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर जब रमेश चंद से एक सवाल पूछा गया, तो उन्होंने जवाब में कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि करीब तीन प्रतिशत तक होने की संभावना है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि मानसून और अन्य चीजें अनुकूल रहती हैं, तो चालू वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि में और सुधार होगा. बढ़ती महंगाई पर उन्होंने कहा महंगाई बढ़ने का कारण उपज में हो रही कमी है. जब किसी उत्पादन में कमी होती है, तभी जाकर महंगाई दर बढ़ती है.
हम दालों और खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने का प्रयास करते हैं. फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 6.07 प्रतिशत के आठ माह के उच्चस्तर पर पहुंच गई है. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से काफी अधिक है.