नई दिल्ली: नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर शुक्रवार को ISC-FICCI स्वच्छता पुरस्कार और भारत स्वच्छता सम्मेलन के 6वें संस्करण में शामिल हुए. सम्मेलन के 6वें संस्कण को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा-ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन सरकार के लिए, विशेष रूप से शहरी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण एजेंडा बना हुआ है.
जिसके लिए सभी हित धारकों के साथ निजी क्षेत्र सहित सभी शहरी क्षेत्र में काम करना होगा. उन्होंने कहा- नीति आयोग सभी हित धारकों के साथ साझेदारी कर अपशिष्ट प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है.
अय्यर ने कहा, "स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, जल संरक्षण आदि सहित सभी कार्यक्रमों के केंद्र में व्यवहार परिवर्तन है. नीति आयोग ने स्वच्छता और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में एक व्यवहार अंतर्दृष्टि इकाई भी स्थापित की है, जो व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करती है और सभी सरकारी कार्यक्रमों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश करती है.
ये सरकारें ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में निभा रही भूमिका
उन्होंने कहा कि ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि सहित विभिन्न राज्य सरकारें ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. अपशिष्ट जल उपचार के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ राज्य सरकारों के साथ काम किया जा रहा है.
अय्यर ने कहा कि, तेजी से एक अहसास है कि हमें नगरपालिका अपशिष्ट जल प्रबंधन में अधिक से अधिक विकेन्द्रीकृत विकल्पों की आवश्यकता है. हमारे पास बड़े अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र, उच्च प्रौद्योगिकी और ऊर्जा गहन अनुक्रमिक बैच रिएक्टर आदि हैं.
राज्य सरकारों से सहयोग का आग्रह
परमेश्वरन अय्यर ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि भारतीय स्वच्छता गठबंधन को सहयोग करें. जिससे सभी राज्य भारतीय स्वच्छता गठबंधन से जुड़ें. उन्होंने बताया कि इसके लिए नीति आयोग ने राज्य समर्थन मिशन भी शुरू किया है. जिसके तहत नीति आयोग राज्य सरकारों की मांगों का मूल्यांकन करेगा और तकनीकी सहायता पर ध्यान केंद्रित करेगा.
साल 2047 तक देश के अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में होंगे
उन्होंने बताया कि भारतीय स्वच्छता गठबंधन का शहरीकरण की दिशा में एक बड़ा रुझान है और यह और महत्वपूर्ण होने जा रहा है. साल 2047 तक देश के 50 प्रतिशत से अधिक लोग शहरी क्षेत्रों में रह रहे होंगे. अगर हमारे पास शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सेवाएं नहीं होंगी तो हमारे लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
अपशिष्ट प्रबंधन में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की भूमिका पर बोलते हुए परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि कई राज्यों ने एसएचजी आंदोलन को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया है. उन्होंने कहा, "स्वच्छता और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन सहित कई विकास क्षेत्रों में एसएचजी की स्पष्ट भूमिका है.
गड्ढे वाले शौचालयों की पहचान की जा रही: जल शक्ति मंत्रालय सचिव
कार्यक्रम में जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग की सचिव विनी महाजन ने कहा कि देश भर में एकल गड्ढे वाले शौचालयों की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिनमें सुधार की आवश्यकता है और राज्य और प्रशासन इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. गड्ढे वाले शौचालयों के जैविक कचरे से बायोगैस और जैव खाद निकालना चाहिए. इस दौरान उन्होंने नागरिकों से जैविक कचरे का उचित उपयोग करने का आग्रह किया.