दूध एक ऐसा उत्पाद है, जिसका उपयोग हर घर में किया जाता है. दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर की हड्डियों को मजबूत करने में काफी सहायक होते हैं. भारत में दूध उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसके चलते लोग बड़े–बड़े डेयरी उद्द्योग (Dairy Industry) भी चला रहे हैं, जिससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
मगर क्या आपको पता है कि बाज़ार में मिलने वाला दूध कितना शुद्ध है? क्या अपने कभी सोचा है कि बाज़ार में मिलने वाले दूध में मिलावट होती है या नहीं. यदि आप इस बात का पता लगाना चाहते हैं, तो आज हम आपको एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप पता कर सकते हैं कि दूध में मिलावट (Milk Adulteration) है या नहीं. तो चलिए इस तकनीक के बारे में जानते हैं.
विकसित की नई तकनीक (Developed New Technology)
दरअसल, कर्नाटक के बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुस्मिता दास का कहना है कि आजकल दूध बिक्रेता अच्छा मुनाफा पाने के लिए दूध में यूरिया और पानी की मिलावट करते हैं. यह सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है.
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उन्होंने इन्हीं समस्याओं को देखते हुए दूध में होने वाली मिलावट को लेकर एक अध्ययन किया है. इस अध्ययन के जरिए उन्होंने ऐसी आसान तकनीक विकसित की है, जिससे नकली और असली दूध की पहचान की जा सकती है.
मिलावटी दूध की पहचान करना (Detection of Adulterated Milk)
शोधकर्ताओं का कहना है कि दूध में यूरिया और पानी (Urea And Water) की मिलावट को लेकर परीक्षण किया गया. इस दौरान दूध में मिलावट का पता करने के लिए दूध को थोड़े से दूध को रखा, फिर इवेपरेट होने का इंतजार किया. जब दूध पूरी तरह से गायब हो गया, तो जो सॉलिड बचा, उसमें अलग-अलग पैटर्न थे. शोधकर्ताओं के इस परीक्षण में पानी या फिर यूरिया मिले दूध और असली दूध सभी में अलग-अलग वाष्पीकरणीय पैटर्न पाया गया. बता दें कि मिलावटी दूध के वाष्पीकरणीय पैटर्न में एक केंद्रीय, अनियमित बूंद जैसा पैटर्न होता है.