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Updated on: 15 February, 2024 5:50 PM IST
अफीम की नई किस्म ‘चेतक’

काला सोना, यानी अफीम उत्पादक किसानों के लिए खुशखबर है. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने परीक्षणों की लंबी प्रक्रिया के बाद अफीम की नई किस्म ’चेतक’ विकसित की है. चेतक अफीम न केवल राजस्थान बल्कि मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगी. परीक्षणों में पाया गया कि ’चेतक’ अफीम में न केवल मॉर्फीन बल्कि डोडा-पोस्त में भी अपेक्षाकृत ज्यादा उत्पादन प्राप्त है. यही नहीं राजस्थान सहित मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश की जलवायु भी इसके लिए अति उत्तम है.

एमपीयूएटी ने किया अफीम की नई किस्म ’चेतक’ को विकसित

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशक, डॉ. अरविन्द वर्मा ने बताया कि इस किस्म का विकास अखिल भारतीय औषधीय एवं सगंधीय पौध अनुसंधान परियोजना, उदयपुर के तहत डॉ. अमित दाधीच, पादप प्रजनक एवं परियोजना प्रभारी की टीम ने किया है. डॉ. वर्मा के अनुसार औषधीय एवं सगंधीय अनुसंधान निदेशालय, बोरीयावी, आणंद गुजरात, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या, उत्तर प्रदेश में 7-9 फरवरी, 2024 को 31वीं वार्षिक समीक्षा बैठक में इस किस्म (चेतक अफीम) की पहचान भारत में अफीम की खेती करने वाले राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के लिए की गई है.

डॉ. अमित दाधीच ने बताया कि यदि किसान वैज्ञानिक तकनीक को आधार मानकर चेतक अफीम की फसल का उत्पादन करता है तो अफीम की खेती से औसत 58 किलोग्राम अफीम प्रति हैक्टर साथ ही औसत मार्फीन उपज 6.84 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है, 10-11 क्विंटल औसत अफीम बीज प्रति हेक्टेयर एवं 9-10 क्विंटल औसत डोडा-पोस्त प्रति हैक्टर तक प्राप्त किया जा सकता है. इस किस्म की यह विशेषता है कि इसके फूल सफेद रंग के होते हैं. इस किस्म में अफीम लूना (एकत्रित) करने के लिए बुवाई के 100-105 दिनों के पश्चात् चीरा लगाना चाहिए तथा इस किस्म में मार्फिन की मात्रा औसतन 11.99 प्रतिशत है. इस किस्म में 135-140 दिन में बीज परिपक्व हो जाते है. किसानों के खेतों पर चेतक अफीम का प्रथम पंक्ति प्रदर्शन में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है.

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किसानों का आर्थिक लाभ बढ़ेगा: कर्नाटक

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि प्रदेश के चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, कोटा, बांरां एवं झालावाड़ जिलों में अफीम की खेती बहुतायत में की जाती है. ऐसे में चेतक अफीम की खेती से किसानों का आर्थिक लाभ बढ़ेगा. भारत सरकार के केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के द्वारा जारी पट्टे (लाईसेन्स) के आधार पर किसानों द्वारा इसकी खेती की जा रही है.

डॉ लतिका व्यास
पीआरओ एवं प्रभारी मीडिया सेल
एमपीयूएटी, उदयपुर

English Summary: New variety of opium Chetak developed a Maharana Pratap University of Agriculture and Technology afeem ki kheti opium cultivation
Published on: 15 February 2024, 05:54 PM IST

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