गाजर की खेती के साथ-साथ गाजर का सेवन भी पूरे भारतवर्ष में किया जाता है. सलाद से लेकर सब्जी और सबसे ज्यादा गाजर के हलवे में इसका इस्तेमाल किया जाता है. कई लोगों के मन में अभी भी धारणा है कि लाल गाजर सिर्फ ठंड के मौसम में उगाई जा सकती है.
लेकिन अब ऐसा कहना गलत होगा. विज्ञान और कृषि वैज्ञानिकों की मदद से अब हम हर मौसम में लगभग हर फसल का आनंद उठा सकते हैं. हालांकि कुछ श्रेय कोल्ड स्टोरेज को भी जाता है. लाल गाजर की विशेषताओं पर बात करें तो इसमें कैरोटीन एवं विटामिन ए भरपूर मात्र में पाया जाता है जो कि मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है. ऐसे में कई कंपनियां हैं जो आय दिन ना सिर्फ गाजर बल्कि अन्य फल, फूल, सब्जी, अनाज के बीजों को विकसित करती हैं ताकि लोगों को हर मौसम में इसका लाभ मिल सके. ऐसे में हाल ही में सोमानी सीड्स द्वारा गाजर की नई किस्म को लॉन्च किया गया है. इस नई हाइब्रिड किस्म रेड क्वीन किस्म के नाम से लांच किया गया है.
क्या है रेड क्वीन किस्म की खासियत
आपको बता दें इस किस्म को सोमानी सीड्स ने 22 जून को लांच किया है. यह अंग्रेजी किस्म, नैनटेस गाजर का विकल्प है जो स्वाद में कम मीठी और नारंगी रंग की होती है. जबकि रेड- क्वीन गाजर देखने में सुर्ख लाल अधीकतम TSS के साथ सर्वाधिक सेल्फ लाइफ वाली होती है, चुकी इसकी बुवाई सर्दी के मध्य चरण में बोया गया था. जिससे इस किस्म को तैयार होने में 134 दिनों का समय लगा इसके बाद इसकी खुदाई कर गजार के जड़ों को बहार निकला गया.
जड़ों की लम्बाई, परिपक्वता, रंग और मिठास में बेहतरीन पाया गया, जोकि साधारणतः अन्य किसी भी हाइब्रिड/देशी गाजर में नहीं देखने को मिलता है. गौरतलब है कि भारत में किसी भी कंपनी द्वारा विकसित गाजर की किस्मों में यह अनोखा है क्योंकि मौसम के हिसाब से देखें तो लाल गाजर की बुवाई अधिक से अधिक अक्टूबर के महीने तक कर देनी चाहिए. इसके उपरान्त मैसम के अनुरूप ना होने पर जड़ों का विकास नहीं हो पाता है तथा इसमें झंडी आने की पूरी संभावना रहती है.
रेड क्वीन गाजर की विशेषता, सेल्फ लाइफ और कीपिंग क्वालिटी को जांचने के लिए इसे 20 अप्रैल को कोल्ड स्टोरेज में रखा गया और 22 जून को जब इसे बहार निकालकर परिक्षण किया तो यह अपने सभी मापदंडों में खरा पाया गया. इसको 2 वैज्ञानिक, 20 किसानों तथा 15 आड़तीयों ने निरक्षण कर आश्वस्त किया की यह किस्म बिक्री योग्य है और अधिक मूल्यों में बिक सकता है क्योंकि लाल गाजर की मांग इस मौसम में ज्यादा रहती है.
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सोमानी सीड्स के वरिष्ट वैज्ञानिक एवं मुख्य प्रबंधक कमल सोमानी जी के निर्देश में इसे अगले 2 महीने के लिए वापस कोल्ड स्टोरेज में रख दिया गया, जिससे यह पता चल सके कि सोमानी सीड्स का रेड क्वीन गाजर को एक सीजन यानी 6 महीने तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है जो की काफी लम्बे समय से गाजर उत्पादक किसान संघ की मांग थी. कमल सोमानी जी ने कृषि जागरण के पत्रकार से कहा की हमें उम्मीद ही नहीं बल्कि पक्का भरोषा है कि यह किसानों तथा ग्राहकों के उम्मीद पर खरा उतरेगा.
रेड कैरट-रेड क्वीन को लेकर क्या है किसानों की राय
सीड्स लांच होने के बाद बाजार में इस किस्म के आने से खरीदार और किसान इसे पाकर बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि अब उन्हें बाजारों में गाजर की अच्छी कीमत मिलेगी. वहीँ उत्तर भारतीय गाजर प्रेमियों के लिए यह आश्चर्य की बात है क्योंकि वे जून और जुलाई के महीने में गाजर के हलवा का स्वाद अब चख सकेंगे.