केंद्र के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के नए प्रस्ताव पर किसानों से खाद्यान्न की खरीद (Purchase of Food Grains) को लेकर बड़ा बवाल हो गया है. दरअसल, इस प्रस्ताव से किसान भड़के हुए हैं और कई राज्यों में इसका विरोध पेश कर रहे हैं.
MSP के नए ड्राफ्ट से क्यों नाराज़ है किसान (Why farmers are angry with the new draft of MSP)
भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अपने द्वारा खरीदे गए अनाज पर लागू होने वाले गुणवत्ता मानदंडों को बदलने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि खाद्यान्न के अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए बदलाव जरूरी हैं.
जबकि FCI का दावा है कि इस कदम का उद्देश्य वैश्विक मानकों के साथ खाद्यान्नों को बेंचमार्क करना है ताकि आम लोगों को बेहतर गुणवत्ता उपलब्ध कराई जा सके और लंबी अवधि के भंडारण में मदद मिल सके. किसानों को कड़े नियमों के माध्यम से MSP को अधिक दुर्गम बनाने के लिए एक चाल दिखाई दे रही है.
एमएसपी को लेकर राजनीति दाउपेंच (Political upheaval regarding MSP)
कांग्रेस ने सरकार पर खरीद से बचने और MSP को कम करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. लेकिन सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस अभ्यास के पीछे व्यापक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आम लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पाद मिले और सरकार इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने के बाद ही आगे बढ़ेगी. इस मुद्दे पर राज्यों के बीच आम सहमति बन गई है.
एमएसपी में क्या हुए हैं बदलाव (What are the changes in MSP)
31 दिसंबर को केंद्रीय पूल के तहत खरीदे गए खाद्यान्नों के मौजूदा गुणवत्ता मानकों की समीक्षा करने और उन्हें वैश्विक मानकों के साथ बेंचमार्क करने के लिए एफसीआई अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक बैठक नोटिस परिचालित किया गया था.
इस मसौदा प्रस्ताव के अनुसार, गेहूं के दाने में नमी की मात्रा के लिए 14% की वर्तमान सीमा के मुकाबले 12% की गई है. विदेशी पदार्थ की अनुमेय सीमा 0.75% से घटाकर 0.50% कर दी गई है. सूखे और टूटे अनाज की सीमा भी 6% से घटाकर 4% कर दी गई है.
धान के मामले में, अनुमेय नमी की मात्रा को 17% से घटाकर 16% कर दिया गया है. विदेशी पदार्थ की सीमा 2% से घटाकर 1% कर दी गई है. फीके पड़े अनाज की निचली सीमा 5% से घटाकर 3% कर दी गई है. टूटे हुए चावल को 25% से घटाकर 20% कर दिया गया है.
वहीं विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि "अगर नमी चली गई तो हमारी फसल का रेट नीचे चला जाएगा और किसान के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, हर कोने से केवल समस्याएं हैं."
इसी के चलते मध्य प्रदेश सरकार के कृषि सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य केदार सिरोही (Kedar Sirohi, former member of the Agriculture Advisory Council, Government of Madhya Pradesh) ने कहा, "मुझे लगता है कि ये एमएसपी को खत्म करने की साजिश है. एक तरफ, एफसीआई खाद्यान्न खरीद मानदंडों को कड़ा कर रहा है, लेकिन आयात में ढील दे रहा है. हमारी खेती अलग-अलग मौसमों में की जाती है और भूगोल इसलिए गुणवत्ता में अंतर होगा जो सरकार अपना रही है".
वहीं छत्तीसगढ़ के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत (Amarjit Bhagat, Food and Civil Supplies Minister of Chhattisgarh) ने कहा कि "उन्हें केंद्र के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा, लेकिन सवाल किया कि किसान एक या दूसरे बहाने से परेशान क्यों हैं."
क्या है नए एमएसपी ड्राफ्ट के उद्देश्य (What is the purpose of the new MSP draft)
FCI अध्यक्ष ने पिछले सप्ताह खरीद के प्रभारी राज्य खाद्य सचिवों के साथ बैठक की अध्यक्षता की और FCI द्वारा तैयार किए गए मसौदा रोडमैप पर उनके विचार जानने के लिए राज्यों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए हैं.
खरीद मानदंडों को संशोधित करने के प्रस्ताव के पीछे दो व्यापक उद्देश्य हैं - यह सुनिश्चित करना कि आम लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाला खाद्यान्न मिले और बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्यान्नों की खरीद से एफसीआई को भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबे समय तक भंडारण करने में मदद मिलेगी.