नेपाल प्लेन क्रैश में दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. दरअसल नेपाल में प्लेन हादसे के बाद से यात्रियों के शव को निकाला जा रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस प्लेन में 72 यात्री सवार थे. जिसमें से अभी तक 68 यात्रियों के शव को निकाला जा चुका है और 4 लोगों के शव लापता हैं. यह भी बताया जा रहा है कि इसमें 5 भारतीय शव हैं.
इस सिलसिले में नेपाल सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है. बता दें कि एयरलाइंस की ATR-72 फ्लाइट पोखरा एयरपोर्ट पहुंचने से 10 सेकेंड पहले ही हादसा हो गया. यह विमान पोखरा घाटी में सेती नदी की खाई में जा गिरा. आज से ठीक 15 दिन पहले ही इस पोखरा एयरपोर्ट का उद्घाटन किया गया था.
पीएम मोदी ने किया शोक व्यक्त
इस दुखद हादसे को लेकर पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट लिखकर शोक व्यक्त किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि नेपाल में दुखद हवाई दुर्घटना से आहत, जिसमें भारतीय नागरिकों सहित कीमती जान चली गईं. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं.
ट्वीट देखें-
प्लेन 15 साल पुराना
मिली जानकारी के मुताबिक, नेपाल प्लेन क्रैश के पीछे कई वजह बताई जा रही हैं. इसी बीच एक और खबर सामने आई है, कि यह प्लेन करीब 15 साल पुराना एटीआर 72-500 का है, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 9N-ANC और साथ ही सीरियल नंबर 754 बताया जा रहा है. देखा जाए तो यह विमान अविश्वसनीय डेटा वाले पुराने ट्रांसपोंडर से लैस था. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि प्लेन में अचानक आई तकनीकी खराबी या फिर मानवीय त्रुटि के चलते यह भयानक हादसा हुआ है. इसके पीछे की जांच पड़ताल चल रही है तभी पूरी सच्चाई का पता चल पाएगा.
पायलट के पति की भी हुई थी विमान दुर्घटना में मौत
नेपाल में दुखद हवाई दुर्घटना में पायलट अंजू की मौत की खबर से पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया है. पायलट अंजू विराटनगर की रहने वाली था, जोकि नेपाल में पड़ता है. बता दें कि पायलट अंजू के पति की भी मौत साल 2006 में एक विमान हादसे में हो गई थी. पति की मौत के बाद अंजू ने भी पायलट बनने का सपना देखा और इसके लिए वह अमेरिका में जाकर पायलट की पढ़ाई करने लगी और वहीं से ही इसका प्रशिक्षण लिया.
अंजू ने भारत में सिर्फ 12वीं तक ही शिक्षा प्राप्त की है. बताया जा रहा है कि अंजू को 100 घंटे तक का जहाज उड़ाने का अनुभव प्राप्त था. इसी के साथ वह कई बार हवाई अड्डों पर सफलतापूर्वक उड़ान कर चुकी थी. इस आखिरी उड़ाने के बाद अंजू को कैप्टन का प्रमाणपत्र प्राप्त होने वाला था. लेकिन कहते हैं न किस्मत और जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है. पायलट अंजू के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ.