देश के राष्ट्रीय फूल (National Flower of India) 'कमल' के बारे में यह बात सबको पता है कि यह तालाब में उगता है. कीचड़ में निकलने वाले इस कमल (Lotus) का इस्तेमाल ज़्यादातर पूजा-पाठ में ही किया जाता है और यही वजह है कि इसके उत्पादन में किसान कुछ ख़ास रुचि नहीं लेते हैं. वहीं अब ऐसा नहीं होगा. यह कमल का फूल अब किसानों के लिए आमदनी का एक बेहतर ज़रिया बनने जा रहा है. कमल को अब कीचड़ के साथ खेतों में भी उगाने की तैयारी की जा रही है. जी हाँ, जल्द ही किसान आने वाले कुछ समय में कमल की खेती कर सकेंगे जिससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी. इसी को संभव बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने "मिशन लोटस" की शुरुआत की है.
National Botanical Research Institute (NBRI) Mission Lotus के तहत न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मज़बूत करेगा बल्कि लोगों की सेहत भी सुधारेगा. संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस.के. तिवारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना पर काम किया जा रहा है. इस प्रयास में सफल होने के बाद इसकी खेती की शुरुआत कराई जाएगी.
डॉ. एस.के. तिवारी ने बताया कि संस्थान कमल की चुनिंदा किस्मों की पहचान करेगा और सफलता मिलने के बाद कमल के बीज किसानों को उपलब्ध कराएगा जिससे किसान इसकी खेती कर सकें. उन्होंने बताया कि कमल की खेती किसान धान की खेती की तरह ही कर सकेंगे.
कमल को लाभकारी फसल बनाने की तैयारी
इस मिशन लोटस के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली किस्मों की पहचान करते हुए कृषि प्रौद्योगिकी के साथ वैल्यू एडेड उत्पाद तैयार किए जाएंगे. इससे कमल को भी एक लाभकारी और अच्छा मुनाफ़ा देने वाली फसल के रूप में किसानों तक पहुंचाया जाएगा.
कमल के पौष्टिक तत्व बढ़ाएंगे सेहत और व्यवसाय
डॉ. तिवारी के मुताबिक लोग कमल के फूल के बारे में ही ज़्यादा जानते हैं और इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. फूल के साथ ही इसकी जड़ों और बीजों में भी कई तरह के खास पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. यही वजह है कि इनसे कई तरह के उत्पाद भी बनाए जाते हैं. इन उत्पादों की विदेशों में (international market) में काफी मांग है. इस तरह व्यवसाय की दृष्टि से भी किसानों के लिए बड़े पैमाने पर कमल की खेती काफी मुनाफ़े का सौदा साबित हो सकती है. चीन और साउथ अमेरिका जैसे कई देशों में कमल से बने उत्पादों का भारी मात्रा में इस्तेमाल किया जा रहा है.
कमल के तने से तैयार होते हैं व्यंजन
कमल के तने को 'भसेड़' या 'भसीड़ा' कहा जाता है। इसमें मौजूद न्यूट्रीशनल वैल्यू (nutritional value) की वजह से कई लोग इसका इस्तेमाल खाने में भी करते हैं. भसेड़ के साथ इसके बीज से भी कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं.