नेशनल मखाना बोर्ड की पहली बैठक आज नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव, डॉ. देवेश चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में बिहार के कृषि विभाग के प्रधान सचिव, पंकज कुमार तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह उपस्थित रहे। यह बैठक भारत में मखाना क्षेत्र के वैज्ञानिक, तकनीकी और बाजारोन्मुख विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बैठक में केंद्रीय मखाना विकास योजना और नेशनल मखाना बोर्ड के क्रियान्वयन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आरंभ की गई। राज्यों तथा अनुसंधान संस्थानों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक कार्य योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई और विभिन्न घटकों पर बजट आवंटन को मंजूरी दी गई। प्रमुख रूप से मखाना उत्पादन बढ़ाने, तकनीक हस्तांतरण, बाजार विस्तार, सब्सिडी प्रावधान, स्टार्टअप एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने से संबंधित निर्णय लिए गए, जिससे किसानों और नए उद्यमियों को सीधा लाभ मिलेगा।
बैठक में राज्यों की बीज आवश्यकता को एकीकृत करने तथा वर्तमान और आगामी वर्ष के लिए गुणवत्ता युक्त बीजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु बिहार के सबौर स्थित कृषि विश्वविद्यालय (SAU) और अन्य शोध संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। राज्य कृषि विश्वविद्यालय, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और एनआरसी मखाना, दरभंगा को विभिन्न राज्यों के प्रशिक्षकों (ट्रेनर्स) को मखाना मूल्य श्रृंखला की नवीनतम तकनीकों पर प्रशिक्षण प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई, ताकि पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों क्षेत्रों में मखाना उत्पादन में वृद्धि हो सके।
बोर्ड ने मखाना आधारित आवश्यकता-आधारित अनुसंधान, उन्नत खेती एवं प्रसंस्करण तकनीकों के विकास, ग्रेडिंग, ड्राइंग, पॉपिंग और पैकेजिंग हेतु आधुनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना, मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, बाजार संबंध और निर्यात अवसरों को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया। इससे मखाना उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी घरेलू एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार द्वारा 15 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय मखाना बोर्ड के औपचारिक शुभारंभ के साथ ही 2025-26 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा को मूर्त रूप दिया गया। मखाना क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने 476.03 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक संचालित होने वाली केंद्रीय मखाना विकास योजना को मंजूरी दी है। इस योजना से अनुसंधान, बीज उत्पादन, किसानों की क्षमता-वृद्धि, कटाई और प्रसंस्करण तकनीक, मूल्य संवर्धन, मार्केटिंग एवं निर्यात को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।
बैठक ने भारत के मखाना क्षेत्र के लिए एक समन्वित, वैज्ञानिक एवं बाजार-उन्मुख विकास का मजबूत रोडमैप तैयार किया है, जिससे आने वाले वर्षों में मखाना उद्योग को नई गति और वैश्विक पहचान प्राप्त होगी।