सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 23 March, 2023 5:46 PM IST
नैनो यूरिया सब्सिडी

एक संसदीय पैनल ने मंगलवार को कहा कि महत्वपूर्ण फसल के विकास के लिए नैनो-यूरिया का सही इस्तेमाल किया जाना जरुरी है. इसके उपयोग से उर्वरक सब्सिडी पर 20 से 25 प्रतिशत की बचत हो सकती है.

नैनो-फर्टिलाइजर फॉर सस्टेनेबल क्रॉप प्रोडक्शन एंड पैनल ने कहा, इस नैनो यूरिया के इस्तेमाल से सरकार को करीब 20,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन यूरिया की सब्सिडी देने जाने पर विचार किया जा रहा है. प्रति वर्ष सब्सिडी बिल में लगभग 25,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. पैनल ने यूरिया के आयात में निरंतर वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश में यूरिया का आयत 2016-17 में 5.48 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में 9.8 एमटी हो गया है, इसके चलते देश को आयात के कारण 26% अधिक सब्सिडी का बोझ उठाना पड़ रहा है.

नैनो यूरिया के व्यावसायिक उत्पादन को 2021 में इंडिया फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (आरसीएफ) के द्वारा शुरू किया गया है. नैनो यूरिया, पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में पौधों को अधिक नाइट्रोजन प्रदान करता है. इसकी सिर्फ 500 मिलीलीटर की मात्रा पारंपरिक यूरिया के 45 किलो बैग के बराबर होती है.

ये भी पढ़ेंः नैनो यूरिया क्या है? जैविक खेती में साबित हो सकता है मील का पत्थर

भारत सरकार ने 2025 तक नैनो यूरिया की वर्तमान वार्षिक उत्पादन क्षमता को 50 मिलियन बोतल से बढ़ाकर 440 मिलियन बोतल करने का लक्ष्य रखा है. भारत 35 मीट्रिक टन यूरिया की कुल वार्षिक मांग में से करीब 29 मीट्रिक टन यूरिया का घरेलू उत्पादन करता है और बाकी की निर्भरता आयात पर है. कृषि मंत्रालय ने भी अगले खरीफ सीजन से नैनो-डायमोनियम फॉस्फेट की शुरूआत के लिए मंजूरी दे दी है, जिससे देश के आधे से ज्यादा डीएपी जरूरत का आयात किया जाता है.

English Summary: Nano urea could save Rs 25,000 cr in fertilisers subsidy annually
Published on: 23 March 2023, 05:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now