लॉकडाउन के बाद लाखों लोगों को अपनी नौकरी और व्यवसाय से हाथ धोना पड़ा है. यही कारण है कि अब हर कोई कमाई की नई संभावनाओं की तरफ देख रहा है. अगर आप भी कुछ खुद का काम शुरू करना चाहते हैं, लेकिन पैसों के अभाव में नहीं कर पा रहे तो ये खबर आपके लिए है.
एग्री वर्क के लिए मिल रहा है लोन
कृषि क्षेत्र के साथ-साथ इससे संबंधित व्यापार करने के लिए अनुदान दिए जा रहे हैं. जी हां, बैंकों की सहायता से सरकार व्यवसायियों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान प्रदान कर रही है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इन योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. चलिए आपको आज इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
नाबार्ड कर रहा है मदद
एग्री क्लीनिक और एग्री बिजनेस जैसे कामों के लिए बैंकों से आराम से ऋण मिल सकता है. इस काम में आपकी सबसे अधिक मदद नाबार्ड करता है, जिसके माध्यम से व्यापार को स्थापित करने के लिए आपको अनुदान मिलता है.
इस तरह मिलेगा अनुदान
अगर आप व्यक्तिगत तौर पर कोई काम शुरू करना चाहते हैं, तो बैंक आपको इसके लिए 20 लाख रुपये तक का लोन देता है, वहीं आप समूह में मिलकर कोई काम शुरू करना चाहते हैं, तो बैंक आपको एक करोड़ तक ऋण देता है.
इन्हें मिलेगा आरक्षण का लाभ
अगर आप सामान्य वर्ग से आते हैं, तो नाबार्ड आपको 33 फीसद अनुदान देता है, लेकिन अगर आप एससी या एसटी वर्ग से आते हैं, तो आपको 44 फीसद तक का अनुदान मिलता है.
बैंक पैसा देने को तैयार, लेकिन कोई लेने वाला नहीं मिला
अच्छे से अच्छा सरकारी काम जानकारी के अभाव में खराब हो जाता है, इसका उदाहरण इस योजना को मान सकते हैं. झारखंड का ही उदाहरण देख लीजिए, एसएलबीसी की बैठक में बैंकों ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत उन्हें किसी तरह के आवेदन अभी तक नहीं मिले हैं, जबकि वो मदद करने को तैयार हैं.
नाबार्ड ने माना जागरूकता का अभाव
ऐसा नहीं है कि सरकार और बैंकों की उपेक्षाओं को नाबार्ड नहीं मानता. सीजीएम एके पाढ़ी का बयान इस संदर्भ में बहुत कुछ कहता है. एके पाढ़ी बताते हैं कि इस योजना को लेकर जन समाज में जागरूकता का अभाव देखा जा सकता है, ये बात दुखद है कि कृषि स्नातकों के लिए अच्छी योजना भी सफल नहीं हो पाई, वो भी तब जब रोजगार को लेकर मारा-मारी है.
बहुउद्देशीय योजना
हालांकि एके पाढ़ी दूसरी तरफ ये भी कहते हैं कि झारखंड के अलावा बाकि राज्यों में काम अच्छा हो रहा है. वहां उदासीनता का माहौल नहीं है और लोग बैंकों के माध्यम से नए-नए कृषि कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना को कई उद्देशयों के साथ शुरू किया गया है. लेकिन इसके दो सबसे प्रमुख फायदें हैं, पहला कि कृषि स्नातक खुद का बिजनेस खड़ा कर सकेंगें और दूसरा कि मध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
सलाहकार की मिलेगी जिम्मेदारी
वैसे आपको बता दें कि इस योजना में प्रावधान है कि कृषि बिजनेस से जुड़ने वाले लोग किसानों के लिए बतौर सलाहकार होंगें. किसानों को कृषि संबंधी जानकारी प्रदान करना उनका मुख्य काम होगा और इसके लिए उन्हें बाकायदा रजिस्टर भी मैंटेन करना होगा. कोई आदमी खाद, बीज व कीटनाशक आदि व्यापार करना चाहता है, तो उसके लिए ये सबसे अच्छा मौका है.