जहां एक ओर बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पेड़-पौधों की संख्या लगातार घट रही है, वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के प्रगतिशील किसान विजय पगारे ने इस चिंता को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक विशेष पहल में अपना योगदान देना शुरू किया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
पहल की शुरुआत
यह कहानी शुरू होती है तब, जब विजय पगारे ने देखा कि गांवों और खेतों में तेजी से पेड़ कट रहे हैं. हर तरफ निर्माण कार्यों और खेती के विस्तार के नाम पर पेड़ों की बलि दी जा रही थी. तभी उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के बारे में पता चला. उस पल विजय के मन में एक भाव आया, “अगर सरकार और नेता ऐसा कदम उठा सकते हैं, तो एक आम किसान क्यों नहीं?” इसी सोच के साथ उन्होंने अपने स्तर पर इस पहल को अपनाने का संकल्प लिया.
प्रतिज्ञा की शुरुआत
विजय पगारे ने यह संकल्प लिया कि वे हर दिन एक पेड़ लगाएंगे — एक अपनी माँ के नाम और एक धरती माँ के नाम. यह सिर्फ पौधे लगाने का अभियान नहीं था, बल्कि मातृत्व, कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति समर्पण की भावना का प्रतीक था.
धीरे-धीरे उन्होंने इस पहल को पूरे गांव और आसपास के क्षेत्रों तक फैलाया. उनके साथ कई किसान और युवा भी जुड़ने लगे. अब तक विजय पगारे जी इस प्रतिज्ञा को निभाते हुए लगभग 65 दिन पूरे कर चुके हैं, यानी 130 से अधिक पेड़ रोप चुके हैं.
समाज पर प्रभाव
इस पहल से न सिर्फ गांव की हरियाली बढ़ रही है, बल्कि लोगों की सोच में भी परिवर्तन आ रहा है. बच्चे, किसान और महिलाएं सब इस अभियान से जुड़ रहे हैं. लोग अब हर अवसर पर जैसे- जन्मदिन, सालगिरह या किसी शुभ कार्य पर एक पेड़ लगाने की परंपरा शुरू कर रहे हैं.
विजय पगारे कहते हैं, “पेड़ सिर्फ ऑक्सीजन नहीं देते, ये हमारे जीवन का आधार हैं. अगर हर इंसान एक पेड़ माँ के नाम लगाए, तो धरती फिर से हरी-भरी हो जाएगी.”
आने वाली पीढ़ी के लिए संदेश
विजय की यह पहल नई पीढ़ी के लिए एक सीख है कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है. उनकी मेहनत, समर्पण और सोच यह दर्शाती है कि एक व्यक्ति की पहल भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है.