महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने बीते कल यानी की 31 मई 2024 को तिलहनी फसलों में अनुसंधान को गति प्रदान करने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान, राजेंद्र नगर, हैदराबाद से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि हमारे राष्ट्र ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है. परंतु तिलहन व दलहन फसलों में आज भी हमें उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है. हमारी संपूर्ण जनसंख्या को तिलहन व दलहन आपूर्ति के लिए हमें इनका आयात करना पड़ता है.
डॉ कर्नाटक ने तिलहन उत्पादन बढ़ाने हेतु अधिक उपज देने वाली किस्मों की आवश्यकता बताई. साथ ही उन्होंने कहा कि तिलहनी फसलों के पैकेज एंड प्रैक्टिस में सुधार अत्यंत आवश्यकता है एवं उच्च कोटि के अनुसंधान द्वारा तिलहनी फसलों के हर पहलू पर नई तकनीकी कृषकों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
बता दें कि इस अवसर पर डॉ रवि कुमार माथुर, निदेशक, भारतीय तिलहन अनुसंधान केंद्र ने कहा कि इस सहमति पत्र के हस्ताक्षर के बाद दोनों ही संस्थाओं में तिलहनी फसलों पर संयुक्त रूप से अनुसंधान किए जा सकेंगे. दोनों संस्थाओं के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं विद्यार्थी उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठा सकेंगे. सहमति पत्र के अनुसार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र हैदराबाद जाकर तिलहनी फसलों पर उच्च कोटि का अनुसंधान वहां के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कर सकेंगे. डॉ अरविंद वर्मा, अनुसंधान निदेशक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने इस अवसर पर सहमति पत्र की विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की.
इसके अलावा उन्होंने बताया कि भारतीय तिलहन अनुसंधान केंद्र मुख्य रूप से 6 तिलहनी फसलों जैसे कि अरंडी, अलसी, तिल, कुसुम, सूरजमुखी एवं नाइजर पर अनुसंधान कर रही है. यह सभी फैसले जलवायु अनुकूलित फैसले हैं एवं वर्तमान में बढ़ती हुई स्वास्थ्य जागरूकता को देखते हुए इन सभी तिलहनी फसलों की मांग बहुत अधिक है, जिससे कि इन फसलों में अनुसंधान व उत्पादन बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं.
ऐसे में इस सहमति पत्र के अनुसार दोनों संस्थान अनुसंधान, शिक्षण व प्रसार के क्षेत्र में संयुक्त रूप से कार्य कर राष्ट्र के तिलहन उत्पादन को बढ़ाने में अपना अतुल योगदान दे सकते हैं. सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के समय विश्वविद्यालय की वरिष्ठ अधिकारी परिषद के सदस्य भी उपस्थित रहे.