पिछले 2 दशकों से भारत में लगातार इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है, इस बारे में कई तरह के शोध चल रहे हैं. लोगों की खराब सेहत को लेकर विशेषज्ञों में कई मतभेद हैं, लेकिन अभी हाल में कुछ ऐसा सामने आया है, जिसके बाद खाद्य जगत में खलबली मच गई है.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
दरअसल भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि लोगों की खराब होती सेहत का सबसे बड़ा कारण घर-घर तक पहुंचने वाला दूध है. जी हां, वही दूध जिसे भारतीय संस्कृति में पंचामृत में से एक अमृत कहा जाता है.
10 प्रतिशत दूध खराब
दरअसल एफएसएसएआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आज के समय 10 प्रतिशत दूध इतना मिलावटी हो चुका है कि वो किसी जहर की तरह शरीर को हानि पहुंचाता है. आपको हैरानी होगी कि इस 10 प्रतिशत में से 40 प्रतिशत खराब दूध पैकेज्ड मिल्क को माना गया है.
खतरनाक स्तर पर हो रही है मिलावट
आज के समय में भारत में कई ऐसे डेयरी फार्म हैं, जिन्हें न तो कहीं से मान्यता प्राप्त है और न उनके दूध का कोई हिसाब है. उनके द्वारा बेचा जा रहा अधिकतर दूध कॉन्टैमिनेटेड मिल्क की श्रेणी में आता है, जिसमें यूरिया, वेजिटेबल ऑयल, ग्लूकोज या अमोनियम सल्फेट आदि के मिले होने की खबरे भी सामने आई है.
क्या होता है कॉन्टैमिनेटेड दूध
हालांकि हर कॉन्टैमिनेटेड दूध शरीर के लिए हानिकारक तो है, लेकिन जानलेवा नहीं है. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि कॉन्टैमिनेटेड दूध कितना खराब है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उसे बनाने या बढ़ाने के लिए किस तरह की मिलावट की गई है. अगर दूध में सामान्य मिलावट है, तो वो सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन अगर उसमें बैक्टीरियल कॉन्टैमिनेशन है तो वो लंबी बीमरी को दावत या जानलेवा साबित हो सकती है.
दूध में मिलावट पर सजा तय
गौरतलब है कि दूध को सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन रक्षक पेय पदार्थ मानते हुए, उसमें मिलावट के लिए सजा तय की हुई है. मिलावट को लेकर यहां तक कि उम्र कैद की सजा का भी प्रावधान है. लेकिन फिर भी मिलावट का खेल इस स्तर पर चल रहा है, ये बात चौंकाने वाली है.