आज पंजाब और आसपास के राज्यों के शहरों में दूध और सब्जी की किल्लत हो सकती है. दरअसल मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तहत देश भर से 250 से ज्यादा किसान संगठनों ने 8 जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया है. भारत बंद को सफल बनाने के लिए संघर्ष समिति की ओर से गांवों में पर्चे बांटे गए और किसानों से अपील की गई है कि दूध, सब्जी समेत कोई भी उत्पाद शहर नहीं भेंजे. इससे पहले किसान संगठनों ने अलग-अलग राज्यों में 1 से 5 जनवरी तक गांवों में भारत बंद को सफल बनाने के लिए किसानों और ग्रामीणों के बीच जाकर प्रचार-प्रसार किया.
खबरों के मुताबिक, इस बंद को 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियन, वामदल और अनेक कर्मचारी संगठनों ने भी समर्थन की घोषणा कर रखी है. पूर्व नियोजित विरोध के चलते आज पंजाब के विभिन्न इलाकों से ग्रामीण अनाज, दूध, सब्जियां, फल आदि को शहर में जाने नहीं देंगे. ऐसे में लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं. इस बंद को लेकर किसानों का दावा है कि देशभर में 249 किसान संगठन और 80 विद्यार्थी संगठन इस बंद को समर्थन दे रहे हैं. सीटू से जुड़ी ट्रेड यूनियन के साथ-साथ ऑल इंडिया संघर्ष कमेटी की घोषणा के मुताबिक गांवों से दूध, सब्जी-फल के साथ-साथ हरा चारा की शहर में सप्लाई प्रभावित होगी. यह भी दावा किया जा रहा है कि पंजाब की ज्यादातर किसान यूनियनें इस आंदोलन में शामिल नहीं हैं. जिन यूनियनों ने बंद की कॉल दी है, वो ज्यादातर मालवा क्षेत्र में ही सक्रिय हैं. ऐसे में पंजाब में किसानों के बंद का असर दिल्ली पर पड़ने की संभावना बहुत कम है.
क्या हैं किसानों की प्रमुख मांगें
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संपूर्ण कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग के आधार पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना
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फसल की खरीद की गारंटी के अलावा 60 वर्ष से अधिक आयु के किसानों को न्यूनतम 5,000 रुपए मासिक पेंशन, फसल बीमा योजना में नुकसान के आकलन के लिए किसान के खेत को आधार मानना
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गन्ना किसानों को 14 दिन के अंदर भुगतान किया जाए या फिर ब्याज दिया जाए.
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आवारा पशुओं से फसलों के नुकसान को रोकने और मनरेगा को खेती से जोड़कर 250 दिन काम देने के साथ ही मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर फसल खरीदने वालों को जेल और जुर्माने का प्रावधान किया जाए.