Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 13 June, 2020 4:50 PM IST
Paddy Cultivation

पश्चिम बंगाल में चावल लोगों का प्रमखु खाद्य है. चावल उत्पादन में पश्चिम बंगाल आत्मनिर्भर है. बंगाल के उच्च गुणवत्ता वाले चावल की मांग लगभग  देश के सभी हिस्सों में हैं और यहां तक कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. राज्य सरकार ने हरित क्रांति योजना के तहत राज्य में चावल का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास तेज किया है. खरीफ के मौसम में अमन धान की खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है.

कृषि वभाग के सूत्रों के मुताबिक उत्तर बंगाल के सिर्फ सिलीगुड़ी में ही इस बार 700 हेक्टेयर क्षेत्र में अमन धान की खेती कर 3500 मेट्रिक टन चावल का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मानसून शुरू होने का आभास मिलते ही कृषि विभाग ने किसानों को धान का बीज बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मानसून शुरू होते ही खेतों में अमन धान की बुवाई शुरू हो जाएगी. इस दरम्यान जहां भी खेतों में अभी तैयार बोरो धान पड़ा हुआ है उसकी कटाई तेज कर दी गई है.

बोरो धान कटने के बाद उसमें अमन धान के बीज भी रोप दिए जाएंगे. एकमात्र पश्चिम बंगाल में ही रबी और खरीब दोनों मौसमों में तीन तरह की धान की खेती होती है. आउस, अमन और बोरो ये तीन तरह के धान का उत्पादन पश्चिम बंगाल होता है. बंगाल में वर्षा की अधिकता और उत्तम जलवायु उच्च कोटि के धान उत्पदान में विशेष रूप से सहायक है.

कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक ब्रिंगिंग ग्रीन रेव्यूलेशन टू इंस्टर्न इंडिया (बीजीआरआई) योजना के तहत धान की अच्छी खेती की संभावना वाले क्षेत्र में चावल का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. पिछले खरीफ के मौसम में प्रति हेक्टेयर भूमि में 4.45 मेट्रिक टन अमन धान की खेती हुई थी और 3115 मेट्रिक टन उत्पादन हुआ था. इस बार प्रति हेक्टेयर 5 मेट्रिक टन धान का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. इसलिए इस बार अतिरिक्त 385 मेट्रिक टन धान का उत्पादन बढ़कर करीब 3500 मेट्रिक टन तक पहुंच जाने की उम्मीद है.

सिलीगुड़ी महकमा के खड़ीबाड़ी, नक्सलबाड़ी, फांसीदावा और माटीगाड़ा आदि क्षेत्रों में धान की अच्छी खेती होती है. सिर्फ सिलीगुड़ी महकमा में ही करीब 2000 किसानों से अच्छी प्रजाति के धान का बीज बांटने के लिए कृषि विभाग ने संपर्क किया है. राज्य बीज निगम की ओर से 25-26 हजार मेट्रिक टन उच्च प्रजाति के धान के बीज की व्यवस्था की गई है. मानसून शुरू होते ही किसान खेतों में इन बीजों को रोपना शुरू कर देंगे.

कृषि विभाग के अधिकारियों को कहना है कि इस बार मौसम अच्छा है. समय से पहले मानसून आता है तो यह धान की खेती के लिए और अच्छी बात होगी. मानसून पूर्व अच्छी बारिश होने से खेत भी नम हो गए हैं. धान के बीज रोपने के लिए किसानों को खेतों को समतल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.

पहले से ही खेत नम होने के कारण धान के बीज मजबूती के साथ खेत में खड़े होंगे और इस बार धान की फसल बहुत अच्छी होगी. मौसम अच्छा होने को लेकर किसानों में भी धान की खेती को लेकर उत्साह बढ़ा है. कृषि विभाग भी इस बार अधिक से अधिक धान का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को हर संभव मदद कर रहा है. करीब 75 प्रतिशत कृषि भूमि पर धान की खेती होती है और इस तरह पश्चिम बंगाल भारत में चावल उत्पादक राज्यों में अग्रणी है. पश्चिम बंगाल सालाना औसतन 15-16 मिलियन टन धान का उत्पादन करता है. 

ऐसी ही कृषि सम्बंधित जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें हमारी कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट के साथ...

English Summary: Monsoon 2020- Paddy production will increase in Bengal under Green Revolution
Published on: 13 June 2020, 04:54 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now