केंद्र सरकार की बात करें, तो बीते कुछ दिनों में सरकार की नीति रही है कि कैसे छोटे किसानों को बाहरी दुनिया से जोड़ा जाए, ताकि उन्हें और भी अधिक ताकतवर बनाया जा सके. ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार छोटे किसानों (Farmers) को बाजार की बड़ी ताकत बनाने की दिशा में काम कर रही है.
इसके लिए सरकार ने किसान उत्पादक संगठन (FPO) चलाई है और इससे किसानों को साथ जोड़ा जा रहा है. इसके साथ ही किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा है कि डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. डिजिटल टेक्नोलॉजी से किसानों को सशक्त करने की दिशा में सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. वहीं, हैदराबाद में स्थिति ICRISAT की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश में 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं. किसी भी आपदा या आर्थिक संकट से सबसे अधिक वही प्रभावित होते हैं. जलवायु परिवर्तन भी उनके लिए संकट बनता जा रहा है. ऐसे में सरकार उनके उत्थान के लिए कई स्तरों पर प्रयास कर रही है.
क्या है FPO ?
एफपीओ यानि किसानी उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) किसानों का एक समूह होता है, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगकर और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाए. एक समूह बनाकर आप कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकते हैं. जो FPO कहलाएगा. आप भी चाहें तो इससे जुड़ सकते हैं.
बजट या आने आने वाले 26 सुनहरे साल का सपना
इस समारोह में मौजूद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री का गुणगान करते हुए कहा कि जब से प्रधानमन्त्री ने इस देश का कायर्भार संभाला है, तब से राष्ट्र को उनके माध्यम से नई दृष्टि और दिशा मिल रही है. वहीँ, इस वर्ष 2022-23 में पेश की गयी बजट पर चर्चा करते हुए कहा कि इस वर्ष का बजट ना केवल गांवों, गरीब लोगों, किसानों, दलितों, महिलाओं और युवाओं के हितों की रक्षा करने का प्रावधान करता है, बल्कि आने वाले 25 वर्षों के लिए नए भारत की नींव भी रखता है. जब देश अपनी आजादी के 100वें वर्ष का जश्न मना रहा होगा.
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अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बजट होता क्या है. और इसका मुख्य उद्देश क्या है और क्या होना चाहिए. संविधान और तथ्यों की मानें, तो बजट हर साल का लेखा-जोखा है. जो यह बताता है कि सरकार ने देश, जनता और अन्य कामों के लिए कितना खर्च किया और आने वाले 1 साल में और कितना खर्च करने का मन बनाया है. ऐसे में सरकार और वित्त मंत्री द्वारा आने वाले सुनहरे 26 साल का यह घेरा-बंदी जनता और ख़ास कर किसानों को चुभता नजर आ रहा है.
तोमर ने कहा कि हम सभी कृषि और किसानों के महत्व को जानते हैं. पहले हमारे पास ‘जय जवान जय किसान’ का नारा था और जब स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तो उन्होंने नारे में ‘जय विज्ञान’ जोड़ा.
जब मोदी जी पीएम बने तो उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान को लागू किया और उन्होंने इस नारे में जय अनुसंधान (शोध) को भी जोड़ा. यहीं कारण है कि अगर हम पीएम मोदी के किसी भी कार्यक्रम को देखें तो हम इसे आत्मनिर्भर भारत, एक भारत और श्रेष्ठ भारत आदि के संदर्भ में नवाचार, अनुसंधान, बहु-दिशात्मक प्रगति के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए देख सकते हैं.