मिशन 2047: MIONP – भारत को जैविक, प्राकृतिक और लाभदायक बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन अगले 48 घंटों के दौरान कई राज्यों में बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी, पढ़ें IMD की लेटेस्ट रिपोर्ट! छत पर फल-सब्जियां उगाने के लिए सरकार दे रही है 75% तक सब्सिडी, जानें आवेदन प्रक्रिया! Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 20 March, 2025 4:07 PM IST
NASC कॉम्प्लेक्स, ICAR, नई दिल्ली में ‘मिशन 2047: MIONP’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला में सम्मानित गणमान्य व्यक्ति।

जैसे-जैसे दुनिया जलवायु परिवर्तन, तेजी से बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, वैसे-वैसे जैविक खेती जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि जागरण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ मिलकर 'मिशन 2047: MIONP' - मेक इंडिया ऑर्गेनिक, नेचुरल और प्रॉफिटेबल विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला आयोजित कर रहा है. यह दो दिवसीय कार्यक्रम ICAR, NASC कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में हो रहा है और 21 मार्च 2025 तक चलेगा. इस आयोजन में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ, शोधकर्ता, किसान, हितधारक और पेशेवर शामिल हुए हैं, जो MIONP आंदोलन की तीन बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए काम कर रहे हैं. 'भारत का जैविक जागरण' थीम और 'जैविक भारत के लिए लाभदायक बदलाव' (PTJB) पर जोर देते हुए, यह कार्यक्रम भारत को जैविक और प्राकृतिक खेती में वैश्विक नेता बनाने की  दिशा में यात्रा को तेज करना चाहता है.

इस महत्वाकांक्षी पहल का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत में पूरी तरह जैविक, प्राकृतिक और लाभदायक कृषि व्यवस्था बने. यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) और भारत को टिकाऊ कृषि में एक वैश्विक ताकत बनाने के सपने से जुड़ा हुआ है. कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर मौजूद माननीय अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद प्रख्यात वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए.

मिशन 2047: MIONP' पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला में दीप-प्रज्वलन समारोह की झलक

PPV&FRA के चेयरमैन और ICAR के पूर्व महानिदेशक (मुख्य अतिथि) डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा, भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और फिलहाल खाद्य उत्पादन के मामले में अच्छी स्थिति में है. लेकिन आने वाले वर्षों में बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए हमें इस उत्पादन को बनाए रखना होगा. साथ ही, हमें हानिकारक खाद्य पदार्थों और दवाओं से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक स्तर पर लगभग 72 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती की जा रही है, जबकि भारत में यह क्षेत्र मात्र 2 मिलियन हेक्टेयर ही है. हमें विज्ञान और तकनीक का उपयोग करके भारत को जैविक खेती में बदलने के लिए एक व्यवस्थित योजना बनाने की जरूरत है. यह बदलाव एक रात में नहीं होगा, बल्कि किसान इसे धीरे-धीरे अपनाएंगे. किसानों के लिए एकीकृत सिफारिशें होनी चाहिए, और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करना हमारी ज़िम्मेदारी है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बदलाव को आसान बनाने और इसे हकीकत में बदलने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप जरूरी है और इस विषय पर नीति आयोग में गहन चर्चा होनी चाहिए. विस्तृत और क्षेत्र-विशिष्ट शोध बहुत महत्वपूर्ण है और हमें सभी प्रमुख पहलुओं पर विचार-विमर्श करना होगा. जैविक भारत को साकार करने के लिए हर स्तर पर हस्तक्षेप जरूरी है. इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों से नीतिगत समर्थन और निवेश आवश्यक है. सहयोग ही सफलता की कुंजी है. अब समय आ गया है कि हम तेजी से काम करें और आगे बढ़ें.

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. आर.बी. सिंह ने कहा, कृषि जागरण द्वारा शुरू की गई MIONP पहल वास्तव में प्रभावशाली है. भारत की बढ़ती आबादी के कारण खाद्य उत्पादन बढ़ाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गई है. उन्होंने कृषि क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों पर जोर देते हुए कहा कि इन समस्याओं का समाधान करने के लिए 'एक विश्व, एक परिवार' के सिद्धांत पर आधारित सामूहिक प्रयास की जरूरत है.

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ. तरुण श्रीधर ने जैविक खेती के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और कृषि के बीच बेहतर सहयोग जरूरी है. उन्होंने यह भी बताया कि जैविक खेती के तहत भूमि के प्रतिशत पर कोई प्रामाणिक वैश्विक डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन भारत वैश्विक जैविक खेती में 30% का योगदान देता है. भारत के मिशन ऑर्गेनिक इंडिया की ओर बढ़ते कदमों पर उन्होंने इसकी सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं.

भारतीय कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने कहा, हमारा देश खाद्यान्न की कमी के दौर से निकलकर अब खाद्य अधिशेष राष्ट्र बन चुका है और दूसरे देशों को खाद्यान्न निर्यात भी कर रहा है. उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला, जो कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के मामलों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से 'रसायन मुक्त खेती, ज़हर मुक्त समाज' के नारे के साथ इस मुद्दे पर काम कर रहा हूं. वैज्ञानिक भी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं ताकि बिना उपज, गुणवत्ता या किसानों की आय से समझौता किए भारत को जैविक बनाया जा सके. उन्होंने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए पूरी कृषि जागरण टीम को शुभकामनाएं दीं.

एशियाई पीजीपीआर सोसाइटी के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. एम.एस. रेड्डी ने भारत को जैविक बनाने की पहल के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं. उन्होंने बताया कि भारत पहले से ही जैविक उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है. साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस आह्वान का जिक्र किया, जिसमें उर्वरकों और फसल सुरक्षा रसायनों जैसे रासायनिक इनपुट को खत्म करने की बात कही गई थी, ताकि पैदावार से समझौता किए बिना सभी के लिए पौष्टिक और सुरक्षित भोजन सुनिश्चित किया जा सके. उन्होंने सभी से आग्रह करते हुए कहा कि, "आइए, इस लक्ष्य को पाने के लिए मिलकर काम करें."

अपने मुख्य भाषण में, ZYDEX के प्रबंध निदेशक डॉ. अजय रांका ने 2047 में भारत के लिए अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा,  तब तक हमारे जल संसाधन प्रचुर मात्रा में होने चाहिए और देशभर में हरियाली फैली होनी चाहिए. इसे हासिल करने के लिए हमें जैविक खेती को अपनाना होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को केवल उत्पादक नहीं, बल्कि निजी उद्यमी के रूप में देखा जाना चाहिए, जो लाभ के लिए भी काम कर रहे हैं. 

डॉ. रांका ने जैविक खेती में बदलाव के दौरान किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि स्वस्थ मिट्टी के लिए वायु संचार, ह्यूमस की मात्रा बढ़ाने और माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि जैविक इनपुट टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने और फसलों की बेहतर वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

इसके अलावा, डॉ. अजय रांका ने बीज अंकुरण और बीज एनकैप्सुलेशन तकनीक पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि एनकैप्सुलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सक्रिय एजेंट वाहक सामग्री के भीतर संलग्न होते हैं. यह तकनीक खाद्य पदार्थों में बायोएक्टिव अणुओं और जीवित कोशिकाओं की डिलीवरी में सुधार के लिए एक मूल्यवान उपकरण है. अपने भाषण के समापन पर, डॉ. रांका ने गर्व से कहा,"जय जवान, जय जैविक किसान अब हमारा नारा है. आइए, इसे हकीकत बनाने की दिशा में मिलकर काम करें.

ब्लू कोकून डिजिटल में प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार के प्रमुख, सौविक देबनाथ ने अपनी कंपनी की यात्रा साझा करते हुए कृषक समुदाय को समर्थन देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को डिजिटल उपकरणों के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी है. साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सफलता के लिए प्रामाणिक डेटा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "डिजिटल रूप से सशक्त कृषक समुदाय बनाने के लिए सहयोग बेहद जरूरी है."

हार्वेस्टप्लस के प्रतीक उनियाल ने कहा, हम देशभर के लाखों किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और आयरन और जिंक से भरपूर बायोफोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत को जैविक बनाना बेहद जरूरी है और मैं इस पहल के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं.

कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक, एम.सी. डोमिनिक ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी के लिए पौष्टिक और सुरक्षित भोजन की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने जैविक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसे पैदावार से समझौता किए बिना अपनाया जा सकता है, साथ ही इससे किसानों की आय भी बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा,  मुख्य फोकस 'लाभदायक संक्रमण का एक फसल लक्ष्य' होगा. आइए, हम सब मिलकर 2024 तक जैविक भारत के सपने को साकार करें. आइए, हम एकजुट होकर इस साझा दृष्टिकोण की दिशा में काम करें.

इसके बाद, कृषि जागरण की प्रबंध निदेशक, शाइनी डोमिनिक ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया. साथ ही, समूह फोटोग्राफ भी लिया गया, जिससे इस महत्वपूर्ण आयोजन के यादगार क्षण को संजोया जा सके.

NASC कॉम्प्लेक्स, ICAR, नई दिल्ली में ‘मिशन 2047: MIONP’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला के वैश्विक सत्र में सम्मानित गणमान्य व्यक्ति।

जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ा, वैश्विक सत्र की शुरुआत आईसीएआर के कृषि विस्तार उप महानिदेशक, डॉ. राजबीर सिंह के संबोधन से हुई. उन्होंने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन और परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) जैसी सरकारी पहलों के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों की योजनाओं का उल्लेख किया और बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही, उन्होंने जैविक खेती से जुड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और प्रमाणन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के महत्व को रेखांकित किया.

AARDO के महासचिव, डॉ. मनोज नरदेव सिंह (मुख्य अतिथि) ने सत्र का समापन करते हुए कहा, "हम सभी 2047 तक भारत को जैविक और प्राकृतिक बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे विकसित भारत के विजन में योगदान मिलेगा. महिलाओं और किसानों के योगदान के बिना यह लक्ष्य संभव नहीं होगा. हमें इस विजन को हकीकत बनाने के लिए उनके साथ मिलकर काम करना होगा. उन्होंने वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि गांवों के विकास और सरकार के सहयोग पर भी ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा,  आइए, हम खेती के प्राकृतिक तरीकों पर लौटें. महात्मा गांधी प्राकृतिक खेती और आत्मनिर्भर गांवों में दृढ़ विश्वास रखते थे. साथ ही, उन्होंने बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण के लिए जैविक खाद्य पदार्थों के महत्व पर भी प्रकाश डाला.

फर्स्ट वर्ल्ड कम्युनिटी के संस्थापक, डॉ. सीके अशोक ने श्री और सुश्री डोमिनिक के दूरदर्शी नेतृत्व में कृषि जागरण द्वारा संचालित MIONP पहल की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, समय आ गया है कि जहर मुक्त भोजन की ओर रुख किया जाए. उन्होंने MIONP को हकीकत बनाने के लिए सभी के एकजुट होने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा,"यह हमारे देश में दूसरी हरित क्रांति है." इसके अलावा, उन्होंने मिट्टी को पुनर्जीवित करने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में वेटिवर (Vetiver) के महत्व पर प्रकाश डाला और मिशन की सफलता की कामना की.

गुजरात ऑर्गेनिक यूनिवर्सिटी के कुलपति, C.K. टिंबाडिया ने कहा, "प्राकृतिक खेती रसायन मुक्त खेती है, जिसमें गाय के गोबर से बनी खाद का उपयोग किया जाता है." उन्होंने बताया कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के नेतृत्व में गुजरात के कई किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं और अब वे देश के लिए एक मॉडल बन गए हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि "अगर किसान लगन से खेती करें, तो उन्हें अच्छी पैदावार और अधिक आय प्राप्त होगी. प्राकृतिक खेती आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है."

नाबार्ड के जीएम MK डे ने कहा, "300 से ज्यादा एफपीओ जैविक और प्राकृतिक खेती पर काम कर रहे हैं. नाबार्ड किसानों की सहायता के लिए कृषि ऋण के विस्तार की सुविधा प्रदान करता है. मैं आयोजकों को इस मिशन में बड़ी सफलता की कामना करता हूं और टीम को इसकी सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं."

भारतीय स्टेट बैंक के उप प्रबंध निदेशक, सुरेंद्र राणा ने किसानों के कल्याण और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए बैंक द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "हम किसानों को ऋण तक आसान पहुंच प्रदान कर रहे हैं, ताकि वे अपनी कृषि गतिविधियों को और बेहतर बना सकें. हमारा लक्ष्य किसानों को सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि प्रसंस्करणकर्ता भी बनाना है."

पद्मश्री सुंदरम वर्मा ने किसानों की आय में सुधार और स्थिरता सुनिश्चित करने में फसल विविधीकरण के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने प्राकृतिक खेती की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा, "हमें MIONP पहल के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है." उन्होंने जैविक खेती की आवश्यकता को दोहराते हुए MIONP की सफलता की कामना की.

सोमानी सीडज़ के प्रबंध निदेशक कमल सोमानी ने कहा, "हमने पहले हरित क्रांति हासिल की और अब हम भारत को जैविक और प्राकृतिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं." उन्होंने यह भी बताया कि बीज उद्योग ने ऐसे कई संकर (हाइब्रिड) विकसित किए हैं, जो जैव उर्वरकों और जैविक उर्वरकों के साथ अच्छी तरह काम करते हैं.

एल्गाएनर्जी के एमडी डॉ. देबब्रत सरकार ने बताया कि उनकी कंपनी माइक्रोएल्गी क्षेत्र में अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी आधारित फर्म के रूप में कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि कंपनी का मुख्य फोकस अगली पीढ़ी के जैविक इनपुट पर शोध, विकास और व्यावसायीकरण पर है, जिससे कृषि को अधिक प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाया जा सके. इसके अलावा, उन्होंने टिकाऊ तरीके से मिट्टी की उर्वरता सुधारने के बारे में भी अपने विचार साझा किए.

बायोम टेक्नोलॉजीज के एमडी डॉ. प्रफुल गाडगे ने मिट्टी के स्वास्थ्य को टिकाऊ कृषि के लिए प्राथमिकता देने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "बायोम टेक्नोलॉजीज कृषि-इनपुट क्षेत्र में अभिनव समाधान और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करता है," जिससे दुनिया भर के 150 से अधिक ग्राहक अपनी उत्पादकता और स्थिरता में सुधार कर रहे हैं.

इसके बाद कृषि जागरण के प्रबंध निदेशक शाइनी डोमिनिक ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया तथा सामूहिक फोटो खिंचवाई.

इस प्रकार, यह कार्यक्रम NASC कॉम्प्लेक्स, ICAR के विभिन्न हॉलों में आयोजित चार समकालिक गोलमेज सत्रों  के साथ आगे बढ़ रहा है. ये सत्र  भारत में जैविक खेती की उन्नति के लिए आठ महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी स्तंभों पर केंद्रित हैं, जो निम्नलिखित हैं:  

  • खेत की खाद की गुणवत्ता और दक्षता में वृद्धि
  • मिट्टी की उर्वरता को बहाल करना
  • प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसल की पैदावार में सुधार
  • पानी के उपयोग को कम करना और भूजल को रिचार्ज करना
  • जैविक कीटनाशक और प्राकृतिक फसल सुरक्षा
  • स्मार्ट कृषि के लिए सटीक खेती
  • जैविक इनपुट और आउटपुट परीक्षण के लिए क्षमता निर्माण
  • देसी बीज विकास और उपयोग

जैविक खेती अपनाने से यह पहल न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करेगी, बल्कि भारतीय किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत भी बनाएगी, जिससे वे अधिक आत्मनिर्भर बन सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य भारत और दुनिया के लिए एक अधिक टिकाऊ और स्वस्थ खाद्य प्रणाली बनाना है. इन प्रयासों के साथ, भारत 2047 तक टिकाऊ कृषि में एक वैश्विक नेता बनने की राह पर है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए "लाभदायक बदलाव का एक फसल लक्ष्य" अपनाया गया है, जिससे किसान आसानी से और फायदेमंद तरीके से जैविक खेती की ओर बढ़ सकें.

English Summary: mission 2047 mionp international conference for making india organic farming
Published on: 20 March 2025, 04:20 PM IST

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