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Updated on: 24 March, 2025 11:37 AM IST
एनएएससी कॉम्प्लेक्स, आईसीएआर, नई दिल्ली में ‘मिशन 2047: एमआईओएनपी’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला में शामिल हुए गणमान्य अतिथि

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला 'मिशन 2047: MIONP' - मेक इंडिया ऑर्गेनिक, नेचुरल और प्रॉफिटेबल, का सफल समापन 21 मार्च 2025 को नई दिल्ली के NASC कॉम्प्लेक्स में हुआ. इस दो दिवसीय आयोजन की मेजबानी कृषि जागरण ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से की. इसमें विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, उद्योग जगत के नेताओं, प्रगतिशील किसानों और अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों ने भाग लिया और जैविक व प्राकृतिक खेती पर अपने विचार साझा किए. इस कार्यक्रम की थीम 'भारत का जैविक जागरण' थी, जिसका उद्देश्य जैविक खेती को लाभकारी बनाकर भारत को इस क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनाना था.

इस सम्मेलन में चार समानांतर गोलमेज सत्र आयोजित किए गए, जिनमें जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए आठ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई. इनमें गोबर खाद की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरता बहाल करने, तकनीक के माध्यम से फसल उत्पादन में सुधार, जल उपयोग में कमी लाकर भूजल पुनर्भरण करने जैसी बातें शामिल थीं अन्य प्रमुख विषयों में जैविक कीटनाशक, सटीक खेती, जैविक इनपुट परीक्षण के लिए क्षमता निर्माण और पारंपरिक बीजों के विकास व उपयोग पर चर्चा हुई. इस आयोजन ने जैविक खेती को एक लाभकारी एवं टिकाऊ कृषि पद्धति के रूप में अपनाने पर जोर दिया.

दूसरे दिन, सभी आठ विषयों पर एक श्वेत पत्र तैयार किया गया, जिसमें चर्चाओं और मुख्य निष्कर्षों को संकलित किया गया. प्रत्येक विषय के अध्यक्षों और सह-अध्यक्षों द्वारा समाधान पत्र प्रस्तुत किए गए. इसके बाद एक ओपन हाउस सत्र हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को अपने विचार साझा करने और चर्चा करने का अवसर मिला.

ICAR के कृषि विस्तार के उपमहानिदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने 'ऑर्गेनिक, नेचुरल, प्रॉफिटेबल' शब्दों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग जैविक और प्राकृतिक खेती की बात करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसे आर्थिक रूप से व्यावहारिक मानते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि को लाभदायक बनाना अत्यंत आवश्यक है, जिससे 'विकसित भारत' की दिशा में प्रगति संभव हो सके. उन्होंने पर्यावरण संबंधी चुनौतियों, जैसे कि मिट्टी, वायु और जल प्रदूषण पर भी चिंता जताई. उन्होंने हरित क्रांति के दौरान जैव विविधता की अनदेखी और कृषि में सूक्ष्म जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की.

ICAR के कृषि अभियांत्रिकी के उपमहानिदेशक डॉ. एस.एन. झा ने आधुनिक कृषि में तकनीक की भूमिका को रेखांकित किया. उन्होंने किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने और सही प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि कृषि उत्पादन और स्थिरता में सुधार हो सके.

पारंपरिक बीज विकास विशेषज्ञ डॉ. मालविका ददलानी ने जैविक खेती के फायदों और चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि जैविक खेती करने वाले किसान अधिक संतुष्ट हैं और उन्हें अधिक लाभ भी हो रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक बीजों की आधिकारिक आपूर्ति की कमी एक बड़ी समस्या है. उन्होंने सुझाव दिया कि किसान उत्पादक संगठन (FPOs) इन बीजों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकते हैं और निजी कंपनियां भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

भारतीय कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र के महासचिव मकरंद कारकरे ने कहा कि स्वस्थ भोजन और स्वस्थ समाज के लिए मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि छात्रों को कृषि के मूल सिद्धांतों को सीखना चाहिए और इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए.

जल संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. संदीप शिर्केडकर ने जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने फार्म पोंड और अवशोषण गड्ढों के उपयोग की बात की और 'प्रोजेक्ट जलतारा' की तकनीक समझाई, जिसमें हर एकड़ पर 5x5x5 फीट के गड्ढे खोदकर उनमें पत्थर भरे जाते हैं, ताकि जल पुनर्भरण हो सके.

कान बायोसिस की अध्यक्ष संदीपा कानिटकर ने बायोचार के उपयोग को मिट्टी सुधारने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक क्रांतिकारी समाधान बताया. उन्होंने जैव उर्वरकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और जल उपयोग को अनुकूलित करने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

ICAR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. राव ने जैविक नियंत्रण की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने जैव कीटनाशकों, जैव कवकनाशकों और जैव नेमेटीसाइड्स की प्रभावशीलता पर चर्चा की और कहा कि कम लागत वाली, पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ तकनीकों की किसानों तक पहुंच जरूरी है.

शोभित इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मेरठ के प्रोफेसर मोनी मडास्वामी ने कृषि में डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रभाव पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया पहल के बावजूद, कृषि में डिजिटल पैठ केवल 3% है. उन्होंने छोटे किसानों के बीच डिजिटल जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया.

एनाकॉन लैबोरेट्रीज़ के प्रबंध निदेशक डॉ. दत्तात्रय गरवे ने खाद्य परीक्षण और प्रमाणन की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने छोटे किसानों को सहकारी कृषि संस्थाओं और किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs) में शामिल करने का सुझाव दिया, जिससे वे सामूहिक संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठा सकें.

'मिशन 2047: MIONP' - मेक इंडिया ऑर्गेनिक, नेचुरल और प्रॉफिटेबल, का सफल समापन

अंत में, समापन सत्र में सभी भागीदारों और प्रायोजकों को सम्मानित किया गया और इस महत्वपूर्ण अवसर को यादगार बनाने के लिए एक समूह फोटो खिंचवाई गई.

English Summary: Mionp 2025 organic natural farming expert insights in india
Published on: 24 March 2025, 11:42 AM IST

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