Hyderabad: भारत के मिलेट मैन कहे जाने वाले पीवी सतीश का लंबी बीमारी के कारण रविवार की सुबह हैदराबाद में निधन हो गया. उन्हें मिलेट्स का कृषि खाद्य प्रणाली में उपयोग के उनके अग्रणी काम के लिए याद किया जाएगा.
पीवी सतीश, डेक्कन डेवलपमेंट सोसाइटी के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक थे. वह तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के पास्तापुर गाँव में रहते थे. डीडीएस बोर्ड के सदस्य विनोद पवाराला ने कहा, श्री सतीश भारत में नागरिक समाज की सक्रियता के प्रतीक थे. ग्रामीण तेलंगाना में उनका ज़हीराबाद स्थित संगठन कृषि-जैव विविधता, खाद्य संप्रभुता, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय, स्थानीय ज्ञान प्रणाली, भागीदारी विकास और सामुदायिक मीडिया के मुद्दों को लेकर कार्य करता है.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में मोटे अनाजों को शामिल करने के हालिया प्रयासों का श्रेय उनके मार्गदर्शन में डीडीएस के काम को जाता है. सतीश ने एक स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थापना की थी, जो महिला किसानों द्वारा चलायी जाती थी, जो पूरी तरह से मिलेट्स या मोटे अनाजों की फसल पर आधारित थी.
वेंकटसुब्बैया सतीश का जन्म 18 जून, 1945 को मैसूर के पेरियापटना में हुआ था. वह भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से स्नातक थे और अपने कैरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी. उन्होंने दूरदर्शन के लिए लगभग दो दशकों तक एक अग्रणी टेलीविजन निर्माता के रूप में काम किया और तत्कालीन एकीकृत आंध्र प्रदेश में ग्रामीण विकास और ग्रामीण साक्षरता से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा रहे. उन्होंने 1970 के दशक में ऐतिहासिक सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
डीडीएस के निदेशक के रूप में, पीवी सतीश के लंबे समय से चले आ रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप तेलंगाना के 75 गांवों में हजारों गरीब महिलाओं की आजीविका में सुधार हुआ है. उन्होंने मिलेट नेटवर्क ऑफ इंडिया (एमआईएनआई), साउथ अगेंस्ट जेनेटिक इंजीनियरिंग (एसएजीई), एपी कोएलिशन इन डिफेंस ऑफ डाइवर्सिटी जैसे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का भी नेतृत्व किया और दक्षिण एशियाई खाद्य, पारिस्थितिकी नेटवर्क, सैनफेक के समन्वयक भी थे.
वह पूर्व में जेनेटिक रिसोर्सेज एक्शन इंटरनेशनल, बार्सिलोना, स्पेन के बोर्ड सदस्य थे और सस्टेनेबल फूड सिस्टम्स, ब्रुसेल्स, बेल्जियम पर विशेषज्ञों के अंतर्राष्ट्रीय पैनल के सदस्य भी रह चुके थे. श्री सतीश ने मीडिया में अपने अनुभव का इस्तेमाल भारत का पहला कम्युनिटी मीडिया ट्रस्ट शुरू करने के लिए किया था. मीडिया केंद्र के माध्यम से अनपढ़ दलित महिलाओं को फिल्म निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया गया, ताकि मीडिया स्पेस का लोकतांत्रिकरण किया जा सके.
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मोटे अनाजों को लोगों के खान-पान का जरीया बनाने में उनके आजीवन योगदान के लिए उन्हें हाल ही में दिल्ली में आरआरए (रीवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर) नेटवर्क द्वारा मिलेट्स पर पीपुल्स कन्वेंशन में सम्मानित किया गया था.