हरियाणा सरकार ने राज्यों के किसानों की भलाई के लिए बारिश से हुई फसल के नुकसान की जानकारी की मांग की है. बता दें कि फसल से संबंधित नुकसान को जानने के लिए ही सरकार ने E-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल को लॉन्च किया गया है.
राज्य के किसान इस पोर्टल में अपनी फसल खराब होने की जानकारी 72 घंटे के अंदर दर्ज कर सरकार तक पहुंचा सकते हैं. इसके लिए उन्हें कहीं भटकने की भी जरूरत नहीं है. किसान के द्वारा दर्ज की गई जानकारी को फिर पटवारी एक हफ्ते में खेत पर जाकर इसकी सही तरीके से जांच करेगा. खेत की जांच करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में लगातार हुए बारिश के चलते राज्य में लगभग 8 लाख एकड़ खेतों में पानी भर गया है, जिसके चलते किसान परेशानी में आ गए हैं. हालांकि, सरकार ने सभी खेतों से पानी निकालने के लिए जिलों के DC से हिदायत दी है. इसके लिए सरकार की तरफ से स्पेशल गिरदावरी भी शुरू कर दी गई है. अगर हम हरियाणा में सबसे अधिक फसल खराब जिले की बात करें तो अकेले करनाल में ही 90 हजार एकड़ तक धान के खेतों में बारिश का पानी भरा हुआ है.
खराब फसलों पर लाभ पाने के लिए भरे यह सभी डिटेल
किसान को सरकार की तरफ से खराब फसल का लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल (Meri Fasal Mera Byora Portal ) पर जमीन का खसरा नंबर के साथ फसल से संबंधित सभी जानकारी दर्ज करनी होगी. जैसे, पोर्टल में फसल का बीमा, कितनी एकड़ तक फसल है और कितने प्रतिशत तक फसल खराब हुई. मगर किसान भाई इस बात का भी ध्यान रखें कि राज्य के उन किसानों को सरकार की इस सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना और बीज विकास निगम प्रोग्राम से जुड़ें हैं.
कपास, धान और सब्जी की फसलें हुई खराब
इन दिनों हुए लगातार बारिश के कारण राज्य में कपास, धान और सब्जी की फसलें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते खेतों में से पानी नहीं निकाला गया, तो फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगी. हरियाणा के करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, रोहतक, सोनीपत, झज्जर और भिवानी और अन्य कई जिलों में लाखों एकड़ फसल खराब होने की कगार पर हैं.
पूसा-1509 और PR-126 फसलों का सबसे अधिक नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को पता चला है कि राज्य में बारिश के कारण सबसे अधिक पूसा-1509 और PR-126 फसलों की किस्मों का नुकसान हुआ है. देखा जाए, तो अधिक मात्रा में नमी के चलते भविष्य में मंडियों में इन फसलों के उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है.