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Updated on: 4 March, 2021 6:27 PM IST

बिहार कई कारणों से दुनियाभर में प्रसिद्ध है और उसकी प्रसिद्धी में हर दिन कुछ न कुछ नया जुड़ता ही जाता है. आम, लीची और मखाने के बाद अब यहां का मीट अपनी अलग पहचान बनाने जा रहा है. दरअसल चंपारण के मीट को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रयास से जीआई टैग मिलने जा रहा है.

चंपारण के मीट को विशेष पहचान

इस बारे में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने मीडिया को बताया कि स्वच्छ मांस उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक को प्राथमिकता देने के कारण चंपारण के मीट को जीआई टैग जल्दी ही मिलेगा. यहां का मीट न सिर्फ स्वाद में अधिक लजीज है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद है. इसके साथ ही चंपारण में बनने वाला मटन हड्डियों की मजबूती और मांसपेसियों को सेहतमंद रखने में सहायक है. विशेषज्ञों का मानना है कि खून की कमी को दूर करने, शरीर में आयरन को बढ़ाने और आंखों की रोशनी तेज करने में भी चंपारण का मटन अधिक असरदार है.

व्यापार को होगा फायदा

विश्वविद्यालय के पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित सेमिनार में बोलते हुए डॉ. रामेश्वर ने कहा कि जाआई टैग मिलने के बाद क्षेत्र के दुकानदारों, रेस्टोरेंट मालिकों, मीट शॉप्स आदि की कमाई बढ़ेगी. लोगों को यहां के मीट का महत्व समझाया जा सके, इसके लिए छात्रों को बेहतर ढंग से मीट काटने, स्वच्छता का ध्यान रखने, पैकेजिंग करने और मांस के लिए स्वस्थ पशुओं के चयन करने आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

चंपारण का मीट शुद्धता की पहचान

चंपारण का जीआई टैग वाला मीट शुद्धता का प्रमाण होगा. मीट उत्पादकों को बताया जाएगा कि कैसे तुरंत कटा हुआ मांस खाना वैज्ञानिक तरीके से सेहत के लिए खराब है और खस्सी को क्यों जमीन पर लेटाकर नहीं काटना चाहिए. विश्वविद्यालय द्वारा हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस मांस रहित मीट काटना लोगो को सीखाया जाएगा.

English Summary: meat of Champaran will get gi tag
Published on: 04 March 2021, 06:28 PM IST

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