पर्यावरण की बढ़ती समस्या और दूषित हो रहे वातावरण को रोकने के लिए हर साल 10 अगस्त को वर्ल्ड बायोफ्यूल डे मनाया जाता है. इसकी स्थापना 1890 में की गई थी. डीजल से चलने वाले इंजन में बढ़त देख यह साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर अभी इस पर लगाम ना लगाई जाए, तो आगे चलकर यह मानव जाति के लिए खतरा बन सकता है.
वर्ल्ड बायोफ्यूल डे का मुख्य मकसद इंधन के गैर परंपरा स्त्रोतों के बारे में लोगों को जागरूक करना है. इंधन के गैर परंपरागत स्त्रोत में जीवाश्म ईंधन एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.
इस दिन के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा बायोफ्यूल के क्षेत्र में किए गए विभिन्न कार्यों एवं प्रयासों को सभी के समक्ष दर्शाया जाता है. इसके साथ ही उन तमाम छोटे-बड़े उद्योग को भी उनके इस अथक प्रयास के लिए सराहा जाता है, ताकि वह और मजबूती और निष्ठा के साथ इस दिशा में काम करते रहें.
इसी कड़ी में मीरा क्लीन फ्यूल्स, वर्ल्ड बायोफ्यूल डे को और भी ऐतिहासिक बनाने और लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के लिए वर्ल्ड बायोफ्यूल डे के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय जैव ईंधन सम्मेलन आयोजित करने वाला है, जो कि सहारा होटल, विले परले में 10 बजे से आयोजित होने जा रहा है.
मीरा क्लीन फ्यूल इस दिशा में 2012 से काम कर रहा है. मीरा क्लीन फ्यूल्स का मुख्य मकसद भारत को ईंधन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है, इसलिए, वह बायोएनेर्जी वर्टिकल में अपने सभी हितधारकों को एक समान व्यापार सृजन मंच प्रदान करने का प्रयास कर रहा है. मीरा क्लीन फ्यूल्स जैव ईंधन के साथ कई अन्य प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है. मीरा क्लीन फ्यूल्स का मानना है कि जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के कारण सबसे अधिक प्रदूषण बढ़ा है. ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी उन्होंने जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) को ही जिम्मेदार ठहराया है.
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ऐसे में MCL का प्रयास यह है कि जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) को जैव ईंधन से बदला जा सके. MCL के अधिकारीयों ने आकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हर साल भारत 82% प्रतिशत ईंधन दूसरे देशों से आयात करता है, जिसमें भारत का कुल खर्चा लगभग 8 लाख करोड़ का है. ऐसे में हमारा मिशन भारत को ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है. इसी सिलसिले में मीरा क्लीन फ्यूल्स 10 अगस्त को ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में यह जागरूकता फैलाना चाहता है कि क्यों हमें वर्ल्ड बायोफ्यूल डे मनाने की जरुरत है?