किसानों ने अपनी मेहनत और लगन का परचम ना सिर्फ खेतों में लहराया है, बल्कि एक बार फिर ये साबित कर दिया कि वो चाहें तो कुछ भी हासिल कर सकते हैं. उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जब बंजर जमीनों पर वो हरियाली ला सकते हैं तो हम उनसे हर चीज़ की उम्मीद तो कर ही सकते हैं.
जी हां, तीनो कृषि कानून बिल को वापस लेने के लिए जिस तरह से सरकार को मजबूर कर दिया वो वाकई किसानों की सबसे बड़ी जीत थी.
नहीं व्यर्थ होगी किसानों की सहादत
मिली ख़बरों के मुताबिक, कि तीनों कृषि कानून को रद्द करवाने में सहभागिता दिखाने वाले और शहीद किसानों के परिजनों को सम्मानित करने के लिए किसान सभा हिसार में सम्मेलन करेगी. जीत को हासिल करने के लिए एक बार फिर वीरों ने अपनी जान गवाई थी. महत्वपूर्ण बात तो यह है कि उनकी शहादत व्यर्थ नही गयी. इसी क्रम में अब उन किसानों को सम्मानित करने का फैसला किया है. सभा के पदाधिकारियों ने इसकी तैयारियां शुरु कर दी हैं. इसके साथ ही किसान नेताओं ने जलभराव की समस्या को लेकर हिसार प्रशासन को आड़े हाथ लिया हैं.
किसानों के परिजनों को किया जाएगा सम्मानित
दिल्ली बॉडर पर धरना देकर तीनों कृषि कानून रद्द करवाने के लिए चली 1 साल की लंबी लड़ाई में जिस भी किसान ने अपनी प्राणों की आहुति दी. ऐसे किसान के परिजनों को अब हिसार में 1 जनवरी को अखिल भारतीय किसान सभा की तरफ से सम्मानित किया जाएगा. किसान नेताओं ने हिसार में बकायदा इसके लिए बैठक कर ड्यूटियां सुनिश्चित की हैं. हिसार के लघु सचिवालय के नजदीक यह बैठक हुई, जिसमें हिसार जिला की कार्यकारिणी भी मौजूद रही.
अन्य पहलुओं पर भी होगा विचार
किसान नेताओं ने कहा कि बैठक में कई अन्य पहलुओं पर भी मंथन हुआ हैं, जिसमें मुख्यत: किसानों ने जलभराव की वजह से रबी की फसल बिजाई ना हो पाने को लेकर भी पुख्ता तौर पर चर्चा हुई. स्थानीय किसानों के मुताबिक़ 18 गांवों में 15 हजार एकड़ से ज्यादा भूमि जलमग्न होने के कारण किसानों की फसलों की बिजाई नहीं हो पाई. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार को चाहिए कि किसानों को इसके लिए मुआवजा जारी करे, साथ ही उन्होंने पिछले साल के खराब मुआवजे की भी मांग की.
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कब निकलेगा किसानों के समस्या का हल
किसानों की मानें, हर साल उनका यही हाल रहता आया है. कभी प्रकृति की मार तो कभी सरकार और प्रशासन की लापरवाही का हर्जाना उन्हें भुगतना पड़ता है. ना तो सरकार के तरफ से सही मुआवजा मिल पाता है, ना ही मंदी में फसलों का सही दाम. ऐसे में किसानों के पास और कोई चारा नहीं रह जाता है.
वर्तमान स्थति पर अगर नजर डालें, तो किसानों को खाद के लिए ना जाने कितना संघर्ष करना पर रहा है और कब तक करना पड़ेगा.