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Updated on: 3 September, 2024 5:41 PM IST
मक्के की खेती

भारत में दुन‍िया का स‍िर्फ 2 फीसदी मक्का पैदा होता है. जो भारत में उत्पादन है उनमें से भी करीब 47 फीसदी पोल्ट्री फीड में चला जाता है. यहां इसका औद्योगिक इस्तेमाल बहुत कम होता है. लेक‍िन अब वक्त बदल रहा है. अब इथेनॉल उत्पादन के ल‍िए इसकी खेती को बढ़ावा देने का प्लान बनाया गया है. ज‍िसकी ज‍िम्मेदारी सरकार ने भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान को दी है. वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक डॉ. एसएल जाट ने कहा कि इसके ल‍िए केंद्र सरकार ने "इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि" नाम से प्रोजेक्ट शुरू क‍िया गया है. इसके तहत अच्छी क‍िस्मों के मक्के की बुवाई करवाई जा रही है. लेक‍िन इस प्रोजेक्ट के साथ ही आपको यह भी जानना चाह‍िए क‍ि मक्का कितने तरह का होता है और उसकी खास‍ियत क्या है.

मक्का के भारतवर्ष में चार मूल प्रकार बताए गए हैं और सभी में अलग-अलग और खास गुण होते हैं. डेंट कॉर्न, फ्लिंट कॉर्न, पॉपकॉर्न और स्वीट कॉर्न. भारत में प्रचलित किस्मों में 7 फीसदी डेंट, 36 फीसदी सेमी-डेंट, 25 फीसदी फ्लिंट और 32 फीसदी सेमी फ्लिंट मक्का उगाया जाता है.यहां बसंत ऋतु में डेंट, सेमी-डेंट, रबी में सेमी-डेंट तथा सेमी फ्लिंट और खरीफ में फ्लिंट, सेमी फ्लिंट और सेमी डेंट मक्के की खेती अध‍िक होती है.

डेंट कॉर्न: यह टेम्परेट मक्का है, जिसे फील्ड कॉर्न भी कहा जाता है. इसे दाने के लिए उगाया जाता है और यह अमेरिका में सबसे ज्यादा उगाया जाने वाला मक्का है. अमेरिका मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से पशु आहार और कुछ खाद्य उत्पादों को बनाने में किया जाता है. यह मक्का अधिकतर कम तापमान वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. इसमें कठोर और मुलायम स्टार्च का मिश्रण होता है, जो मकई के सूखने के बाद अंदर की ओर उभर जाता है. इसलिए इसका नाम "डेंट" कॉर्न रखा गया है.

फ्लिंट कॉर्न: इसे उष्ण और उपोष्ण मक्का के नाम से भी जाना जाता है. इसका बाहरी हिस्सा कठोर होता है और यह कई रंगों में पाया जाता है. फ्लिंट कॉर्न की पहचान एक कठोर बाहरी आवरण और सफेद से लेकर लाल रंग की विभिन्न किस्मों वाले दानों से होती है. यह ज्यादातर मध्य और दक्षिण अमेरिका में उगाया जाता है और मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका में कटाई के समय सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह गर्म जलवायु के लिए कम उपयुक्त है, लेकिन भारत में यह मक्का बहुतायत से उगाया जाता है. इसमें भंडारण के समय डेंट मक्का की तुलना में कम कीड़े लगते हैं.

पॉपकॉर्न: यह फ्लिंट कॉर्न का एक प्रकार है, लेकिन इसका अपना आकार, स्टार्च स्तर, और नमी की मात्रा अलग होती है. इसका बाहरी आवरण कठोर और अंदर का भाग नरम स्टार्च वाला होता है. इसकी उपज क्षमता डेंट और फ्लिंट से काफी कम होती है. इसका उपयोग मुख्य रूप से स्नैक्स के रूप में किया जाता है.

स्वीट कॉर्न: स्वीट कॉर्न लगभग पूरी तरह से नरम स्टार्च से बना होता है और कभी नहीं फूटता. इसे भुट्टे के तौर पर खाया जाता है. इसमें अन्य प्रकार के मकई की तुलना में अधिक मिठास होती है. स्वीट कॉर्न को तब तोड़ा और खाया जाता है जब दाने अपरिपक्व दूध की अवस्था में होते हैं, यानी दाने नरम होते हैं. स्वीट कॉर्न को चुनने के 24 घंटे बाद ही लगभग 50% चीनी स्टार्च में परिवर्तित हो सकती है, इसलिए इसे ताज़ा खाना सबसे अच्छा होता है.

सेमी फ्लिंट और सेमी डेंट: यह मक्का डेंट और फ्लिंट का मिश्रण है. यह टेम्परेट और ट्रॉपिकल मक्का की संकर प्रजातियाँ हैं, जिसमें दोनों के गुण होते हैं. इस तरह की किस्में भारत में प्रचलित हैं.

English Summary: Maize Cultivation in India Maize Types, Characteristics, and Growing Potential for Ethanol Production
Published on: 03 September 2024, 05:44 PM IST

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