मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सरकार ने सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी दी है. जो किसान सोयाबीन की खेती करते है उन किसानों के लिए भावांतर योजना की घोषणा की गयी है. जिसके तहत किसानों को उनकी फसल का MSP रेट अच्छा मिलेगा और किसानों को लाभ होगा.
बता दें कि इस योजना को लेकर खुद मोहन यादव ने सीएम हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहां कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूलय 5328 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की है और ये वर्तमान MSP रेट हम अन्नदाताओं को दिलवाकर रहेंगे ताकि वो अपने उपज को मंडियों में बेचें.
किसानों को मिलेगा लाभ
सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख खरीफ फसलों में से एक है. प्रदेश का लगभग 55 से 60 प्रतिशत कृषि क्षेत्र सोयाबीन की खेती के अंर्तगत आता है. हर साल हजारों किसानों को जब बाजरों में उचित दाम नहीं मिलते तो वह औने-पौने रेट पर बेचने पर मजबूर हो जाते हैं. लेकिन अब "भावान्तर योजना" के तहत सरकार किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बाजार में बिकने वाले वास्तविक मूल्य मॉडल प्राइस के बीच का अंतर सीधे उनके खाते में जमा करेंगी जिससे किसानों को उनकी लागत और मेहनत को प्रतिफल मिलेगा.
योजना की समय सीमा
इस योजना की समय सीमा को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया है कि 24 अक्टूबर 2025 से 15 जनवरी तक प्रभावशील रहेगी. इस अवधि के भीतर किसान अपनी उपज पंजीकृत केंद्रों पर बेच सकेंगे और भावांतर योजना का लाभ उठा पाएंगे.
पंजीकरण प्रकिया शुरु
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को अनिवार्य रुप से पंजीकरण करना होगा. बता दें कि आवेदन प्रकिया की शुरुआत आज से ई-उपार्जन पोर्टल पर हो चुकी है. किसान अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या सहकारी समितियों के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं.
जरूरी दस्तावेज
किसानों को आवेदन करने के लिए आधारकार्ड, खसरा-खतौनी की नकल, बैंक खाता संख्या, मोबाइल नंबर और भू-स्वामी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. पंजीयन की अंतिम तिथि अभी सरकार द्वारा तय नहीं की गई है, लेकिन किसानों को सलाह दी गई है कि वे जल्द से जल्द पंजीयन कराकर योजना का लाभ सुनिश्चित करें.