
गरियाबंद जिले की लगभग 60 प्रगतिशील महिला किसानों का दल जिला बाल संरक्षण अधिकारी, छत्तीसगढ़ शासन, अनिल द्विवेदी के नेतृत्व में "दिशा-भ्रमण कार्यक्रम" के तहत 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर', कोंडागांव के दौरे पर पहुंचा. इस दल की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह लगभग 100% महिला किसानों का समूह था, जो जैविक खेती, मसालों तथा औषधीय पौधों की उन्नत खेती और नवाचारों को समझने और अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं.
इस विशेष आयोजन को छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा "दिशा-भ्रमण कार्यक्रम" के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिससे यह और भी महत्वपूर्ण बन गया.
ज्यादा आमदनी वाली औषधीय खेती की प्रेरणादायक यात्रा
महिला किसानों ने देश के पहले सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म में विभिन्न औषधीय एवं जैविक फसलों का अवलोकन किया. मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के विशेषज्ञों अनुराग कुमार, जसमती नेताम, शंकर नाग, कृष्णा नेताम, बलई चक्रवर्ती आदि ने उन्हें औषधीय पौधों की उन्नत किस्मों, उनके जैविक उत्पादन, औषधीय गुणों तथा विपणन की विस्तृत जानकारी दी. डॉ राजाराम त्रिपाठी ने उच्च लाभदायक, जैविक खेती तथा औषधीय खेती के क्षेत्र में पदार्पण करने वाले सभी महिला किसानों को उनकी सफलता हेतु शुभकामनाएं देते हुए कहा की फसल लगाने से लेकिन उसके बेचने तक हम आप सब के साथ मजबूत के साथ खड़े रहेंगे, तथा हमारी ओर से पूरा सहयोग मिलेगा.
महिला किसानों ने विशेष रूप से निम्नलिखित पहलुओं को देखा और जाना
- ब्लैक पेपर यानी काली- मिर्च की उन्नत किस्म MDBP-16, जो पारंपरिक काली मिर्च की तुलना में चार गुना अधिक उत्पादन देती है और प्रति एकड़ 5 से 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय दे सकती है.
- प्राकृतिक ग्रीनहाउस (नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल), जो प्लास्टिक आधारित पॉलीहाउस का किफायती और पर्यावरण- संवेदनशील विकल्प है. यह प्राकृतिक रूप से तापमान नियंत्रित करता है, मिट्टी की नमी बनाए रखता है और फसलों को सालभर उत्पादन योग्य बनाता है. यह केवल ₹2 लाख प्रति एकड़ की लागत में तैयार हो सकता है, जबकि पारंपरिक पॉलीहाउस की लागत ₹40 लाख प्रति एकड़ तक होती है.
- ऑस्ट्रेलियन टीक (Australian Teak) की लकड़ी से होने वाली लाखों रुपये की वार्षिक आय. यह लकड़ी अपनी मजबूती और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है और 15 से 18 वर्षों में प्रति एकड़ 60 से 80 लाख रुपये तक का रिटर्न दे सकती है.
- वनौषधियों एवं दुर्लभ औषधीय पौधों का संरक्षण एवं संवर्धन, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है.
- आधुनिक तकनीकों के माध्यम से औषधीय खेती एवं प्रसंस्करण, जिससे किसानों को जैविक उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलती है.
- आदिवासी महिलाओं द्वारा किए जा रहे मूल्यवर्धन एवं उनके उत्पादों का राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच, जिससे ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण मिल रहा है.
महिलाओं ने जताया उत्साह और सराहना
प्रगतिशील महिला किसानों ने जैविक औषधीय खेती की संभावनाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखकर गहरी रुचि दिखाई. उन्होंने बताया कि यह दौरा उनके लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी रहा, जिससे वे अपने गांवों में औषधीय एवं जैविक खेती को अपनाने के लिए उत्साहित हुईं. इस दिशा-भ्रमण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला किसानों को आधुनिक जैविक खेती, हर्बल फार्मिंग और आत्मनिर्भर कृषि तकनीकों से जोड़ना था. ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर’ पिछले कई वर्षों से आदिवासी किसानों एवं महिलाओं को जैविक कृषि, औषधीय खेती, और उद्यमिता के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर रहा है. यहां किसान न केवल औषधीय खेती के वैज्ञानिक और व्यावसायिक पहलुओं को सीखते हैं, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण और स्थायी कृषि मॉडल को अपनाने की दिशा में भी प्रेरित होते हैं.
सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम
इस कार्यक्रम ने महिला किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण एवं कृषि नवाचार से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भविष्य में भी ऐसे भ्रमण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों की जानकारी देने का कार्य निरंतर जारी रहेगा.