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Updated on: 3 April, 2019 3:37 PM IST

कांग्रेस पार्टी ने 3 मार्च यानि मंगलवार को लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर अपना घोषणापत्र (manifesto ) जारी कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी आम चुनाव के मद्देनजर मेनिफेस्टो जारी करते हुए सत्ता में आने पर 'हम निभाएंगे' के वादे के साथ न्यूनतम आय योजना, रोजगार सृजन, किसानों के लिए अलग बजट, एजुकेशन लोन, फ्री पढ़ाई समेत शिक्षा को लेकर किए ये बड़े वादे -

स्कूली शिक्षा को संघ सूची की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची में स्थानांतरित किया जाएगा, जबकि संघ सूची में उच्च शिक्षा के विषय को बरकरार रखा जाएगा.

 सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा बारहवीं तक की स्कूली शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त होगी. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में इस संबंध में संशोधन किए जाएंगे. सरकारी स्कूलों में विभिन्न उद्देश्यों के नाम पर विशेष शुल्क वसूलने की प्रथा को खत्म किया जाएगा.

सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की क्षमता, संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने का वादा.

शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों का विनियमन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् की जिम्मेदारी होगी और उनका वित्त पोषण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या उसकी अनुवर्ती संस्था की जिम्मेदारी होगी. शिक्षकों की आवधिक और सतत शिक्षा के लिए एक योजना लागू की जाएगी और शिक्षकों को अनिवार्य रूप से योजना में हिस्सा लेना होगा.

2023-24 तक समाप्त होने वाले 5 वर्षों में शिक्षा के लिए बजट आवंटन को दोगुना बढ़ाकर जीडीपी का 6 प्रतिशत करेंगे. इसके लिए आगे की रूपरेखा.

2019-20 के आम बजट में सामने रखी जाएगी और विशिष्ट वार्षिक लक्ष्य तय किए जाएंगे.

कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के हर स्कूल में पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिये खर्च को बढ़ाने का वादा किया गया है, जिसमें कक्षा, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल का मैदान, शौचालय, पेयजल आदि शामिल होंगे. छात्रावास का निर्माण मांग के आधार पर किया जाएगा.

राज्य सरकारों के सहयोग के साथ केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों की संख्या बढ़ाने का वादा.

बच्चों को रोजगार या स्वरोजगार के लिए तैयार करने के लिए  9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा के अनिवार्य घटक के रूप में व्यावसायिक प्रशिक्षण को शुरू किया जाएगा.

विशेष जरुरत वाले बच्चों के लिये विशेष स्कूलों की स्थापना को बढ़ावा देगी.

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बहाल करने का वादा.

अलग-अलग संगठनों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के विनियमन, ग्रेडिंग और फंडिंग सौंपे जाएंगे. जरूरत और योग्यता के आधार पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उदारतापूर्वक अनुदान देने के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या इसकी अनुवर्ती संस्था को पर्याप्त धन प्रदान किया जाएगा.

विश्वविद्यालयों की नियमित स्थापना में अतिथि, अस्थायी और अनुबंध शिक्षकों को शामिल करने के लिये उपयुक्त उपाय करेंगे, ताकि उन्हें वाजिब हक का फायदा मिल सके.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के अन्य केंद्रीय संस्थानों की नियुक्तियों में 200 - बिंदु रोस्टर प्रणाली को बहाल करने का वादा.

चिकित्सा, इंजीनियरिंग, वाणिज्य, प्रबंधन और विज्ञान जैसे विषयों में और अधिक उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना करने का वादा.

अगले 5 सालों में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 25.8 के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर कम से कम 40 के स्तर तक लाने का वादा.

नीट (NEET) परीक्षा के नियमों में बदलाव.

जो विद्यार्थी स्थायी रूप से गांव में रहते है परिवार से पहली बार शिक्षण के लिए आए या लिंग विशेष के आधार पर कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन करता है, उसको विशेष आपद अंक (Deprivation Points) देकर प्रोत्साहित किया जाएगा.

कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अनुदान के लिए निर्धारित राशि बढ़ाने का वादा.

छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाने के साथ गरीब पात्र छात्रों को सहायता देने के लिये प्रतिभा फंड बनाने हेतु कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

शिक्षा ऋण कार्यक्रम को पुनर्जीवित, पुनरचना करेंगे. एकल पोर्टल पर आवेदन प्राप्त, जांच और स्वीकृत किए जायेंगे और फिर आवेदक के निवास या अध्ययन स्थल के नजदीक प्रलेखन और निगरानी के लिये बैंक की शाखा को सौंपे जायेंगे. जब तक छात्र को नौकरी नहीं मिलती या स्वरोजगार के माध्यम से कमाई शुरु नहीं होती हैं, तब तक अध्ययन की अवधि के दौरान का कोई ब्याज नहीं लिया जायेगा.

31 मार्च, 2019 तक के पुराने शिक्षा ऋणों पर बकाया ब्याज माफ कर दिया जायेगा.

English Summary: lok sabha elections Congress party manifesto 2019 released manifesto for loksabha election education budget
Published on: 03 April 2019, 03:48 PM IST

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