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Updated on: 21 December, 2018 4:02 PM IST
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कांग्रेस सरकार बनते ही मध्यप्रदेश के किसानों को थोड़ी राहत मिली है. कांग्रेस ने किसानों का कर्जा माफ करके किसानों के दिलों में अपनी जगह बना ली है. जिसे देखते हुए अब भाजपा भी पीछे नहीं रहना चाहती और वह भी किसानों के लिए नई योजनाएं बनाने में लगी है. असम सरकार ने भी किसानों की कर्ज माफी पर मंजूरी दे दी है. लेकिन यह ऐलान जितना राहत देने वाला लगता है उतना है नहीं.

कर्जमाफ़ी योजना से किसानों को राहत तो मिली है लेकिन जो गरीब राज्य हैं, वहां केवल 10 से 15 प्रतिशत किसानों को ही कर्ज माफी से लाभ मिलेगा. क्योंकि छोटे राज्यों में किसानों की बैंकों और वित्तीय संस्थानों से क़र्ज़ लेने की संख्या बहुत कम है. इस योजना से कई ऐसे किसान होंगे, जिनको इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. इस योजना का फ़ायदा भी कुछ ही किसान उठा पाएंगे.

कर्ज़माफी का पैमाना :

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा किया है और उसे लागू करने के लिए उन्होनें 22 सदस्यों की क्रियान्वयन समिति का गठन भी कर दिया है. जिसमें कर्जमाफ़ी से छुटकारा कुछ खास किसानों को ही मिलेगा. सरकारी कर्मचारी, सरपंच, सांसद और इंकम टैक्स भरने वाले लोग मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा घोषित कर्ज़माफी योजना का लाभ नहीं उठा सकते. इसके आलावा भी कर्ज़ माफ कराने के लिए कई मानदंड पर खरा उतरना पड़ेगा. जो सरकार द्वारा निश्चित किए गये है.

इन किसानों को नहीं मिलेगी कर्जमाफ़ी से कोई राहत :

1. जिन किसानों की सरकार द्वारा पंजीकृत अपनी कंपनी है और इसी के जरिए वह अपनी फसल बाजार में बेचते हैं, उनका ऋण माफ नहीं किया जाएगा और वह इस योजना का लाभ भी नहीं उठा पाएंगे.

2. अगर किसी किसान ने कईं संस्थाओं से कर्ज़ लिया है तो वह सिर्फ एक संस्था द्वारा लिया लोन ही माफ करवा सकता है.

3. जिन किसानों को सरकार द्वारा 15,000 रुपये तक कीपेंशन मिलती है, वह इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते.

कर्जमाफी का ऐलान करने के बाद किसानों का 2 लाख तक का कर्ज़ माफ किया जाएगा. लेकिन इस योजना के मानदंड भी तय किए जाएं. जिसके बाद 3.40 लाख किसानों को कर्जमाफी योजना का फायदा मिल सकेगा. मध्य प्रदेश सरकार पर कर्जमाफ़ी योजना को पूरा करने के लिए 38 हजार करोड़ का वित्तीय भार पड़ेगा और इसपर नीति आयोग ने कहा है कि यह समस्या का हल नहीं है.

मनीशा शर्मा, कृषि जागरण    

English Summary: loan waiving is not a solution of farmers problems.
Published on: 21 December 2018, 04:04 PM IST

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