केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि हमारे किसानों का जज्बा देश के सैनिकों की तरह है, जिस तरह सैनिक सीमाओं पर बहादुरी से डटे रहकर देश की रक्षा करते हैं, उसी तरह हमारे किसान भाई-बहन कृषि उपज उत्पन्न कर खाद्य सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं. यदि किसान खेती न करें तो हमारे पास पैसा होने के बावजूद पेट भरने के लिए खाद्यान्न नहीं होगा. हमारा कृषि क्षेत्र, 140 करोड़ भारतवासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, किसानों को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए. यह बात तोमर ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (पूसा, समस्तीपुर, बिहार) के तृतीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही.
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि देश में कृषि की प्रधानता के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है. 2014 के पहले तक कृषि क्षेत्र का बजट लगभग 25 हजार करोड़ रु. होता था, जबकि आज मोदी सरकार में 1 लाख 25 हजार करोड़ रु. का बजट कृषि के लिए हैं. कृषि के विकास के लिए टेक्नालॉजी के माध्यम से काम किया जा रहा है. देश के 86 फीसदी छोटे किसानों की माली हालत सुधारने के लिए ठोस काम हो रहा है. केंद्र सरकार 10 हजार नए एफपीओ बना रही है, जिस पर 6865 करोड़ रु. खर्च किए जा रहे हैं. तकनीक जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, पढ़े-लिखे युवाओं को गांवों में ही रोजगार के और अवसर मिलेंगे, गांवों में रोजगार बढ़ने के साथ कृषि क्षेत्र देश की और बड़ी ताकत बनेगा. तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र चुनौतियों से भरा है, जिनका मुकाबला करते हुए सरकार सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ रही है. किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है, जिसमें किसानों को उनकी प्रीमियम 25 हजार करोड़ रु. के मुकाबले अभी तक 1.30 लाख करोड़ रु. क्लेम के रूप में दिए गए हैं. छोटे किसानों को आय सहायता के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि लागू की गई है, जिसमें पूरी पारदर्शिता के साथ 3 किस्तों में 6 हजार रु. सीधे खातों में दिए जाते हैं. अभी तक करोड़ों किसानों को 2.40 लाख करोड़ रु. से ज्यादा राशि दी गई है.
तोमर ने कहा कि किसानों के परिश्रम, वैज्ञानिकों की कुशलता व प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टिपूर्ण नीतियों के कारण भारत आज दुनिया को देने वाला देश बन गया है. प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में जिस संकल्प, तकनीक व सकारात्मक सोच के साथ सरकार आगे बढ़ रही है, उसे देखकर पूरा विश्व चकित है. दुनिया के 100 से अधिक देश हिंदुस्तान की ओर इस अपेक्षा से देखते हैं कि जब जरूरत होगी तो हिन्दुस्तान मदद करेगा, हमें इस चुनौती को भी स्वीकार करते हुए काम करना पड़ेगा. देश की आवश्यकता की पूर्ति हमारी जिम्मेदारी है, वहीं दुनिया की अपेक्षा के हिसाब से भी वर्ष 2050 तक की आवश्यकताओं की तैयारी हमें अभी से करना होगी. कृषि के परंपरागत क्षेत्र में नई पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए समयानुरूप बदलाव करने की जरूरत है. फसल विविधीकरण व नई तकनीकों को अपनाना होगा. कैशलेस ट्रांजेक्शन सहित विभिन्न क्षेत्रों में आज सारी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है. कृषि उत्पादों के उत्पादन में भी हम आगे हैं. पशुपालन, मत्स्यपालन, मधमक्खीपालन में भी हमारी अग्रणी भूमिका है.
उन्होंने कहा कि जब भी आर्थिक विश्लेषण आते हैं तो कुछ देश हमारी प्रशंसा नहीं करना चाहते, लेकिन फिर भी वे यह कहने के लिए बाध्य होते हैं कि आने वाले समय में तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था भारत है. आने वाले 25 साल तक अमृत काल में हमारी गति और तेज होनी चाहिए. दुनिया की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए अपने-आप को ऐसे बढ़ाना है कि जब हम देश की आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएं, हम विकसित देश की श्रेणी में शामिल रहें. इसके लिए गांवों-किसानों को और मजबूत करना पड़ेगा.
समारोह में 635 विद्यार्थियों को डिग्री दी गई, जिनमें 260 छात्राएं हैं. मत्सयिकी महाविद्यालय की छात्रा पूर्वा शरण को सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने पर विजिटर गोल्ड मैडल दिया गया. तिरहुत कृषि महाविद्यालय ढोली की रिंटो नंदी को स्नातकोत्तर परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु चांसलर गोल्ड मैडल दिया गया. विभिन्न विषयों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय वानिकी महाविद्यालय पिपराकोठी की मनीषा भारद्वाज, कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय की निकिता, मानविकी महाविद्यालय की जयंती कुमारी व सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के के.एम. वीथी को गोल्ड मैडल दिया गया. कार्यक्रम में, वि.वि. द्वारा तैयार मशरूम समोसा रिलीज़ किया गया, जिसे हाल में पेटेंट मिला है. गन्ना के उन्नत प्रभेद व विभिन्न तकनीकी पुस्तकों का विमोचन किया गया.
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तोमर ने कृषि विज्ञान केंद्र सुखेत (मधुबनी), नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण), लाडा (समस्तीपुर), तुर्की (मुजफ्फरपुर) के प्रशासनिक भवन व किसान छात्रावास के साथ ही तिरंगा पार्क, केला अनुसंधान केंद्र गोरौल (वैशाली) के भवन एवं वि.वि. के विहंगम कृषि संग्रहालय का लोकार्पण किया. इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, वैशाली की सांसद वीणा देवी, मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद, समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, कुलाधिपति प्रफुल्ल मिश्रा, कुलपति डा. पी.एस. पांडेय भी मौजूद थे.