केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार यानि 12 फरवरी 2022 को नई दिल्ली में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-आईसीएआर ने अपने स्नातकोत्तर विद्यालय के 284 विद्यार्थियों को पुरस्कार और डिग्री दी. यह हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि इन विद्यार्थियों में 8 विदेशी छात्र भी शामिल हैं, जिन्हें पुरस्कार और डिग्री से नवाजा गया है.
आपको बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-आईसीएआर के 60वें दीक्षांत समारोह के इस शुभ अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फलों और सब्जियों (Fruits & Vegetables) की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया, जिन किस्मों में आम की दो किस्में पहली पूसा लालिमा और दूसरी पूसा श्रेष्ठ, बैगन की पूसा वैभव किस्म, पालक की पूसा विलायती किस्म, ककड़ी किस्म पूसा गाइनोशियस ककड़ी हाइब्रिड-18 और पूसा गुलाब की अल्पना किस्म शामिल की गई है और साथ ही इस 60वें दीक्षांत समारोह में सूक्ष्म विज्ञान विभाग के द्वारा विकसित जैव उवर्क पूसा सम्पूर्ण का विमोचन भी किया गया.
इस समाहारों में कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संस्थान और प्रतिभाशाली शिक्षकों की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी केवल संस्थानों तक ही सीमित है. अगर संस्थान किसानों को तैयार करते हैं, तो वे ज्ञान को जमीन से जुड़े का कार्य करते हैं. उन्होंने यह भी कहा की खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहिए और साथ ही साथ इसे आगे बढ़ाने के लिए नई-नई प्रयास करने चाहिए.
भारत को कृषि क्षेत्र में टॉप 5 देशों में शामिल का लक्ष्य
किसान भाइयों को लाभ व उनकी फसलों को सुरक्षित रखने व बढ़ावा देने के लिए संस्थान का बहुत योगदान है. इसी विषय में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा की सरकार की तरफ से कृषि संस्थानों को ड्रोन खरीदने के लिए 100 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है. जिसे देश में प्रौद्योगिकी सस्थानों में पढ़ाया जा सके. इसके अलावा उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भारत को 10 टॉप कृषि उत्पाद निर्यातक देशों की सूची में शामिल करवाया है.
इसी को देखते हुए अब हमे भारत को कृषि क्षेत्र में टॉप 5 देशों में शामिल करने की पूरी कोशिश करनी है और यह लक्ष्य हम आप सब की मदद से जल्दी ही हासिल कर लेंगे.
पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने की संस्था की सहरायना
आपको बता दें कि इस समाहारों में पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह भी मौजूद थे. डॉ. ए.के. सिंह ने संस्थान की उपलब्धियों को गिनाया. जिसमें उन्होंने बताया कि इस संस्थान में विकसित गेहूं की किस्में देश के अन्न भंडार में सालाना 80,000 करोड़ रुपए राशि के लगभग 60 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं.
इसी प्रकार यह संस्थान बासमती की खेती में भी अपना बेहद योगदान देती है. बासमती चावल के निर्यात से कुल विदेशी मुद्रा 32,804 करोड़ रुपए का 90 फीसदी तक होता है. यहीं नहीं इस संस्थान के द्वारा देश में लगभग 48 प्रतिशत सरसों की खेती आईएआरआई किस्मों से की जाती है.