Titar Farming: किसानों के लिए है बेहद फायदेमंद तीतर पालन, कम लागत में होगी मोटी कमाई ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ा, 7.5% अधिक हुई बुवाई, बंपर उत्पादन होने का अनुमान Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 10 June, 2020 12:39 PM IST
जूट की खेती

जूट मिल मालिकों की शिकायत रहती थी कि तैयार माल की बाजार में मांग नहीं है. जूट थैलों की बाजार में मांग घटने पर तो कभी-कभी जूट मिल मालिकों को कारखाने में तालाबंदी तक करनी पड़ती थी. लेकिन आज स्थिति ठीक इसकी उल्टी है. बाजार में जूट के थैले की  मांग अचानक बढ़ गई है. आपूर्ति के अभाव में इसकी बाजार में कमी महसूस की जा रही है. रबी की फसल कटने के बाद अधिकांश राज्यों में अनाज को बस्तों में भर कर गोदामों या मंडियों तक ले जानी की जरूरत आ पड़ी है. लेकिन कृषि उपज की पैकेजिंग के लिए जूट थैलों की भारी कमी है.

प्राप्त खबरों के मुताबिक कृषि प्रधान अधिकांश राज्यों के किसान और व्यापारी जूट के थैलों की समस्या से जूझ रहे हैं. अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट का थैला बहुत सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत अच्छा माना जाता है. लेकिन रबी की फसल कटने के बाद जूट के थैलों की इतनी कमी है कि उसकी जगह प्लास्टिक थैलों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र आदिर राज्यों के कृषि मंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट का थैला उपलब्ध कराने की मांग की है.

अधिक उत्पादन करने का निर्देश

इसके बाद ही जूट आयुक्त ने पश्चिम बंगाल में स्थित सभी जूट मिल मालिकों को अधिक से अधिक उत्पादन करने का निर्देश दिया है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक जूट के थैला की कमी के कारण अनाज की पैकेजिंग में आ रही बाधाओं पर पीएमओ भी नजर रख रहा है. सरकार की ओर से पश्चिम बंगाल के जूट मिलों को जून माह के अंत तक तीन लाख बेल जूट थैला की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है. किसानों और व्यापारियों को अनाज की पैकेजिंग के लिए जूट थैला की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय भी हरत में आया है. जूट थैलों के अभाव में तो सरकार को अनाज की पैकेजिंग के लिए 6.5 लाख पलास्टिक का बैग खरीदना पड़ा है.

अभी किसान और व्यापारी रबी की फसल कटने के बाद उसे मंडियों व उपयुक्त स्थान पर ले जाने के लिए जूट के थैला के अभाव से जूझ रहे हैं. यह संकट और गहराएगा जब जुलाई में कुछ खरीब की फसल की भी कटाई होगी. विभन्न राज्यों की जरूरतों को देखते हुए संबंधित सरकारी विभाग इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि खरीब की फसल के लिए 17 लाख बेल जूट के थौलों की जरूरत पड़ेगी.

उल्लेखनीय है कि  पहले लॉकडाउन, उसके बाद चक्रवाती तूफान और अब श्रमिकों के अभाव को लेकर भी जूट मिलों में उत्पादन प्रभावित हुआ है. 25 मार्च से लॉकडाउन के कारण जूट मिलों में उत्पादन बंद हो गया था. कारखाना में काम बंद होते ही बिहार, यूपी, ओड़िशा और झारखंड आदि के मजदूर अपने गांव लौट गए. एक जून से अनलॉक- 1 शुरू होने पर पश्चिम बंगाल की सभी जूट मिलों में 100 प्रतिशत श्रमिकों के साथ काम शुरू करने की सरकार से अनुमति मिली. लेकिन श्रमिकों के अभाव के कारण कारखानों में सुचारू रूप से उत्पादन करना संभव नहीं हो पा रहा है. इसलिए कि अधिकांश मजदूर अपने गांव चले गए हैं और उनके जल्द लौटने की कोई संभावना नहीं है. जूट मिलों में अधिकांश प्रवासी मजदूर ही काम करते हैं. कारखाना बंद होने पर वे अपने गांव लौट जाते हैं. कुछ श्रमिक जो स्थाई रूप से यहां रहते हैं वे काम पर जाने लगे हैं. लेकिन न्यूनतम मजदूरों को लेकर कारखाना चलाना जूट मिल मालिकों के समक्ष एक चुनौती है.

वैसे सरकारी निर्देश मिलने के बाद कारखानों में प्रतिदिन 10 हजार बेल जूट का थैला उत्पादित करने का प्रयास किया जा रहा है. जूट मिल मालिकों के संगठन आईजेएमए की ओर से श्रमिकों के अभाव तथा उत्पादन बढ़ाने में आने वाली बाधाओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया है. उल्लेखनीय है कि जर्जर अवस्था में पहुंच चुके बंगाल का जूट उद्योग आज भी सबसे अधिक रोजगार देने वाला उद्यम है. पश्चिम बंगाल के करीब 60 जूट मिलों में लगभग 4 लाख श्रमिक कार्यत हैं. लेकिन लॉकडाउन में कारखाना बंद होने के बाद जो प्रवासी मजूदर अपने गांव चले गए हैं उनके फिलहाल लौटने की संभावना बहुत कम है.

English Summary: lack of jute for packaging agriculture products
Published on: 10 June 2020, 12:42 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now