भारतीय नस्ल के देशी मुर्गे कड़कनाथ की प्रजाति को लोकप्रिय बनाने के लिए एनार्कुलम कृषि विज्ञान केंद्र ने एक मुहीम शुरू कि है, जिसमें इन मुर्गो को संरक्षित किया जा रहा है. ख़ास बात यह है कि यह मुहीम कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों के साथ मिलकर शुरू कि है, इससे किसानों को सीधे आय हो रही है.
भारतीय नस्ल के इस स्वदेशी मुर्गे एर्नाकुलम ने जिले में 600 से अधिक बैकयार्ड (आँगन का पिछला हिस्सा) कड़कनाथ इकाईयों की स्थापना की है. केवीके ने एक किसान के साथ साझेदारी में कड़कनाथ के चूजे के लिए उपाश्रित पालन-पोषण ईकाई की स्थापना भी की है. इसके अलावा केवीके शुद्ध कड़कनाथ के मूल स्टॉक का रखरखाव भी कर रहा है. स्वदेशी बैकयार्ड मुर्गे - कड़कनाथ के प्रचार और संरक्षण के लिए भारत सरकार के कार्यक्रम के अनुरूप पहल की गई है.
मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों, झाबुआ और धार जिले में पाए जाने वाले कड़कनाथ, मुर्गे की एक देशी नस्ल है जिसमें काला मांस होता है. यह जलवायु परिस्थितियों के अंतिम सीमा को सहन कर सकता है और रोगों के प्रतिरोध का प्रशंसनीय प्रदर्शन करते हुए न्यूनतम प्रबंधन के तहत बहुत अच्छी तरह से पनपता है. स्वदेशी नस्ल को लोकप्रिय बनाने के लिए केवीके, एर्नाकुलम 7 वर्षों से काम कर रहा है. कड़कनाथ के पालन-पोषण ने स्वदेशी मुर्गी पालन को संरक्षित किया है और साथ में किसानों को वित्तीय लाभ प्राप्त करने में सक्षम भी बनाया है.
केवीके, एर्नाकुलम ने वर्ष 2012 से प्रकाशनों, समाचार पत्रों और दूरदर्शन के कार्यक्रमों के माध्यम से कड़कनाथ के वैज्ञानिक पालन की तकनीक को लोकप्रिय बनाया है. केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन, मुंबई से चूजों को 60 दिनों के लिए पाला गया, टीके लगाए गए और केवीके द्वारा नियमित बिक्री मेलों के माध्यम से किसानों को आपूर्ति की गई.
केवीके के माध्यम से आपूर्ति सुनिश्चित करने और चूजों के बड़े पैमाने पर पालन के उद्देश्य के लिए किसान श्री शोभनन, कदामट्टुसरी, कुजुपली, एर्नाकुलम के क्षेत्र में केवीके की एक उपाश्रित पालन-पोषण ईकाई स्थापित की गई थी.
यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी व्यवस्था अब किसान को 16,250 रुपए की मासिक आय अर्जित करने में मदद कर रही है.
वर्ष 2018 के दौरान, केवीके ने भविष्य में अच्छी गुणवत्ता वाले शुद्ध चूजों के उत्पादन के लिए किसान सुल्फ़थ मोइदीन, कट्टुपरम्बिल, एडवानक्कड़ पीओ, अनियिल के क्षेत्र में शुद्ध कड़कनाथ के मूल स्टॉक के रखरखाव की पहल की.
यह खबर भी पढ़ें :गेंदे के फूलों को बनाएं मुर्गी का चारा, बढ़ेगी अंडों की गुणवत्ता
2013 से 2019 के दौरान 8 बिक्री मेलों के माध्यम से 600 से अधिक किसानों को कुल 5,560 शुद्ध कड़कनाथ चूजों की आपूर्ति की जा चुकी है. केरल के उपभोक्ताओं के बीच देसी मुर्गे के मांस और अंडे को लोकप्रिय बनाने के लिए केवीके ने शुद्ध कड़कनाथ का मांस अपने बिक्री काउंटर पर उपलब्ध कराया है. यह सुविधा किसान को उचित मूल्य दिलाने में भी मदद कर रही है.