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Updated on: 17 May, 2025 10:44 AM IST
प्राकृतिक खेती को लेकर राज्य सरकार की पहल, सतत कृषि, स्वस्थ मिट्टी और सशक्त किसान की दिशा में बड़ा कदम

प्राकृतिक खेती केवल एक खेती की पद्धति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन पद्धति है, जिसमें भारतीय पारंपरिक ज्ञान, पशुधन आधारित कृषि, जैविक संसाधनों का प्रयोग और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा समाहित है. उप मुख्यमंत्री-सह- कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह खेती रसायन मुक्त होती है और इसका मूल उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना, जलवायु के प्रति लचीलापन बढ़ाना, किसानों की लागत घटाना और उनकी आय में बढ़ोत्तरी करना है.

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पद्धति में जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, दशपर्णी जैसे जैविक कृषि इनपुटों का उपयोग होता है. बहुफसल प्रणाली, मानसून पूर्व सूखी बुवाई, बायोमास मल्चिंग, स्थानीय बीजों का उपयोग जैसे तत्व इस प्रणाली को संपूर्ण बनाते हैं. पशुधन, विशेषकर देशी गाय, इस प्रणाली का आधार स्तंभ है.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को जमीनी स्तर पर सशक्त करने के लिए प्रत्येक क्लस्टर में दो कृषि सखियाँ नियुक्त की जाएंगी. कुल 800 कृषि सखियों को चयनित किया जाएगा जो हर महीने 16 दिन कार्य करेंगी. उन्हें 300 रूपये प्रतिदिन मानदेय और 200 रूपये प्रति माह यात्रा भत्ता दिया जाएगा. इनका प्रमुख कार्य किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना, पंजीकरण कराना, प्रशिक्षण दिलाना और फसल चक्र के दौरान तकनीकी मार्गदर्शन देना होगा. इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए किसान मास्टर प्रशिक्षक कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं प्राकृतिक खेती संस्थानों की मदद ली जाएगी. कार्यक्षमता बढ़ाने हेतु इन्हें मोबाइल डिवाइस के लिए सहायता राशि प्रदान की जाएगी, ताकि मोबाईल के माध्यम से किसानों को तुरंत सलाह दे सकें.

सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक खेती के प्रति जन-जागरूकता लाने के लिए 400 प्राकृतिक खेती के लिए चयनित 400 कलस्टरों में 7 कार्यक्रम प्रति कलस्टर कुल- 2800 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें प्रत्येक कार्यक्रम में 50 प्रतिभागी भाग लेंगे. इन कार्यक्रमों में किसान, पंचायत प्रतिनिधि, कृषि सखियाँ और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हिस्सा लेंगी. इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन के रूप में विकसित करना है.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को 4,000 रूपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इसमें 300 रूपये प्रति माह जैविक इनपुट, पशुधन देखभाल आदि पर खर्च हेतु और 400 रूपये प्रति वर्ष ड्रम व अन्य संसाधनों की एकमुश्त सहायता के रूप में शामिल हैं. किसानों को अधिकतम एक एकड़ तक ही योजना का लाभ मिलेगा. पंजीकृत 50,000 किसानों को प्राकृतिक खेती योजना का लाभ मिलेगा.

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य 20,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराना है जिससे उपज का बाजारीकरण और किसान की आय दोनों को समर्थन मिलेगा. साथ ही, 266 भारतीय प्राकृतिक जैव-उपादान संसाधन केंद्र (ठत्ब्) की स्थापना की जाएगी, जिससे किसानों को उपादानों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी. सिन्हा ने कहा कि प्राकृतिक खेती मृदा की उर्वरता, जैविक कार्बन, सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति और नमी बनाए रखने की क्षमता में सुधार करती है. इससे रसायनों की आवश्यकता समाप्त होती है, जिससे उत्पादन लागत घटती है और किसानों को वित्तीय राहत मिलती है. इससे उपभोक्ताओं को रसायन-मुक्त, स्वास्थ्यवर्धक खाद्य मिलते हैं और किसानों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं.

यह प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ाती है, जैसे जैव उर्वरक निर्माण, बीज संरक्षण, और खाद तैयार करना. जल संरक्षण, कार्बन उत्सर्जन में कमी और पारिस्थिति की संतुलन जैसे पर्यावरणीय लाभ भी इससे सुनिश्चित होते हैं. पशुधन का कृषि से जुड़ाव इसे स्थायी और समावेशी बनाता है. राज्य सरकार की यह पहल किसानों की आर्थिक समृद्धि, कृषि की स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है. यह योजना न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कृषि प्रणाली की नींव भी रखेगी.

English Summary: Krishi Sakhis every village information natural farming awareness and training provide new path to farmers
Published on: 17 May 2025, 10:47 AM IST

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