मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले में कृषि मेले का आयोजन होने जा रहा है. मेले के दौरान हज़ारों किसान इसमें हिस्सा लेंगे और नई तक़नीक के साथ कृषि क्षेत्र में नए गुर सीखेंगे.
यहां लगेगा मेला-
मुरैना के पुलिस परेड ग्राउंड में 11, 12 और 13 नवम्बर को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेले में ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, भिंड, मुरैना और दूसरी जगहों से लगभग 35 हज़ार किसानों के आने का अनुमान है. मेले में आने वाले कृषकों को आधुनिक टेक्नोलॉजी (Modern Technology) और नई मशीनों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा.
बसों का रहेगा इंतज़ाम-
मुरैना कलेक्टर ने बताया कि, 11 नवंबर को किसानों को मेला स्थल तक लाने के लिए 255 बसों का, 12 नवंबर के लिए 144 बसों को और 13 नवंबर के लिए 141 बसों का इंतज़ाम किया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री पहुंचे मेला स्थल-
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मार्गदर्शन में आयोजित होने वाले इस तीन दिवसीय मेले की तैयारियों का जायज़ा लेने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना ज़िले में पहुंचे. कृषि मंत्री ने कार्यक्रम की तैयारियों को देख रहे अधिकारियों को ज़रूरी दिशा-निर्देश भी दिए. मीडिया से बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कृषि मेला आयोजित कर रहे हैं. इस मेले में देश-प्रदेश से कई तरह के स्टार्टअप्स (Start ups) आएंगे. मेला चंबल-ग्वालियर अंचल के किसानों के लिए बहुत सारे फ़ायदे लेकर आएगा. अंचल के लिए यह कृषि मेला ऐतिहासिक होगा. मेले के ज़रिए अंचल के किसानों को कृषि में नई तक़नीकों और उन्नत खेती के बारे में जानकारी दी जाएगी.
मंत्री बोले किसानों को न हो असुविधा-
संबंधित अधिकारियों को आदेश देते हुए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि इस तीन दिवसीय मेले में आने वाले किसानों को असुविधा न हो इसलिए बसों का मूवमेंट ऐसी जगहों पर किया जाए जिससे सभा स्थल पहुंचने वाले किसानों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े. मंत्री ने मार्गों पर साइन बोर्ड लगाने के और दूसरे ज़रूरी आदेश अधिकारियों को दिए. कृषि मंत्री ने वीआईपी (VIP) मार्ग पर भी ध्यान देने के लिए कहा. कलेक्टर के मुताबिक़ मेले का शुभारंभ संभवतः राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) करेंगे.
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मुरैना कलेक्टर ने बताया कि मेले का मक़सद किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को नई पद्धति से वाकिफ़ कराना है. मेले में संख्या नहीं चाहिए. मेले में ऐसे लोगों को आना चाहिए जो कृषि सुधार के लिए ज्ञान अर्जित कर काम कर सकें.