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Updated on: 10 June, 2022 4:11 PM IST
Agronomist of ICL Dr. Shailendra

देशभर में अभी किसान खरीफ मौसम की बुवाई कर रहे हैं. ऐसे में सभी किसान भाई खरीफ में उगाई जाने वाले फसलों की तैयारी में जुटे हैं. खरीफ के मौसम में मुख्यतः धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उर्द, तुअर, जूट, कपास आदि की खेती की जाती है. सोयाबीन की खेती खरीफ मौसम में की जाने वाली सबसे मुख्य फसलों में से एक है. यही वजह है कि अभी सोयाबीन की खेती की तैयारी भी किसान भाई जोरो-शोरों से कर रहे हैं. जैसा की पता है कि सोयाबीन में सबसे अधिक प्रोटीन और तेल की मात्रा पाई जाती है. ऐसे में सोयाबीन की मांग बाजार में हमेशा ही रहती है. ऐसे में किसान सोयाबीन की उन्नत खेती कर लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं.

ऐसे में कृषि जागरण ने ICL इंडिया के Sr. Agronomist डॉ शैलेंद्र सिंह से “सोयाबीन की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन’’ विषय को लेकर वेबिनार का आयोजन किया. डॉ शैलेंद्र सिंह ने कृषि जागरण से बातचीत करते हुए सोयाबीन की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया, इस जानकारियों को अपनाते हुए किसान भाई सोयाबीन की और उन्नत खेती कर ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं. तो चलिए इस लेख में जानते हैं इस वेबिनार की मुख्य बातें.

सोयाबीन की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन

इस वेबिनार को शुरु करते हुए डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि पूरे भारत में सोयाबिन की खेती 121 लाख हेक्टेयर में की जाती है, जिनमें से सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश (55.580 लाख हेक्टेयर) में की जाती है. मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इसकी खेती ज्यादा की जाती है. वहीं, भारत में सोयाबीन का औसत उत्पादन लगभग 1 टन प्रति हेक्टेयर के आसपास है, जबकि इसकी उत्पादन क्षमता 3-3.5 टन प्रति हेक्टेयर तक है. ऐसे में आइये जानते हैं, वो क्या वजहें हैं, जो इसकी उत्पादन क्षमता तक इसे पहुंचाने में बाधा बनती हैं.

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सोयाबिन की खेती से जुड़ी किसानों की प्रमुख समस्या और समाधान

समस्या- उन्नत किस्मों के बीज की उपलब्धता का ना होना

समाधान- कृषि जागरण से बातचीत करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ शैलेंद्र सिंह ने बताया कि ICAR(Indian Council of Agricultural Research) smart climate को देखते हुए सोयाबीन की 25 उन्नत किस्मों को लेकर आई है. ऐसे में किसान भाइयों से मेरा निवेदन है कि किसान भाई अपने नजदीकी ICAR केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र जाकर उन्नत किस्मों के बीजों के बारे में पता लगाकर खेती में प्रयोग करें.

कीट प्रबंधन की समस्याएं

समाधान- सोयाबीन के अंदर कीट प्रबंधन को लेकर उन्होंने बताया कि बीज लगाने के बाद और पहले किसानों को मिट्टी और फसलों में उपचार करने की जरूरत है. बाजार में उपल्बध इससे संबंधित दवाइयों का समय पर उपयोग करें.

उर्वरक प्रबंधन का आभाव

किसानों को मिट्टी की उर्वरक प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है.

खरपतवार प्रबंधन- इस पर मुख्य रूप से ध्यान देने की जरूरत है.

अनिश्चित मानसून की समस्या भी अच्छी उपज में बाधा बनती है.

किसानों को दी जरूरी सलाह

कृषि वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया है कि फसल की प्रारंभिक अवस्था में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए सोयाबीन में 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन उपयोग करनी चाहिए.

वहीं फॉस्फोरस की उच्च मात्रा सोयाबीन की फसल में जड़ों के बेहतर विकास, नोड्यूलेशन और फूलों के विकास को प्रोत्साहित करता है.

सोयाबीन की फसल में बुवाई के समय 60-80 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से फॉस्फोरस उपयोग की सिफारिश की गई है.

इस पूरे वेबिनार में डॉ. शैलेंद्र सिंह ने किसानों को एक गार्फ के जरिए सोयाबीन की खेती को लेकर कई अहम जानकारियां दी है. आप भी इस वेबिनार को हमारे कृषि जागरण के फेसबूक पेज पर जाकर देख सकते हैं.

यहां देखें पूरी वीडियो-

English Summary: Krishi Jagran's special conversation with Agronomist of ICL Dr. Shailendra singh
Published on: 10 June 2022, 04:21 PM IST

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