कृषि जागरण द्वारा 21 अक्टूबर, 2021 को "कृषि प्रदर्शनी उद्योग कोविड -19 के बाद कैसे बढ़ेगा" विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि क्षेत्र के कई दिग्गज हस्तियों ने वक्ताओं के रूप में भाग लिया. वहीं, आयोजित वेबिनार के संपूर्ण सत्र का संचालन एम.सी. डॉमिनिक, संस्थापक और प्रधान संपादक, कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के द्वारा किया गया.
इस वेबिनार के मुख्य अतिथि लाखन सिंह राजपूत, कृषि राज्य मंत्री (उत्तर प्रदेश), उत्तर प्रदेश, ने बताया कि कैसे कोविड-19 के बाद कृषि प्रदर्शनी आयोजित करने वाला उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य था और इसके कारण एक राज्य के रूप में उन्हें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.
वेबिनार के पहले वक्ता डॉ. बी.आर. कम्बोज, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा थे. उन्होंने महामारी के दौरान भारतीय कृषि की स्थिति के उत्थान में (आईसीटी) सूचना संचार प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भविष्य में प्रदर्शनियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में करना चाहिए.
डॉ बीआर कम्बोज के भाषण के बाद, डॉ. एके कर्नाटक, कुलपति, वीसीएसजी उत्तराखंड बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, उत्तराखंड, ने प्रदर्शनियों में भौतिक बैठकों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि प्रदर्शनियां किसानों के लिए एक वरदान हैं और प्रदर्शनियों से वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालयों मदद मिलता है. वहीं, उन्होंने किसानों को अपनी खेती में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करने पर भी ज़ोर दिया.
डॉ. एम. एस. कुंदू, डायरेक्टर एक्सटेंशन, राजेंद्र प्रसाद कृषि केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार ने बताया कि कैसे कोरोनाकाल में कृषि विज्ञान केंद्रों ने बिहार में कृषक समुदाय के साथ जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्रदर्शनियों में ज्यादा से ज्यादा किसानों को और कैसे शामिल किया जा सकता है. उनके मुताबिक, यदि किसानों को एक समयांतराल पर अलग-अलग समूहों में आना सिखाया जाए, तो ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रदर्शनियों में शामिल किया जा सकता है. उन्होंने अमूल जैसी प्रमुख औद्योगिक कंपनियों का का जिक्र करने के बाद किसानों को बेहतर आपूर्ति श्रृंखला खोजने के लिए सिखाने पर भी जोर दिया.
वहीं, नवीन सेठ, असिस्टेंट सेक्रेटरी- जनरल, पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने किसानों को अन्य देशों से सीखने में मदद करने के लिए, विभिन्न देशों से किसानों के प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित करने और भेजने पर जोर दिया.
इसके अलावा, सीआईआई की लीड ऑफ एग्रीकल्चर रोली पांडे ने प्रदर्शनियों के मामले में डॉ. बीआर कम्बोज के समान ही अपने विचारों को रखा, लेकिन उनका झुकाव प्रदर्शनियों के अनुकूलन की ओर अधिक था, ताकि उन्हें किसानों के लिए और अधिक कुशल बनाया जा सके.
प्रवीण कपूर, वाइस प्रेसिडेंट- इवेंट्स एंड कॉरपोरेट रिलेशंस, इंडियन चेंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर की मुख्य राय टियर 2 और टियर 3 शहरों में स्थित किसानों को सूचना के प्रसार पर जोर देना था. वहीं, रवि बोराटकर, आयोजन सचिव एग्रो विजन इंडिया और एमएम एक्टिव साइंस-टेक कम्युनिकेशंस के प्रबंध निदेशक, ने पैकेजिंग और ब्रांडिंग सुविधाओं को स्थापित करने में मदद करते हुए किसान समुदाय हेतु कृषि को टिकाऊ और लचीला बनाने पर ज़ोर दिया.
डॉ. के.सी. शिव बालन, संस्थापक और प्रबंध निदेशक, मित्रा एग्रो फाउंडेशन, त्रिची, तमिलनाडु, ने कहा कि भारत दुनिया में कृषि उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक था, लेकिन कोविड-19 ने कृषि क्षेत्र में असंतुलन और कमी को पूरी तरह से उजागर कर दिया था. इसके अलावा, प्रवीण कपूर के वक्तव्य के मुयताबिक, कृषि एक्सपो को टियर 2 और टियर 3 स्तरों पर ले जाने और किसानों के लिए और सुगम बनाने पर सहमत हुए.
सत्र के अपने अंतिम नोट में एम.सी. डॉमिनिक, संस्थापक और प्रधान संपादक, कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड, ने कहा कि प्रत्येक वक्ताओं द्वारा बोले गए कुछ बिंदु ऐसे हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं और यदि इन्हें सही ढंग से लागू किया गया तो निश्चित रूप से कृषि और कृषि प्रदर्शनियों का समग्र रूप से उत्थान होगा और यह तभी संभव होगा जब भारतीय कृषि मीडिया अपने अन्य मीडिया आउटलेट्स के समान स्तर पर पहुंच जाए.
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