कृषि जागरण पिछले 27 वर्षों से कृषि क्षेत्र में निर्बाध रूप से कार्यरत है. वही, यह एक समयांतराल पर किसानों के लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन करती रहती है. ऐसे कार्यक्रमों में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट, कृषि क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के गणमान्य अधिकारी, प्रगतिशील किसान और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होकर अपने अनुभवों को साझा कर किसानों को जागरूक करते हैं. इसी क्रम में 5 अप्रैल, 2024 को कृषि जागरण ने रूटिंग फॉर रेडिश/Rooting for Radish पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें Somani Seedz के प्रबंध निदेशक, कमल सोमानी समेत कई कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए. इस कार्यक्रम में मूली के पोषण संबंधी लाभों से लेकर उत्पादकता बढ़ाने और निर्यात के अवसरों की खोज के लिए रणनीतियों तक के विषयों पर चर्चा हुई. वही, इस इवेंट में तीन सेशन का आयोजन किया गया.
विशेषज्ञ चर्चा में शामिल हुए कई गणमान्य अतिथि
'रूटिंग फॉर रेडिश' पर आयोजित विशेषज्ञ चर्चा में कमल सोमानी, प्रबंध निदेशक, Somani Seedz, शाइनी डोमिनिक, प्रबंध निदेशक, कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड, एमसी डोमिनिक, संस्थापक एवं प्रधान संपादक, कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड, डॉ. प्रभात कुमार आयुक्त, उद्यानिकी, डॉ. सुधाकर पांडेय, एडीजी, उद्यान, डॉ. एचपी सिंह, फाउंडर एंड चेयरमैन, सीएचएआई, डॉ. बीएस तोमर, एचओडी, वेजिटेबल साइंस, आईएआरआई, डॉ कमल पंत डायरेक्टर, आईएचएम, पूसा, डॉ. बिमल छाजेर, सीईओ, एमडी, एसएएओएल हेल्थ, डॉ भावना शर्मा, इंडिया हेड, न्यूट्रिशन साइंस डिवीजन, आईटीसी लिमिटेड, डॉ. एसडी सिंह (IFS) पूर्व सीईओ, डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरनमेंट गवर्नमेंट ऑफ़ दिल्ली, डॉ. नूतन कौशिक, डायरेक्टर जनरल, फूड एंड एग्रीकल्चर फाउंडेशन, एमिटी विश्वविद्यालय, डॉ. पीके पंत सीओओ, कृषि जागरण और डॉ. एमपी सिंह, प्रोफेसर एवं प्रिंसिपल साइंटिस्ट समेत कई कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए. साथ ही तीन प्रगतिशील किसान संदीप सैनी, हापुड, उत्तर प्रदेश, निर्देश कुमार वर्मन, हापुड, उत्तर प्रदेश और ताराचंद कुशवाह, आगरा, उत्तर प्रदेश भी कार्यक्रम में शामिल हुए.
कार्यक्रम की शुरुआत कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक एवं प्रधान संपादक, एमसी डोमिनिक और प्रबंध निदेशक, शाइनी डोमिनिक द्वारा कमल सोमानी, प्रबंध निदेशक, Somani Seedz समेत अन्य वक्ताओं को प्लांट से सम्मानित करके किया गया, जोकि कृषि जागरण की एक पुरानी परंपरा है.
वही, इस दौरान कृषि जागरण के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक ने पोषण के पावरहाउस के रूप में मूली के महत्व पर जोर देते हुए सभी उपस्थित लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया. उन्होंने कहा की मूली की खेती न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित करती है. कम मूल्य वाले उत्पाद अक्सर अत्यधिक लाभ पहुंचाते हैं. आगे उन्होंने केरल में कटहल की खेती की सफलता की कहानी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक बार नजरअंदाज कर दिए जाने के बाद, रणनीतिक विपणन ने इसे आम लोगों के फल से एक प्रीमियम वस्तु में बदल दिया है. ऐसा ही अन्य सब्जियों और फलों के साथ भी संभव है.
कार्यक्रम में कमल सोमानी, प्रबंध निदेशक, Somani Seedz ने कहा कि मूली की खेती पर काफी किसान ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन इसकी खेती लाभकारी खेती है. हमने मूली की हाइब्रिड किस्म X-35 को विकसित किया है, जोकि किसानों के लिए काफी लाभकारी किस्म है. उन्होंने कहा कि आप चाहें अपने खेत में कोई भी फसल लगाएं उसे कम से कम तीन महीने खाद-पानी देना पड़ता है. लेकिन यह लगभग 22 दिनों में तैयार हो जाती है. चूंकि, छोटे किसान के पास खेती करने के लिए प्रर्याप्त धन नहीं होता है जोकि खेती के लिए बैंक से लोन लेते हैं. ऐसे किसानों के लिए यह किस्म बेहद लाभकारी है. उन्होंने यह भी कहा कि मूली की इस किस्म के पत्ते भी काफी अच्छे और नरम होते हैं. इन्हें आप कई तरह से खा सकते हैं. खाने से शरीर में कई फायदे होते हैं. साथ ही उन्होंने किसानों के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रसंस्करण में सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया. बाजरा की तरह, मूली को भी सरकारी समर्थन और हस्तक्षेप से लाभ होगा, जिससे एक संपन्न कृषि क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त होगा. इस दौरान उन्होंने एक घोषणा भी की. उन्होंने कहा MILLIONAIRE FARMER OF INDIA Award – 2024 में 'RADISH CATEGORY को SOMANI SEEDZ कंपनी स्पॉन्सर करेगी. मालूम हो कि MILLIONAIRE FARMER OF INDIA Award – 2024 में लगभग 300 कैटेगरी है.
डॉ. प्रभात कुमार आयुक्त, उद्यानिकी ने कहा, "मुझे इस आयोजन में किसानों को शामिल होते देखकर खुशी हो रही है, क्योंकि वे ही अंतिम उपभोक्ता हैं. अब उपज को 'गरीब आदमी' या 'अमीर आदमी' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है. बल्कि इसके अंतर्निहित मूल्य के कारण, मूली, जो कभी मौसमी थी, अब साल भर उगती है. साथ ही उन्होंने पोषक तत्व प्रोफाइलिंग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि 25-30 दिनों में एक फसल उगाने से आय में वृद्धि होती है. बाजार की मांग और स्वच्छता मानकों, हमारे सामूहिक पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, टिकाऊ कृषि प्रथाओं को सुनिश्चित करते हुए, फसल से पहले बीज मूल्यांकन को प्राथमिकता दें.
डॉ. एचपी सिंह, फाउंडर एंड चेयरमैन, सीएचएआई, ने कहा, "इस दुनिया में कुछ भी छोटा नहीं है. यहां तक कि एक छोटा सा कण भी चमत्कार कर सकता है. लेकिन हमें संतुलन बनाने की जरूरत है. अगर सभी किसान मूली बोना शुरू कर देंगे, तो बाजार की गतिशीलता किसानों को कम कीमते मिलेंगी. मूली एक आसान फसल है और हमें इसे बेहतर तरीके से विज्ञापित करने की आवश्यकता है. हमें व्यावसायिक उपयोग के लिए किसी भी फसल को बढ़ावा देने से पहले एक बहुआयामी दृष्टिकोण और सभी पहलुओं का विश्लेषण करने की आवश्यकता है.
डॉ. सुधाकर पांडेय, एडीजी, उद्यान ने कहा, "चूंकि मूली एक छोटी अवधि की फसल है, अगर इसकी गणना प्रति इकाई क्षेत्र और प्रति इकाई समय पर की जाए, तो प्रत्येक मूली की खेती करने वाला किसान लखपति होगा. किसानों के लिए बाजार का आकलन करना महत्वपूर्ण है उनकी फ़सलों के लिए बढ़िया दाम मिले और उनकी बुआई का समय भी उसी के अनुरूप होना चाहिए."
डॉ. नूतन कौशिक, डायरेक्टर जनरल, फूड एंड एग्रीकल्चर फाउंडेशन, एमिटी विश्वविद्यालय ने कहा, "हमने मूली के बारे में बहुत बात की है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात मार्केटिंग है. मैं अतीत के कुछ किस्से गिना सकती हूं, जहां किसानों ने कम कीमतों के कारण अपने मूली के पूरे खेत को उखाड़ दिया था इसलिए किसानों को बेहतर मूल्य पाने के लिए मूली बाजार में अंतर का आकलन करना चाहिए, जबकि विज्ञान आपको उत्पादकता दे सकता है, उचित विपणन किसानों को अधिक पैसा कमाने में मदद कर सकता है.
डॉ कमल पंत डायरेक्टर, आईएचएम, पूसा ने कहा, "मूली हमारी स्वदेशी उपज है और एक चीज जिस पर ध्यान देने की जरूरत है वह है फसलों का मूल्यवर्धन करना. मुझे लगता है कि किम्ची उन तरीकों में से एक है जहां मूली को मूल्यवर्धन के रूप में तैयार किया जा सकता है. मसालेदार मूली ऐसी ही एक और चीज़ है."
डॉ. बिमल छाजेर, सीईओ, एमडी, एसएएओएल हेल्थ ने कहा, "केवल 16 कैलोरी और नगण्य वसा सामग्री के साथ, मूली फैटी लीवर से निपटने और कैंसर को रोकने के लिए महत्वपूर्ण जैव-एंजाइमों और द्वि-यौगिकों के एक पावरहाउस के रूप में उभरती है. इसके अलावा, इसमें उच्च आयरन होता है सामग्री इसे लाल रक्त कोशिकाओं का कट्टर समर्थक बनाती है, जो स्वस्थ त्वचा में योगदान देती है."
डॉ. वीवी सदामते, पूर्व सलाहकार कृषि, भारत सरकार ने कहा, "मूली के बारे में वैज्ञानिक जानकारी का प्रसार वास्तव में महत्वपूर्ण है और मेरा मानना है कि इसमें कुछ कदम शामिल हैं. सबसे पहले, किसानों को वैज्ञानिकों की बात सुनने और उन पर भरोसा करने के लिए खुद को आश्वस्त करना चाहिए. इसके अलावा, यदि केवीके, विश्वविद्यालय और संस्थान अंतिम छोर तक जानकारी प्रदान करने में मदद कर सकते हैं, तो उन खेतों का दौरा करें जहां मूली फल-फूल रही है और लाभदायक हो रही है, जिससे अन्य किसानों को इस फसल को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है.
डॉ. बीएस तोमर, एचओडी, वेजिटेबल साइंस, आईएआरआई ने कहा, "मूली सिर्फ सफेद नहीं होती बल्कि लाल मूली, बैंगनी मूली, उष्णकटिबंधीय मूली जैसी कई किस्मों में भी उपलब्ध होती है. लेकिन जब हम साल भर फसल के विकास के बारे में बात करते हैं, तो हमें सावधानी से तैयार करनी चाहिए. ताकि फसलें विविधता संतुलित रहे और हमारी थाली में बनी रहे."
वही, यह कार्यक्रम कृषि जागरण के सीओओ डॉ. पीके पंत द्वारा हार्दिक आभार व्यक्त करने के साथ संपन्न हुआ. आयोजित कार्यक्रम में हुए चर्चाओं पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा, "आज के प्रोग्राम में मूली के गुणों पर विस्तार से चर्चा हुई. इस व्यावहारिक चर्चा के बाद, एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि किसी भी फसल को लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है. यह चर्चा वास्तव में बेहद जरूरी थी हमारे भविष्य के प्रयासों का मार्ग प्रशस्त करता है." उन्होंने आगे कहा, "अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालने के लिए आप सभी को मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूं.."
कृषि जागरण द्वारा पोषण क्रांति
"रूटिन फॉर रेडिश" विषय पर आयोजित प्रोग्राम में मूली जैसी कम सराही गई फसल में पाए जाने वाले पोषक तत्व एवं उनके महत्व के बारे में एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स के द्वारा किसानों और उपभोक्ताओं को कृषि जागरण के सभी डिजिटल एवं सोशल प्लेटफॉर्म पर विस्तार से बताया गया. कृषि जागरण के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक के नेतृत्व में इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना, किसानों का समर्थन करना, पौष्टिक भोजन तक पहुंच के अंतर को पाटना और सभी हितधारकों के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करना है. अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष जैसी पहल की सफलता से प्रेरणा लेते हुए, कृषि जागरण का लक्ष्य रेडिश यानी मूली से शुरू करके अन्य कम उपयोग वाली फसलों के लिए भी इसी तरह के परिवर्तनों को दोहराना है.
मूली की हाइब्रिड किस्म X-35
Somani Seedz द्वारा विकसित मूली की हाइब्रिड किस्म X-35 किसानों के लिए बहुत लाभकारी है. यही वजह है कि यह किस्म किसानों के द्वारा काफी ज्यादा पसंद की जा रही है. 'HY RADISH X-35' किस्म 18-22 सेंटीमीटर लंबी होती है. इसका वजन लगभग 300-400 ग्राम तक होता है. यह किस्म लगभग 22 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान को प्रति एकड़ लगभग तीन लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. मूली की इस किस्म को किसान अपने खेत में 20 फरवरी के बाद से 15 नवंबर तक बुवाई कर सकते हैं. यह नई किस्म छोटे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. वहीं, सोमानी सीड्स के पास सब्जियों के बीज विकसित करने का कई वर्षों का अनुभव है. सोमानी सीड्स सभी मौसम के अनुकूल संकर सब्जियां व उनकी किस्में विकसित करता है. Somani Seedz कंपनी किसानों को गुणवत्तापूर्ण और उच्च उपज वाले बीज प्रदान करके कृषि लाभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
देश-दुनिया में मूली की खेती का महत्व और उत्पादन
मूली का हजारों साल पुराना समृद्ध इतिहास है. ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई थी, इसकी खेती प्राचीन मिस्र, ग्रीस और रोम में की जाती थी, और उन्हें रोमनों द्वारा बेशकीमती माना जाता था, जिन्होंने अपने पूरे साम्राज्य में विभिन्न किस्मों को पेश किया. यह सब्जी पूरे यूरोप और एशिया में फैल गई, जो विभिन्न पाक परंपराओं में मुख्य बन गई. मूली विभिन्न आकारों, आकारों और रंगों में आती है- छोटी, गोल लाल किस्मों से लेकर एशियाई व्यंजनों में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली लंबी सफेद डाइकोन मूली तक. सदियों की खेती में, विभिन्न संस्कृतियों ने अपनी जलवायु और स्वाद के अनुकूल अनूठी किस्में विकसित की हैं. समय के साथ, मूली दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैल गई है, जो विभिन्न जलवायु और मिट्टी की स्थितियों के अनुकूल होती है. वही, मूली उत्पादन में चीन पहले स्थान पर आता है. जबकि, दूसरे नंबर पर भारत का नाम है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) के अनुसार, साल 2021-22 के दौरान देश में 3300 टन मूली का उत्पादन किया गया था. वहीं, भारत में मूली उत्पादन के मामले में हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु टॉप 10 राज्यों में शामिल हैं. इन राज्यों में सबसे ज्यादा मूली का उत्पादन होता है.