1970 में शुरू हुआ एक ऑपरेशन एक दिन इस मुकाम तक पहुँच जाएगा ये किसे ने सोचा भी नहीं था. 1970 में ऑपरेशन फल्ड नाम से एक अभियान चलाया गया था, जो कि आगे चलकर श्वेत क्रांति के रूप में जाना गया.
यूँ तो हमारे देश में कई क्रांतियां हुईं. कई क्रांतिकारियों ने भारत की भूमि पर जन्म लिया और खुद को इस देश के लिए न्योछावर कर दिया. लेकिन स्वेत क्रांति ने जो इस देश में बदलाव लाया वह सराहनीय और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था.
श्वेत क्रांति के जनक माने जाने वाले वर्गीज कुरियन का इस पूरे बदलाव में सबसे बड़ा योगदान रहा है. 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा शुरु की गई योजना ने भारत को विश्व मे दुग्ध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनाने में मदद की और देखते ही देखते उनका यह सपना सच हो गया.
हमारे देश और देश की संस्कृति में दूध का महत्व काफी ज्यादा है. दूध एक ऐसा पदार्थ है जिसका इस्तेमाल हम हर चीज़ में करते आए हैं. उनके जन्मशती के शुभ अवसर पर हर साल पूरा विश्व वाइट रेवोलुशन डे मनाता आ रहा है. ख़ास कर अगर भारत की बात करें तो आज भारत के डेरी सेक्टर और पशुपालकों के लिए विशेष दिन होता है. प्रेरक के रूप में इन्हे हर किसी ने अपनाया है. कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं थी. वहीं 60 के दशक में भारत में दूध की खपत जहां दो करोड़ टन थी वहीं 2011 में यह 12.2 करोड़ टन पहुंच गई. उनके इस अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया था. इतिहास के पन्नो में वर्गीज कुरियन को हमेसा सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा और याद किया जाएगा.
क्या है स्वेत क्रांति ?
स्वतंत्रता की लड़ाई लड़े जाने के बाद भारत कई अंदुरुनी परेशानियों से लड़ रहा था. विदेशों के द्वारा लुटे जाने के बाद अब वक्त था भारत को सँभालने का एक बार फिर उठ खड़ा होने का. ऐसे में देश की स्वतंत्रता के बाद हरित क्रांति और श्वेत क्रांति ही वो दो क्रांतियाँ थी, जिनके कारण भारत की आर्थिक स्थिति में बड़े परिवर्तन आये. देश में श्वेत क्रान्ति 1970 में शुरू हुई थी, इससे डेयरी इंडस्ट्री और डेयरी फार्म में काफी बदलाव आये और गरीब किसानों को रोजगार मिला. इस कार्यक्रम के कारण देश में स्वस्थ जानवरों की संख्या बढ़ गई, दुग्ध उत्पादन के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी किया जाने लगा. वास्तव में इस क्रान्ति का उद्देश्य भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले देशों की श्रेणी में लाना था. और इसी प्रोग्राम ने एक समय तक दूध की कमी से जूझने वाले भारत को दुनिया में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाया.
आज पूरा विश्व वर्गीज कुरियन को श्वेत क्रान्ति के जनक के रूप में जानता है. उन्होंने देश में दुग्ध उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कम्पनी अमूल की स्थापना की. उस वक़्त उन्हें अंदाजा भी नहीं था एक दिन यह कंपनी इतना ग्रोथ करेगी. अमूल के चेयरमैन वर्गीज कुरियन के एक्सपेरिमेंटल पैटर्न पर यह ऑपरेशन फ्लड आधारित था. इस कारण इन्हें ही एनडीडीबी (NDDB) का चेयरमैन भी बनाया गया था.
इन्हे ऑपरेशन फ्लड के आर्किटेक्ट के तौर पर भी जाना जाता हैं. उस समय तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में कई अन्य कम्पनियों ने और अमूल के इंफ्रास्ट्रक्चर एरेंजमेंट और रिसोर्स के मैनेजमेंट के साथ नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड को शुरू किया. कुरियन के साथ उनके मित्र एच.एम.डालया ने भैंस के दूध से मिल्क पाउडर बनाने और कंडेंसड मिल्क बनाने की तकनीक के आविष्कार में योगदान दिया.
आज इस दिवस को और भी ख़ास बनाने के लिए कृषि जागरण के एडिटर इन चीफ और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के फाउंडर M.C DOMNIC और कृषि जागरण की पूरी टीम वेबिनार का आयोजन कर इनके योगदान को एक बार फिर से दोहराने जा रही है. और साथ ही आज के युवा पीढ़ी, देश की सभी जनता और डेयरी फार्म से यह अनुरोध कर रही है की इस दिशा में खुद लेकर जाएं और उनके योगदान को आने वाले समय के लिए और भी मजबूत बनाने. कृषि जागरण के इस वेबिनार में आज हमारे साथ इस सेक्टर से जुड़े किसान भाई, डेयरी फार्म के मालिक, साइंटिस्ट और युवा पीढ़ी जो इस विषय की पढ़ाई कर आने वाले समय में अपना योगदान देने वाले छात्र.
संचालक:- इस चर्चा को और भी सही दिशा में ले जाने के लिए एम.सी डॉमिनिक, कृषि जागरण और एग्रीकल्चर वर्ल्ड के प्रधान संपादक
अतिथि वक्ता
प्रवीण गौर, प्रभु गौसेवा (किसान)
मुख्य अतिथि के तौर पर आज हमारे साथ उपस्थित रहेंगे डॉ. ओमवीर सिंह, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, मदर्स डेयरी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स
गेस्ट स्पीकर
डॉ. अमरीश त्यागी, सहायक महानिदेशक (पशु पोषण और शरीर क्रिया विज्ञान), भाकृअनुप नई दिल्ली
राष्ट्रीय डेयरी विज्ञान अकादमी, भारत के कार्यकारी सदस्य
डॉ. चित्रंतन कादियान, अध्यक्ष भारतीय पशु चिकित्सा संघ,
काउंसलर विश्व पशु चिकित्सा संघ
लेफ्टिनेंट कर्नल (डॉ.) सुपरन सिंह शेखावत, प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, कोटपुतली जयपुर
कृष्ण यादव, अध्यक्ष, डाबर हरे कृष्णा गौशाला
डॉ. ए के दीक्षित, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, देवास, मध्य प्रदेश
डॉ. जे एस राजपूत, वैज्ञानिक, पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन, कृषि विज्ञान केंद्र, ग्वालियर, मध्य प्रदेश
डॉ. भरतसिंह एस राठौड़, सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक, एसडी कृषि विश्वविद्यालय, सरदार कृषि नगर दंतीवाड़ा
ए एन द्विवेदी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, इंदौर दुग्ध संघ सहकारी मर्यादा
डॉ. लक्ष्मी उन्नीथन, संपादक, कृषि विश्व
प्रसाद बी जावरे, ट्रैक्टरन्यूज़.इन
खिली धवन, एफटीबी ऑर्गेनिक
एंकर
वहीं इस वेबिनार को किसानों और डेयरी फार्म के लिए और भी बेहतर और व्यवस्थित ढंड से चलाने का ज़िम्मा अश्विनी वानखड़े, एंकर, कृषि जागरण ने लिया है.
धन्यवाद प्रस्ताव
श्रुति निगम, कंटैंट मैनेजर (हिंदी), कृषि जागरण