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Updated on: 13 January, 2018 12:00 AM IST
Fruit ripening method

बाजार में आम व कुछ फलों को कच्चा ही तोड़ कर कृत्रिम रूप से पकाया जाता है. उत्तरांचल से दिल्ली की ओर जब सड़क मार्ग से चला जाए तो उत्तर प्रदेश के आम बाग रास्ते में नजर आते हैं. आम के बागों की रखवाली करने वाले मजदूर किसान, कच्चे आमों को पेटी (लकड़ी के बक्से) में बंद करते हुए एक पुड़िया में कुछ मसाला बांधकर रख देते हैं.

यह केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि भारत के दूसरे राज्यों में भी फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए ऐसे मसाले को प्रयोग में लाया जाता है. इसे कैल्शियम कार्बाइड कहा जाता है. फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए इस व्यापार में लगे हुए लोग बंद कमरों में फलों को पकाते हैं, जहां बड़ी मात्रा में कैल्शियम कार्बाइड डाला जाता है और कमरे को बंद करने से पहले पानी का छिड़काव कर दिया जाता है. इससे कैल्शियम कार्बाइड पर पानी पड़ने से एक गैस-सी बनती है जिसे एसेटाइलीन कहा जाता है जो फलों को पकाने की प्रक्रिया में तेजी लाती है. कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक हाईड्राइड एवं फॉस्फोरस हाईड्राइड जैसे रसायन होते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी पैदा करते हैं.

व्यापारी लोग जल्द मुनाफा कमाने के चक्कर में फलों की पेटी में इस जानलेवा रसायन को छोटे पैकटों में डालकर रख देते हैं और कभी-कभी तो फलों की सतह पर इस कैल्शियम कार्बाइड के पाउडर का छिड़काव भी कर दिया जाता है.

इसी धारणा से कैल्शियम कार्बाइड का अनुचित उपयोग ताजे फलों को संदूषित करता है. भारत सरकार ने पीएफए अधिनियम 8-44 एए, 1954 के तहत फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. इस मसाले से पकाए गए फल के छिलके का रंग आकर्षक हो सकता है लेकिन स्वाद, खुशबू कम होती है और यह जल्दी खराब भी हो जाते हैं.

फलों को कृत्रिम रूप से पकाने हेतु एक अन्य रसायन ईथ्रेल या ईथाफोन (2-क्लोरोथेन फॉस्फोरिक अम्ल) जो पौध वृद्धि नियंत्रक के रूप में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए केवल गैस के रूप में ईथाइलीन के उपयोग की ही अनुमति दी है.

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलुरू के डा. डी. वी. सुधाकर राव के अनुसार फलों को कृत्रिम रूप से पकाने का सही और सरल तरीका यही है.

फलों को पकाने की कम लागत की तकनीक (Low cost technology of ripening fruits)

विकल्प के रूप में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलुरू में द्रव ईथे्रल/ईथेफोन से निकलने वाली ईथाइलीन गैस में फलों को पकाने की एक वैकल्पिक विधि का मानकीकरण किया गया है.

यह बहुत ही आसान विधि है जिसमें द्रव ईथ्रेल में कम मात्रा में क्षार मिलाया जाता है ताकि उसमें से ईथाइलीन गैस निकले. फलों को इस विमुक्त ईथाइलीन गैसयुक्त प्लास्टिक के वायुरूद्ध फल की टोकरी में रखा जाता है. प्लास्टिक कक्ष के स्थान पर किसी भी तरह के वायुरूद्ध कमरे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि व्यापारियों द्वारा फलों को पकाने के लिए उपयोग किया जाता है.

फलों को पकाने की विधि/तरीका (Fruit ripening method) 

  • परिपक्व फलों को हवादार प्लास्टिक के टोकरों में रखें.

  • इन टोकरों को वायुरूद्ध प्लास्टिक कक्ष/कमरे में रखें. एक प्लास्टिक के डिब्बे में आवश्यक मात्रा 2 मि.लि./घन मीटर कमरे का आकार में द्रव ईथे्रल लें और उसे कक्ष में रखें. डब्बे के ईथे्रल में आवश्यक मात्रा (0.25 ग्राम/मि.लि. ईथे्रल) में सोडियम हाइड्राऑक्साइड (कास्टिक सोडा) मिला लें.

  • इसके तुरंत बाद कक्ष/कमरे को बंद कर दें.

  • एक छोटे पंखे से इस कमरे में हवा का संचारण होते रहना चाहिए.

  • 18-24 घंटे बाद फलों को बाहर निकालें.

  • फल के टोकरे 70 प्रतिशत तक भरे होने चाहिए. ईथाइलीन के उपयोग से पकाए गए फलों का रंग एवं स्वाद अच्छा होता है. उन्हें ज्यादा दिन तक भी रखा जा सकता है. ईथाइलीन एक पौध हार्मोन है. ईथाइलीन गैस से पकाए गए फलों की गुणवत्ता स्वाभाविक रूप से पके फलों जैसी ही होती है.

English Summary: Know the right way to artificially cook fruits
Published on: 13 January 2018, 02:27 AM IST

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