कपास उत्पादकों (Cotton growers) के लिए बड़ी खुशखबरी है. दरअसल, इसकी कीमत अब रिकॉर्ड तोड़ उछाल पर है. जी हां, कपास ने 2021 में लगभग 65% की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो आज नई रिकॉर्ड की ऊंचाई को छू रही है. दरअसल, इस कमोडिटी को "सफ़ेद सोना" (White Gold) माना जा रहा है.
कपास के मांग की तेज़ी की वजह (Reasons for the boom in cotton demand)
बता दें कि कम आपूर्ति के साथ-साथ मजबूत घरेलू और वैश्विक मांग के कारण भारतीय कपास की कीमतों में तेजी (Indian cotton prices rise) आई है. नवंबर के पहले सप्ताह के बाद मुख्य रूप से नए सीजन के आगमन की गति में वृद्धि के कारण यह सब संभव हुआ है.
कपास नवंबर के बाद मंदी के दौर से उबर गया है. जैसे ही आगमन का दबाव कम होना शुरू हुआ, भारत में कपास की कीमतें (Cotton Prices in India) हाल के हफ्तों में स्थिर हो गई हैं. साथ ही कपास उत्पादों के निर्यात और घरेलू मांग बढ़ना शुरू हो गयी है. वहीं भारतीय व्यापार के साथ-साथ कृषक समुदाय ने 2021 में अच्छा रिटर्न दिया था.
कपास उत्पादन का गणित (Cotton production analysis)
हाल के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक कपास उत्पादन बाजार (Global Cotton Production Market) वर्ष 2019-20 में 26.43 मिलियन मीट्रिक टन था जो कि MY 2020-21 में 7.60 प्रतिशत घटकर 24.42 मिलियन मीट्रिक टन हो गया था.
विश्व का कपास निर्यात MY 2019-20 में 8.98 मिलियन मीट्रिक टन था, जो कि 17.37 प्रतिशत की वृद्धि के साथ MY 2020-21 में बढ़कर 10.54 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है. वैश्विक कपास की खपत 17.29 प्रतिशत बढ़कर MY 2019-20 में 22.44 मिलियन मीट्रिक टन से MY 2020-21 में 26.32 मिलियन मीट्रिक टन हो गई है. यही वजह है कि इन कारकों ने 2021 में कपास की औसत वैश्विक कीमतों को ऊपर की ओर रखा है.
कपास उत्पादकों के लिए आशा की किरण (A ray of hope for cotton growers)
किसानों के लिए यह एक और अच्छा वर्ष साबित हो सकता है. भारत, पाकिस्तान, मैक्सिको और बांग्लादेश में बढ़ती मांग और COVID-19 के प्रभाव को कम करने के कारण कपास की खपत लगातार बढ़ रही है.
2020-2021 की तुलना में, 2021/22 के लिए वैश्विक कपास बैलेंस शीट में उच्च उत्पादन और खपत, और थोड़ा कम अंत स्टॉक शामिल हैं. अनुमानित वैश्विक खपत 700,000 गठरी से ऊपर है. 2022 में विश्व के अंतिम स्टॉक 86.9 मिलियन गठरी होने का अनुमान है जो कि 2021 की तुलना में 2.4 मिलियन गठरी कम है.
2021-22 के लिए भारत का कपास उत्पादन 330 लाख गठरी होने का अनुमान है जो 2020-21 से लगभग 30-35 लाख गठरी कम है. महाराष्ट्र और दक्षिण के उत्पादक क्षेत्रों में नवंबर के दौरान भारी बारिश के कारण भारतीय फसल का उत्पादन दृष्टिकोण कम हो गया है. उत्तर भारत में कीटों का हमला कम फसल अनुमान का दूसरा कारक है. जैसे-जैसे वैश्विक बाजार लगातार मजबूत रुख बनाए हुए हैं वैसे वैसे घरेलू कीमतें आराम से नई ऊंचाईयां बना रही हैं.
कपास सुधारेगी किसानों के आर्थिक हालात (Cotton will improve the economic condition of farmers)
चूंकि कपास उत्पादों के लिए निर्यात की संभावना आशावादी बनी हुई है. इसके अतरिक्त कपास जटिल टोकरी यानी कपास बीज/कपास फाइबर, कपास धोने का तेल, सूती केक इत्यादि के लिए घरेलू खपत दृष्टिकोण में भी सुधार हुआ है. कुल मिलाकर, यह किसानों के लिए एक और अच्छा वर्ष हो सकता है जिससे उन्हें व्यवसाइक तौर पर अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता है.