KJ Chaupal: 27 साल पहले किसानों व कृषि क्षेत्र के हित के लिए कृषि जागरण की स्थापना की गई थी. जो आज इस क्षेत्र अपनी मैग्जीन, वेबसाइट और दूसरे माध्यम से काम करके इतिहास रच रहा है. कृषि जागरण मीडिया का एक खास प्रोग्राम है ‘केजे चौपाल’ (KJ Chaupal). जिसमें कृषि से जुड़े गणमान्य लोग और प्रगतिशील किसान बतौर मेहमान आकर अपने कामों, अनुभवों और नवीनतम तकनीकों को साझा करते हैं.
इसी कड़ी में गुरुवार को (25 जनवरी) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के ओएसडी (ऑफिसर ऑन ऑप्शन ड्यूटी) कर्नल कुलदीप सिंह बांशटू (सेवानिवृत्त) कृषि जागरण के चौपाल कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कृषि जागरण के दिल्ली स्थिति मुख्यालय का दौरा भी किया और पूरी टीम के साथ बातचीत की. उनके अलावा, ‘केजे चौपाल’ में करेल के किसान के.पी शिबू और उनकी पत्नि जिस्ना भी शामिल हुए. दरअसल, के.पी शिबू उन किसानों में शामिल हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की ओर से 26 जनवरी पर दिल्ली में होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड का खास निमंत्रण भेजा गया था. इसी वजह से के.पी शिबू गुरुवार को अपनी पत्नि के साथ दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अपनी पत्नि के साथ कृषि जागरण के दिल्ली स्थिति मुख्यालय का दौरा किया और पूरी टीम से बातचीत की.
KJ Chaupal कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक ने 'केजे चौपाल’ में पधारे अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज हमारे साथ कई अतिथि मौजूद हैं. जिनमें से एक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के ओएसडी हैं. हांलाकि, मैं उन्हें ओएसडी कम और एक किसान के रूप में ज्याद देखता हूं, क्योंकि वह एक किसान परिवार से आते हैं और उन्हें खेती और किसानी का काफी समझ है. इसके साथ ही उन्होंने केजे चौपाल’ का हिस्सा बनने के लिए करेल के किसान के.पी शिबू और उनकी पत्नी धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि ये एक ऐसे किसान हैं, जो अपने क्षेत्र के किसानों के लिए मिसाल हैं. इन्होंने अपने क्षेत्र में एक ऐसा तालाब विकसित किया है, जहां ये प्राकृतिक तौर पर बेहतरीन मछलियों का उत्पादन कर लोगों को इनका स्वाद चखा रहे हैं. उन्होंने कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए सभी अतिथियों को एक बार फिर धन्यवाद किया.
वहीं, अपने संबोधन में कर्नल कुलदीप सिंह बंशटू (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आज मुझे इस कार्यक्रम में आने पर बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने खेती और किसानी जुड़े अपने अनुभव साझा किया और अब तक की अपनी यात्रा की कई किस्से सुनाए .उन्होंने बताया कि कैसे आज मौजूदा वक्त में ग्रामीण क्षेत्र से शहरों की ओर पलायन बढ़ गया है और शहरीकरण के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब खेती छोड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेती अब धीरे-धीरे सिकुड़ रही है, जो एक खतरे की घंटी है. ऐसे में खेती को और बढ़ावा देने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि वह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के एक छोटे से क्षेत्र रोहड़ू से आते हैं. जहां मुख्य तौर पर सेब की फसल उगाई जाती है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वहां पर पारंपरिक फैसले जैसे दाले, मोटा अनाज और कई तरह की सब्जी उगाई जाती थीं.लेकिन धीरे-धीरे किसानों का रुझान नकदी फसलों की ओर बढ़ा और क्षेत्रों में किसानों ने सब की फसल की खेती करनी शुरू की. उन्होंने कहा कि अब ऐसा समय आ गया है कि शिमला में ज्यादातर जगहों पर सिर्फ सेब की खेती देखने को मिलती है और उन्हें अन्य फसलों के लिए बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है.
इसके साथ ही उन्होंने रोहड़ू के पेजा राइस की भी बात की. उन्होंने बताया कि एक तरीके का पेटेंटेड राइस है, जो सिर्फ रोहड़ू में उगाया जाता है. हालांकि इसकी खेती अब काफी कम हो गई है. अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कृषि जागरण का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि कृषि जागरण जिस तरीके से कृषि क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है, वह बहुत सराहनीय है और मुझे उम्मीद है कि कृष जागरण अपने यह सराहनीय कार्य आगे भी जारी रखेगा. वहीं केरल के किसान के.पी शिबू ने भी कृषि जागरण के इस सम्मान के लिए सभी का धन्यवाद किया.