लॉकडाउन में किसानों को हो रही परेशानियों को देखते हुए कई तरह कि मांग उठने लगी हैं। किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह ने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट दोगुनी करने के साथ ही उसके ब्याजदर को भी कम करने की मांग की है। उन्होंने सरकार से मांग कि है कि केसीसी कि लिमिट 6 लाख रुपये करने के साथ ही ब्याज दर कम करके 1 फीसदी की जाए। मौजूदा समय में इसकी लिमिट 3 लाख रुपये है और पैसा चुकाने पर देने वाला ब्याज दर 4 फीसदी है। किसान नेता का मानना है कि कोरोना माहामारी वाले दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। पूरे देश में इस वक्त लगभग 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं और करीब सात करोड़ किसानों के पास केसीसी है।
केसीसी में बदलाव के अतिरिक्त उन्होंने किसानों के सभी प्रकार के कर्ज, किश्तों की अदायगी पूरे एक साल के लिए सस्पेंड करने की भी मांग की है। वहीं सरकार की तरफ से राहत के तौर पर केसीसी पर बैंकों से लिए गए सभी अल्पकालिक फसली कर्जों के भुगतान की तारीख दो माह बढ़ा कर 31 मार्च से 31 मई तक की गई है। जिसके बाद किसान 31 मई तक अपने फसल ऋण को बिना किसी बढ़े ब्याज के केवल 4 प्रतिशत प्रति वर्ष के पुराने रेट पर ही भुगतान कर सकते हैं. वहीं किसान शक्ति संघ इसे पूरे साल भर के लिए सस्पेंड करने की मांग कर रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा दी गयी है छूट
किसानों द्वारा कृषि से जुड़ी कार्यों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड पर लिए गए तीन लाख रुपये तक के लोन की ब्याजदर 9 फीसदी है, लेकिन सरकार के द्वारा इसमें 2 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जिसके बाद इसका ब्याजदर 7 फीसदी पड़ता है। इसके साथ ही समय पर राशि चुकाने पर इसमें 3 फीसदी की और छूट मिल जाती है जिसके बाद यह केवल 4 फीसदी बचता है। जिसको अब एक प्रतिशत करने की मांग की जा रही है।
पीएम किसान योजना और केसीसी स्कीम को जोड़ दिया गया
किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम और पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम केंद्र सरकार की दो बड़ी योजनाएं हैं जिन्हें अब जोड़ दिया गया है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों को मौजूदा खाते से संबंधित बैंक में जाकर केसीसी के लिए आवेदन जमा करवाने को कहा है। वहीं इस संदर्भ में उन्होंने आगे कहा कि बैंकों के मुख्य प्रबंध निदेशकों को वित्त विभाग द्वारा इस संदर्भ में आवश्यक निर्देश दिए जा चुके हैं. आवेदकों को इसका लाभ 14 दिन के भीतर मिलेगा।
किसान नेता सिंह का मानना है कि इस फैसले के बाद देश के आधे किसानों को संकट से उबारा गई थी ताकी उन्हें खेती के लिए सस्ता लोन मिल सके। बता दें कि सरकार द्वारा केसीसी स्कीम किसानों को साहूकारों पर से निर्भरता खत्म करने के लिए शुरू की गई थी ताकि उन्हें खेती के लिए सस्ता लोन मिल सके।