देश के किसानों को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय ने किसान रेल सेवा की शुरुआत की थी. 7 अगस्त, 2020 को देवलाली (महाराष्ट्र) और दानापुर (बिहार) के बीच पहली किसान रेल सेवा ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी. बता दें कि उत्पादन केंद्रों को बाजारों और उपभोग केंद्रों से जोड़कर, किसान रेल सेवा का उद्देश्य कृषि क्षेत्र की आय को बढ़ावा देना है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किसान रेल सेवा को लेकर बड़ी जानकारी दी है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि "कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकारों के कृषि/ पशुपालन /मत्स्य पालन विभागों के साथ-साथ स्थानीय निकायों और एजेंसियों, मंडियों के परामर्श से किसान रेल सेवाओं की आवाजाही के लिए संभावित सर्किटों की पहचान की गई है."
किसान रेल के माध्यम से फलों और सब्जियों की ढुलाई 31.3.2022 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) से 50% माल ढुलाई सब्सिडी के लिए पात्र थी, लेकिन इस प्रस्ताव को बढ़ाया नहीं गया था.
यह सब्सिडी बुकिंग के समय कंसाइनर्स/किसानों को दी गई थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिना किसी परेशानी या प्रक्रियात्मक देरी के किसानों तक लाभ पहुंचे. इसके बाद रेलवे को 45 फीसदी सब्सिडी मिली. यह सब्सिडी अब 31 मार्च, 2023 तक लागू है.
रेलवे ने 2020-21 में सब्सिडी पर 27.79 करोड़ खर्च किए, जिसकी एमओएफपीआई ने प्रतिपूर्ति की. रेलवे ने 2021-22 में सब्सिडी पर 121.86 करोड़ खर्च किए, जिसमें MoFPI ने केवल 50 करोड़ की प्रतिपूर्ति की. रेल मंत्रालय के अनुसार , रेलवे ने चालू वित्त वर्ष के लिए सब्सिडी में 4 करोड़ रुपये का वितरण किया है, जो 31 जनवरी, 2023 को समाप्त हो रहा है.
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आंध्र प्रदेश में 116 किसान रेल सेवाएं हैं, गुजरात में 62, कर्नाटक में 46, महाराष्ट्र में 1,838 सेवाएं, मध्य प्रदेश में 74, पंजाब में 15, राजस्थान में 5, उत्तर प्रदेश में 76, पश्चिम बंगाल में 59 और तेलंगाना में 66 हैं. असम और त्रिपुरा में एक-एक किसान रेल ट्रेन चालू हो गई है.