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Updated on: 27 July, 2020 1:30 PM IST

अपनी विशेषताओं के लिए वैसे तो कश्मीर का केसर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन अब इसे अधिकारिक तौर पर विशेष होने का दर्जा मिल गया है. जी हां, कश्मीर के केसर को अब जीआई (जियोग्रॉफिकल इंडीकेशन) टैग मिल गया है. इस खबर के मिलने के बाद से किसानों में खुशी की लहर है, उनकी माने तो इससे कश्मीर घाटी के उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी.

रंग लाई लेफ्टिनेंट गवर्नर की पहल

कश्मीर के केसर को खास बनाने के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर चंदर मुर्मू ने पहल की थी. कार्यभार संभालने के बाद से ही वो इस दिशा में काम करते रहे.

बंपर पैदावार की उम्मीद

केसर की खेती को नेशनल मिशन ऑन सैफरॉन (NMS) के अंतर्गत लाने के बाद से उम्मीद है कि इस बार पंपोर में बंपर उत्पादन होगा. गौरलतब है कि एनएमएस के तहत, मोदी सरकार ने 411 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट चलाया है. इसी प्रोजेक्ट के तहत केसर के लिए 3,715 हेक्टेयर क्षेत्र का कायाकल्प किया जाना प्रस्तावित है.

मिलावट पर लगेगी रोक

किसानों को उम्मीद है कि जीआई सर्टिफिकेशन मिलने के बाद से केसर में हो रही मिलावट पर रोक लगेगी. यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक कश्मीरी केसर के नाम पर लोगों को ठगना अब आसान नहीं होगा और इससे किसानों की आय डबल हो जाएगी.

निर्यात बढ़ाना है लक्ष्य

जीआई टैग मिलने के बाद कश्मीरी केसर को पहचान तो मिली है, लेकिन किसानों की खुशी अभी अधूरी है. किसानों के मुताबिक सरकार को आने वाले समय में केसर के निर्यात पर खास ध्यान देना चाहिए, जब तक निर्यात नहीं बढ़ेगा, तब तक व्यापार का दायरा सीमित रहेगा.

कश्मीरी केसर की है खास मांग

गौरतलब है कि कश्मीरी केसर की मांग भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी खूब है. बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि बीमारियों के उपचार में इसका प्रयोग होता है. वहीं हाजमे से संबंधित तरह-तरह की दवाईयों में भी इसका उपयोग किया जाता है.

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English Summary: Kashmir Saffron Gets Geographical Indication Tag know more about it
Published on: 27 July 2020, 01:44 PM IST

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