लगातार बारिश और बाढ़ ने कर्नाटक के किसानों को गहरा झटका दिया है. लाखों हेक्टेयर फसलें पानी में डूब चुकी हैं और किसानों की मेहनत बर्बाद हो गई है. इन हालातों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए अतिरिक्त मुआवजे का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ खड़ी है और उन्हें नुकसान की भरपाई के लिए हर संभव कदम उठाएगी. वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत दिए जाने वाले मुआवजे के अतिरिक्त, राज्य सरकार प्रति हेक्टेयर 8,500 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देगी. इस तरह अब किसानों को कुल मुआवजा शुष्क भूमि के लिए 17,000 रुपये, सिंचित भूमि के लिए 25,500 रुपये और बारहमासी फसलों के लिए 31,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तक मिलेगा.
9 जिलों में फसल बर्बाद
कर्नाटक में सबसे ज्यादा नुकसान उत्तरी जिलों में हुआ है. मुख्यमंत्री ने बताया कि विजयपुरा, बागलकोट, कलबुर्गी, यादगीर, बेलगावी, रायचूर, गडग, बीदर और धारवाड़ – इन 9 जिलों में 9 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. यह राज्यभर में हुई कुल फसल क्षति का करीब 95% है साथ ही सिद्धारमैया ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया और कहा कि इस तबाही से लाखों किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है.
NDRF नियमों के तहत मुआवजा
एनडीआरएफ के नियमों के अनुसार किसानों को पहले से यह मुआवजा मिलता है:
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शुष्क भूमि के लिए 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर
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सिंचित भूमि के लिए 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर
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बारहमासी फसलों के लिए 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर
लेकिन अब राज्य सरकार की घोषणा के बाद यह राशि बढ़कर हो जाएगी-
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शुष्क भूमि: 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर
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सिंचित भूमि: 25,500 रुपये प्रति हेक्टेयर
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बारहमासी फसलें: 31,000 रुपये प्रति हेक्टेयर
केंद्र से भी मांगी जाएगी मदद
सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य सरकार फसलों और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त सहायता के लिए केंद्र सरकार से भी अनुरोध करेगी. उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों को उनके नुकसान की पूरी भरपाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगी.
5 लाख हेक्टेयर का सर्वे पूरा
राज्य सरकार ने अब तक 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का संयुक्त सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, जबकि प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि करीब 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि सर्वेक्षण कार्य तेजी से पूरा हो और किसानों तक राहत राशि तुरंत पहुंचाई जा सके. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजे की प्रक्रिया में किसी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और प्रभावित किसानों को समय पर सहायता मिलना सरकार की जिम्मेदारी है.