डेयरी फार्मिंग के अलावा पोल्ट्री फार्मिंग का बिजनेस भी भारत में तेजी के साथ उभर रहा है. पोल्ट्री फार्म में कई नस्ल की मुर्गियां आपको देखने को मिल सकती हैं, जिससे लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं. लेकिन इन दिनों जो खूब चर्चित हो रहा है वह है कड़कनाथ मुर्गा. कड़कनाथ मुर्गे की मांग इस सर्द मौसम में बढ़ती ही जा रही है.
बता दें कि वैसे तो कड़कनाथ मुर्गा पूरे देश में मिल जाएगा, मगर यह सबसे अधिक मध्य प्रदेश के ग्वालियर, झाबुआ और अलीराजपुर में पाया जाता है. खबरों की मानें तो इन दिनों कड़कनाथ मुर्गों की भारी मांग के कारण ग्वालियर में इसके दस हजार आर्डर पेंडिग में रखे गए हैं.
एमएस धोनी भी पाल रहे हैं कड़कनाथ
बता दें कि कुछ वक्त पहले कड़कनाथ मुर्गे महेंद्र सिंह धोनी की वजह से खूब सुर्खियों में थे. ऐसा इसलिए क्योंकि धोनी ने भी अपने फार्म में कड़कनाथ मुर्गे पालने के लिए मध्य प्रदेश में 2 हजार से अधिक चुजों का ऑर्डर दिया था.
ग्वालियर में कड़कनाथ मुर्गे की भारी मांग
अब मध्य प्रदेश में कड़कनाथ मुर्गे की मांग तथा उत्पादन इतना अधिक है, तो इसके लिए सरकार भी साथ दे रही है. बता दें कि ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में कड़कनाथ के लिए एक अलग से फार्म बनाया गया है. जहां कड़कनाथ मुर्गे के चुजों को तैयार किया जाता है.
यानि की अंडों से चुजे निकालने की प्रक्रिया यहां पर की जा रही है. खबरों की मानें तो अभी इस सेंटर में लगभग 2 हजार चुजे तैयार करने की क्षमता है. तो वहीं देशभर से आई मांग तो देखते हुए अभी 10 हजार कड़कनाथ मुर्गों की मांग को पेंडिंग में रखा गया है.
कड़कनाथ मुर्गा की खासियत
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कड़कमनाथ मुर्गा आम मुर्गों से काफी अलग है या कहें कि यह बहुत ही दुर्लभ प्रजाती का मुर्गा है. कड़कनाथ मुर्गे दिखने में काले रंग के होते हैं, इसी वजह से इसे कालीमासी कहा जाता है. इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने सन् 1978 में पहला फार्म स्थापित करवाया गया था.
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बता दें कि कड़कनाथ मुर्गे का मांस अन्य मुर्गियों की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होता है. साथ ही यह पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है. कई लोग कड़कनाथ मुर्गे का सेवन दवा के तौर पर भी करते हैं.
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कड़कनाथ मुर्गे में 25 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है और लगभग 0.73 से 1.03 फीसदी तक फैट होता है.
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कड़कनाथ मुर्गे में कम कोलेस्ट्रॉल और उच्च अमीनो एसिड पाया जाता है.
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कड़कनाथ मुर्गा दिल से संबंधित बीमारी से लड़ने में भी कारगर है.
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इसके अलावा हृदय संबंधी रोग और मधुमेय के ग्रसित लोग इसका सेवन करते हैं.
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यही वजह है कि सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गे की मांग इतनी अधिक बढ़ती जा रही है.