18 दिसंबर 2024 को सूर्या साधना स्थली, झिंझौली, सोनीपत, हरियाणा में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, सोनीपत और सूर्या फाउंडेशन द्वारा एक दिवसीय विशेष प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों से अवगत कराना, उनके लाभों से परिचित कराना और पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा देना था. कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया.
मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एम.सी. डोमिनिक, संस्थापक और प्रधान संपादक, कृषि जागरण उपस्थित थे. उनके साथ विशेष अतिथि के रूप में हेमंत शर्मा (उपाध्यक्ष, सूर्या फाउंडेशन), डॉ. पवन शर्मा (उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, सोनीपत), और बी.के. प्रमोद (जैविक कृषि विशेषज्ञ, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, सोनीपत) ने भी भाग लिया.
इस शिविर के दौरान किसानों ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं को सीखा. आर्य नरेश, ईश्वर सिंह, पवन आर्य, राजेन्द्र सिंह, महेंद्र सिंह और अभिषेक धामा समेत 8-10 किसानों ने मंच पर अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए, जिन्होंने अन्य किसानों को प्रेरित किया. इन अनुभवों से यह स्पष्ट हुआ कि कम लागत और जैविक तरीकों से बेहतर उत्पादन किया जा सकता है.
मिलियनेयर किसान’ बनने का विज़न
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एम.सी. डोमिनिक ने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा, "हमारा उद्देश्य किसानों को समृद्ध बनाना है, ताकि वे ‘मिलियनेयर किसान’ बन सकें और अपने क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा सकें. हम चाहते हैं कि किसान का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक बने और डॉक्टर व इंजीनियर का बेटा किसान बनने पर गर्व करे. कृषि को इस स्तर तक पहुंचाने के लिए कृषि जागरण पूरी तरह प्रतिबद्ध है."
हेमंत शर्मा, वाइस चेयरमैन, सूर्या फाउंडेशन ने सभी का स्वागत करते हुए और पूर्व वक्ताओं का उल्लेख करते हुए किसानों से कहा, "आप मिलियनेयर किसान बनें ताकि आपको भी मिलियनेयर किसान का अवार्ड मिल सके. सभी किसान आगे बढ़ें, इसी दिशा में सूर्या फाउंडेशन ने पिछले तीन सालों से काम करना शुरू किया है और जो लोग जुड़े हैं, वे नियमित रूप से संस्थान में आते रहते हैं या फिर संस्थान के लोग उनके खेतों में जाकर उनके कामों को देखते हैं. हम जानते हैं कि सूर्या फाउंडेशन की टीम ने इस काम को दिल से आगे बढ़ाया है. मैं सभी का बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने हम पर भरोसा किया और इस संस्थान तक पहुंचे. और वक्ताओं का भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं जो हमारे बीच आए और किसानों की बातों को आगे लेकर जाएंगे. एक बार पुनः आप सभी को मैं धन्यवाद कहता हूं."
डॉ. पवन शर्मा, उप कृषि निदेशक, सोनीपत ने मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों और सभागार में उपस्थित सभी किसानों का आभार प्रकट करते हुए कहा, “हमारी पहले दिन की बैठक 'सफल' के लिए हुई थी, तब उसका मुख्य उद्देश्य यह था कि आधे एकड़, एक एकड़ या दो एकड़ में किसान प्राकृतिक खेती जरूर करें ताकि जो पैसे इलाज में लग रहे हैं, वह पैसे इलाज में न लगकर घर में रहें. हमारा मुख्य मकसद यही है. इसके बाद किसानों में खुद लालच आ जाएगी जब वे देखेंगे कि वे बीमार नहीं पड़ रहे, ज्यादा लागत नहीं लग रही और पैसे की बचत हो रही है, तो वे अपनी प्राकृतिक खेती का रकबा बढ़ा देंगे.“
उन्होंने आगे कहा, “इस परियोजना में हमने प्रोग्रेसिव किसान अभिषेक धामा को लिया है, जो 65 एकड़ में प्राकृतिक खेती करते हैं और इन्होंने एक स्वयं सहायता समूह भी बनाया है. इस समूह से जुड़े किसान अपनी उपज को बेचने के लिए बाजार में नहीं जाते हैं, बल्कि बड़ी-बड़ी कंपनियां उनके उत्पादों को खुद उनके पास से खरीद लेती हैं. हमारा मुख्य मकसद है कि किसान प्राकृतिक खेती करें और उनकी खाने की थाली जहरीली न रहे. वही, हरियाणा सरकार किसानों से 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर खेती का ब्यौरा पंजीकरण के लिए कह रही है, ताकि सरकार के पास किसानों का डाटा रहे, और जिन किसानों को किसी भी योजना का लाभ दिया जाता है, उनका डाटा यहीं से लिया जाता है."
डॉ. प्रमोद कुमार, जिला उद्यानिकी अधिकारी ने मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों और सभागार में उपस्थित सभी किसानों का स्वागत करते हुए कहा, “आप अन्नदाता हैं. आपके बिना इस प्रकृति में कुछ भी संभव नहीं है, कोई कितना भी पैसा कमा ले, लेकिन उसे खाने के लिए दो रोटी तो चाहिए और वह उगाएगा केवल किसान ही. अगर दो रोटी खानी है तो क्यों न दो रोटी उच्च गुणवत्ता की हो. जो किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं, वे हमारी प्राकृतिक खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने का जरिया हैं. क्योंकि किसान ही किसान का सच्चा हितैषी है. आप सभी जानते हैं कि पहले जरूरत पूरी की जाती है, फिर शौक पूरे किए जाते हैं. हरित क्रांति की शुरुआत तब हमारे देश में हुई थी जब हमें अन्न की ज्यादा जरूरत थी, लेकिन अब जरूरत है गुणवत्ता वाली उपज की. यदि आपके पास प्राकृतिक तरीके से उगाई गई गुणवत्ता वाली उपज है, तो समूह बनाकर अपनी उपज की ब्रांडिंग करें और बेचें. इससे आपको अच्छी कीमत मिलेगी. जैसे-जैसे ब्रांडिंग बढ़ेगी, आपको और भी अच्छी कीमत मिलती जाएगी. साथ ही बागवानी में हाथ आजमाने के लिए कहा और बताया कि सरकार बागवानी करने हेतु प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की सब्सिडी देती है. वहीं आपके पास जितनी भी खेती है, उसका ब्यौरा 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर जरूर डालें."
बीके प्रमोद दीदी, ब्रह्माकुमारी आश्रम, सोनीपत ने कहा, "यह बहुत खुशी की बात है कि धरती, जिसे हम सभी मां भी कहते हैं, उस मां की तबियत सुधारने के लिए यहां हम सभी एकत्रित हुए हैं. हमारे यहां ज्यादा नहीं, बल्कि सिर्फ लगभग दो सौ गज जमीन है, जिस पर कभी भी किसी भी प्रकार का रासायनिक खाद नहीं डाला जाता है. साथ ही सभी किसानों से उन्होंने प्राकृतिक खेती करने के लिए अपील की."
कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियां
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11:00 बजे अतिथियों के स्वागत समारोह से हुई. इसके बाद 11:15 से 1:00 बजे तक परिसर भ्रमण और पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें एम.सी. डोमिनिक ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक पौधा लगाया. 1:30 बजे किसानों और विशेषज्ञों के बीच प्राकृतिक खेती पर गहन चर्चा हुई. 2:45 बजे शिक्षकों के लिए व्यक्तित्व विकास शिविर (TPDC) का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम का प्रभाव
यह कार्यक्रम किसानों के लिए एक शैक्षिक अनुभव साबित हुआ, जिसमें विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी ने उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और कम लागत में बेहतर उत्पादन की विधियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. एम.सी. डोमिनिक, हेमंत शर्मा, पवन शर्मा और बी.के. प्रमोद के विचारों ने किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाया, और उन्हें यह समझने में मदद की कि प्राकृतिक खेती से न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा सकता है, बल्कि आय भी बढ़ाई जा सकती है.
सूर्या फाउंडेशन: समाज के विकास की दिशा में एक प्रमुख कदम
सूर्या फाउंडेशन भारत का एक प्रमुख गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1992 में पद्म श्री जयप्रकाश अग्रवाल ने की थी. यह संस्था समाज के कमजोर, वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित है और शिक्षा, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता और नैतिक मूल्यों के प्रसार के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करती है.
सूर्या फाउंडेशन के उद्देश्य में प्रमुख रूप से शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, युवाओं का नेतृत्व विकास, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का उत्थान, भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं. इसके कार्यक्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, संस्कार और नैतिकता, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संचालन किया जाता है.
सूर्या फाउंडेशन के कार्यों का लाभ
सूर्या फाउंडेशन के कार्यों के परिणामस्वरूप समाज में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. शिक्षा के प्रसार से वंचित बच्चों को बेहतर अवसर मिल रहे हैं, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से दूरदराज क्षेत्रों में चिकित्सा की पहुंच हो रही है, और युवाओं को रोजगार व स्वावलंबन के अवसर मिल रहे हैं. इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास और पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिल रहा है.
प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर जैसे कार्यक्रम और सूर्या फाउंडेशन के कार्य दोनों ही समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और ऐसे आयोजनों से किसानों, युवाओं और समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम उठाए जा रहे हैं.
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